पाकिस्तान में पिछले एक पखवाड़े की घटनाओं ने दुनिया को हैरान कर दिया है। अब जबकि आम चुनाव में एक हफ्ते भी नहीं बचे हैं, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री एवं पीटीआई संस्थापक इमरान खान को तीसरी पत्नी बुशरा बीबी समेत 14 वर्षों की जेल की सजा सुनाई गई है।
पिछले एक पखवाड़े में पाकिस्तान में इतना कुछ घटा है कि ज्यादातर खबरों ने दुनिया भर को हैरान कर दिया है। सबसे पहले क्रिकेटर शोएब मलिक के तलाक और निकाह की खबरें आईं और दुनिया भर के लोगों का ध्यान उसकी गरिमामय पत्नी सानिया मिर्जा की तरफ गया। जिस पाकिस्तानी ने भी इस घटना पर टिप्पणी की, सबने सानिया मिर्जा का पक्ष लिया और सबने उसकी और शादी में उसकी निष्ठा की प्रशंसा की। लोगों ने इस बात की भी काफी सराहना की कि वह अब एकल अभिभावक के रूप में अपने दम पर बेटे की परवरिश कर रही है। किसी को भी शोएब मलिक के प्रति सहानुभूति नहीं है, जिसने अब तीसरा निकाह किया है।
फिर पाकिस्तान के लोग तब सदमे और आश्चर्य में पड़ गए, जब एक मित्र पड़ोसी देश ईरान ने बलूचिस्तान प्रांत के पंजगुर में उसके इलाके में ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया, जिसमें बच्चों सहित कुछ बेगुनाह लोग मारे गए। ईरान का कहना है कि उस इलाके में ईरान विरोधी सुन्नी आतंकी समूह के शिविर हैं। इस हमले की कुछ पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए राजनीतिक विश्लेषक आयशा सिद्दिकी ईरान और पाकिस्तान के बीच मतभेदों का इशारा करती हैं, ‘अफगानिस्तान के भविष्य और नियंत्रण से लेकर ग्वादर बनाम चाबहार बंदरगाहों तक ईरान और पाकिस्तान एक-दूसरे पर भारी संदेह करते हैं।’ इसके अलावा, वह एक और पहलू की ओर इशारा करती हैं, वह है तेहरान का भारत के साथ घनिष्ठ संबंध, जिसके चलते पाकिस्तान पर हमले से ठीक एक दिन पहले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की तेहरान यात्रा को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। वर्ष 1979 से तेहरान अमेरिका के साथ घनिष्ठ संबंधों के कारण पाकिस्तान पर संदेह करता रहा है। अब उसे इस बात की चिंता है कि ईरान को घेरने और निशाना बनाने के अमेरिकी प्रयास में इस्लामाबाद को शामिल किया जा सकता है।
पाकिस्तान ने अपने विदेश मंत्रालय से कई संदेश भेजे और तेहरान को समय देते हुए हमले के लिए औपचारिक माफी का इंतजार किया। जब सरकार ने देखा कि तेहरान माफी मांगने के लिए तैयार नहीं है, और इस बात पर जोर दे रहा है कि वह पाकिस्तान के खिलाफ नहीं है, बल्कि कुछ ईरान विरोधी चरमपंथियों के खिलाफ है, तो पाकिस्तानी वायु सेना ने उसका बदला लिया। हालांकि दोनों मुल्कों ने तब इतिहास रचा, जब वे युद्ध के कगार से पीछे हटे। पिछले हफ्ते ईरान ने अपने विदेश मंत्री को इस्लामाबाद भेजा, जहां दोनों पक्षों ने एक तंत्र स्थापित करने पर सहमति जताई, ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। विश्लेषक उस समय को भी याद करते हैं, जब 2019 में प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान ईरान गए थे और अपने साथ आईएसआई के तत्कालीन महानिदेशक जनरल असीम मुनीर को ले गए थे, जो अभी पाकिस्तानी सेना के प्रमुख हैं। उस समय आतंकवाद पर स्पष्ट बातचीत से नीतिगत सफलता मिली थी। दोनों देशों के नेता आतंकवाद की गंभीर समस्या से निपटने के लिए एक तंत्र स्थापित करने पर सहमत हुए थे।
