अग्नि आलोक
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आओ हम सब मिलकर होलिका जलाएं 

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,मुनेश त्यागी

हिंसा और शोषण की
अन्याय और भेदभाव की
अपराध, झूठ फरेब की
छल कपट, मक्कारी की होली जलाएं।

अत्याचार और भ्रष्टाचार की
जुल्मों सितम, अनाचार की
जातिवाद, संप्रदायवाद की
पूंजीवाद साम्राज्यवाद की होली जलाएं।

महंगाई और बेरोजगारी की
गरीबी और रिश्वतखोरी की
आपसी कलह, टांग खिंचाई की
अहम घमंड, आपसी दुश्मनी की होली जलाएं।

ग्रुपबाजी और जातिद्वेष की
धर्मांधता और अंधविश्वास की
गैरबराबरी और अहंकार की
बढ़ती आर्थिक असमानता की होली जलाएं।

छोटी सोच और छोटी बुद्धि की
नफरत और जोर जुल्म की
वधू दहन और बालिका विवाह की
दहेज प्रथा और भ्रुणहत्या की होली जलाएं।

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