ले-दे कर अपने इन्दौर के पास इतिहास के नाम है क्या? महज एक राजबाड़ा। इसे ही ऐतिहासिक धरोहर कह लो या शहर के इतिहास। कुल जमा राजबाड़ा ही हमारे शहर की पुरातत्व धरोहर हैं। राजबाड़ा से आप हम सबका लगाव जग जाहिर हैं। इस इमारत के प्रति शहर का अनुराग सिर पर आज तक चढ़ा हुआ हैं। शहर बहुत खुश होता है तो राजबाड़ा चला आता है। शहर बहुत दुःखी होता है तो भी राजबाड़ा चला आता है। आम आदमी के सुख दुःख का साथी हमारा राजबाड़ा। इसलिए इसका एक नाम जनता चौक भी हैं। बहुत कम लोगो मालूम होगा कि अरसे तक राजबाड़ा जनता चोक ही कहलाता था। आज इसी जनता चोक को लेकर सियासी चिकचिक शुरू हुई हैं।
राजबाड़ा पर ये रार-तकरार बरसो बरस बाद फिर हुई हैं। रार ओर तक़रार को हवा पानी प्रदेश के मुखिया दो दिन पहले दे गए। वो आये थे राजबाड़ा के कायाकल्प के बाद बदली रंगत का लोकार्पण करने। इस मौके पर उन्होंने कह दिया कि ये राजबाड़ा तो कांग्रेस ने बेच दिया था। हमने बचाया ओर आज दखिये कैसे सँवारा। मौके पर तो इस व्यक्तव के बाद खूब तालियां बजी लेकिन सब तक़रार चल रही हैं कि राजबाड़ा का खैरख्वाह आखिर कौन?
मजे की बात ये की जनता चोक की मिजाजपुर्सी को लेकर की जा रही राजनीतिक दलों की बयानबाज़ी से जनता को कोई मतलब नही। उसका तो अपना राजबाड़ा चक चकाट हो गया। ऐसा, जिसकी कल्पना इस शहर ने की ही नहीं थी। नही तो इस शहर ने बरसो बरस तक इस होलकर युगीन वैभवशाली इमारत को धूल धूसरित होते देखा हैं। 1984 का अग्निकांड इस इमारत को इतने गहरे जख्म देकर ग़या की उससे उबरने में मेरे राजबाड़ा को करीब करीब 40 साल हो गया। आज का राजबाड़ा हमे फिर से पुराने दिनों की याद दिलाता है कि वाकई किसी समय ये होलकरी इमारत इसी आन बान शान से खड़ी रही होगी। लेकिन इस पर शुरू हुआ सियासी तक़रार फिलहाल तो थमता नजर नही आ रहा।
*सीएम झूठे, बयान धूर्तता पूर्ण- गौतम*
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता संतोष सिंह गौतम ने कहा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान पूर्णतः भ्रामक, बरगलाने वाला और धूर्तता पूर्ण है। सच्चाई यह है कि जब होलकर राजवंश के तत्कालीन वंशज ने वर्ष 1968 में राजवाड़े का सौदा उद्योगपति कासलीवाल परिवार से कर दिया था, तब तत्कालीन कांग्रेसी महापौर सुरेश सेठ ने इस पर घोर आपत्ति ली व प्रदेश में काबिज कांग्रेस सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल ने राजवाड़ा को राष्ट्रीय धरोहर बताते हुए बचाया। हुए इसे बचाने का पवित्र और गौरवशाली काम किया था। मुख्यमंत्री ‘आदतन झूठे’ हैं। जब राजवाड़ा को बेचने का कुत्सित प्रयास हुआ था और बाला राव इंगले, शील कुमार निगम, शिवाजी मोहिते और सुभाष कर्णिक जैसे समाजसेवियों द्वारा इस ओर ध्यान इंगित किया गया, तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी, अगर उस समय प्रदेश में जनसंघ या भाजपा की कोई भ्रष्ट सरकार रही होती तो राजवाड़ा आज से 55 साल पहले ही ‘राष्ट्रीय धरोहर’ के बजाय ‘निजी संपत्ति’ में तब्दील हो चुका होता
*सौदा भी किया, जलाया भी- सलूजा*
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा का कहना है कि जब सौदा हुआ था, तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और सरकार के संरक्षण में यह सौदा हुआ था। जागरूक नागरिकों ने विरोध कर राजवाड़े को बिकने से बचाया था। यह भी सत्य है कि कांग्रेस की सरकार में ही राजवाड़ा जला था। सभी इस सच्चाई को जानते हैं कि 84 कांड के दंगों के दौरान ,राजवाड़े की दीवार से सटकर एक सिख व्यक्ति की दुकान थी जिसे कांग्रेस नेताओं ने ही आग के हवाले किया था और उसी आग से राजवाड़ा जला था, तभी से राजवाड़ा जर्जर था।प्रदेश में वर्षों तक कांग्रेस की सरकार रही और किसी ने भी राजवाड़े की सुध नहीं ली।