मानो पाकिस्तान की ये घटनाएं ही दुनिया को हैरान करने के लिए काफी नहीं हों, मुल्क में आठ फरवरी को होने वाले आम चुनाव से ठीक पहले पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री एवं पार्टी के वरिष्ठ नेता शाह महमूद कुरैशी को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 2023 के तहत स्थापित ट्रायल कोर्ट द्वारा साइफर मामले में दस साल की सजा सुनाई। साइफर मामला दो चीजों से संबंधित है। पहला, प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान को विदेश मंत्रालय से गोपनीय साइफर की एक प्रति दी गई थी, जो वाशिंगटन में पाकिस्तान के राजदूत के टेलीग्राम से संबंधित थी, जिन्होंने अमेरिकी अधिकारियों के साथ अपनी बैठक के बारे में कहा था कि बाइडन प्रशासन इमरान खान द्वारा दिए गए अमेरिका विरोधी बयानों से खफा है। इमरान खान ने राजनीतिक कारणों से साइफर का अवैध इस्तेमाल करते हुए कहा कि अमेरिकियों ने उनकी सरकार को हटाने की साजिश रची थी।
दूसरा मामला, जो इमरान खान के खिलाफ गया, वह यह था कि उन्होंने अदालत को बताया कि उन्हें नहीं मालूम कि साइफर की लापता प्रति कहां है। यह चौंकाने वाली बात है, क्योंकि प्रधानमंत्री इसे पढ़ने के बाद विदेश मंत्रालय को लौटाने के प्रति बाध्य हैं। इतना संवेदनशील दस्तावेज यों ही गायब नहीं हो सकता। इमरान खान को दूसरी सजा उनके बढ़ते कानूनी और राजनीतिक संकटों के बीच सुनाई गई है, क्योंकि क्रिकेटर से नेता बने इमरान को पहले भ्रष्टाचार के एक मामले में तीन साल की सजा सुनाई गई थी, जिसने उन्हें जेल की सजा के निलंबन के बावजूद आगामी आठ फरवरी के चुनावों से बाहर कर दिया। साइफर मामले में सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद ही जवाबदेही अदालत ने न केवल पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान, बल्कि उनकी तीसरी पत्नी बुशरा बीबी को भी एक अन्य मामले में 14 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। यह तोशाखाना मामला था, जो विदेशों में मिले आभूषण एवं अन्य महंगे उपहार तोशाखाना में जमा करने के बदले अपने पास रखने से संबंधित था।
मुझे याद नहीं आता कि पाकिस्तान के इतिहास में किसी पूर्व प्रधानमंत्री एवं उनकी पत्नी को एक साथ 14 वर्षों के लिए रावलपिंडी के एक ही जेल में एक साथ रखा गया। न ही इससे पहले कभी किसी राजनीतिक दंपती के साथ इस तरह का व्यवहार किया गया। पिता व बेटी को एक ही समय जेल में डालने का एक उदाहरण पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज शरीफ का है, पर उन दोनों को अलग-अलग जेलों में रखा गया था। जिस तरह इमरान खान को चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराया गया है, उसी तरह जब नवाज शरीफ को चुनाव से पहले अयोग्य ठहराकर जेल भेजा गया था, तो इमरान खान और उनकी पार्टी ने खुशी से मिठाई बांटी थी। हालांकि नवाज शरीफ ने इमरान की सजा को गंभीरता से लिया है, पर खुशी जाहिर करने से परहेज किया है।
पाकिस्तान में ऐसे बहुत से लोग हैं, जिनके मन में इमरान खान के लिए कोई सहानुभूति नहीं है और वे कहते हैं कि वह दंडित किए जाने योग्य हैं। उनका कहना है कि एक पूर्व प्रधानमंत्री साइफर जैसे गोपनीय दस्तावेज को सार्वजनिक नहीं कर सकता, झूठ नहीं गढ़ सकता, तथ्यों को विकृत नहीं कर सकता, विदेशी रिश्तों को खराब नहीं कर सकता, भ्रामक अभियान नहीं चला सकता और फिर खुद को निर्दोष नहीं बता सकता। जाहिर है, आने वाले महीनों में पाकिस्तान बहुत मुश्किल में दिखेगा।