महू के बड़गोंदा गांव का किसान गेंदालाल दसाना इंदौर कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी के पास 98 साल पुराना बॉन्ड लेकर पहुंचा। यह बॉन्ड उसके परदादा ने खरीदा था। इतना पुराना बॉन्ड देखकर कलेक्टर भी चौंक गए। गेंदालाल ने कलेक्टर से निवेदन किया कि उसके बांड की जानकारी जुटाकर उसे वह राशि दिलाने में मदद की जाए जो उसके परदादा ने इस बॉन्ड में निवेश की थी। कलेक्टर ने अधिकारियों को बॉन्ड की जानकारी जुटाने के लिए कहा है। किसान को पुराने घर में पुरखों के कागज के साथ मिले थे यह बॉन्ड।
अंग्रेजों के जमाने का बॉन्ड
बॉन्ड पर द बॉन्ड आफ द्वारकेश यूनिटी लिखा है। इंटरनेट पर इस बॉन्ड के बारे में यह जानकारी दी गई है कि इसे अंग्रेजों के जमाने में लांच किया गया था। गेंदालाल के पास इन बॉन्ड की अधिक जानकारी नहीं है वह बस इतना बता पाते हैं कि यह उनके परदादा ने खरीदा था।
इतने साल बाद कैसे मिला
गेंदालाल का कहना है कि पुराने घर की साफ सफाई के दौरान उन्हें यह मिला। इसके साथ दादा और परदादा के जमाने के कुछ कागज भी रखे थे। परिचित लोगों ने सलाह दी कि कलेक्टर कार्यालय से इसकी जानकारी मिल सकत है इसलिए मैं यहां पर आ गया।
क्या होते हैं बॉन्ड
अपने राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए सरकार बॉन्ड जारी करती है। इनके जरिए निवेशकों से धन जुटाया जाता है। बॉन्ड की मैच्योरिटी की अवधि एक से 30 साल तक हो सकती है। अगर निवेश के नजरिए से देखा जाए तो बॉन्ड को बहुत सुरक्षित माना जाता है। खासकर सरकारी बॉन्ड बहुत सुरक्षित है। कारण यह है कि इनमें सरकार की गारंटी होती है। बॉन्ड जमा करने के बाद निवेश की हुई राशि ब्याज समेत वापस ली जा सकती है।
43 साल पहले शेयर खरीदकर भूल गए, आज 1448 करोड़ रुपए कीमत
इससे पहले कई लोगों को इस तरह के बांड और शेयर बाजारों में निवेश के पुराने कागज मिले और वे करोड़पति बन गए। हाल ही में केरल के कोच्चि में रहने वाले बाबू जॉर्ज वालावी की खबर आई थी। करीब 43 साल पहले उन्होंने मेवाड़ आयल एंड जनरल मिल्स लिमिटेड के 3500 शेयर खरीदे थे। हाल में जब उन्होंने इन शेयर की जानकारी ली तो पता चला कि इनकी कीमत 1148 करोड़ रुपए हो गई है।