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चार दिनी इज्तिमा का समापन,

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77वें आलमी तबलीगी इज्तिमा का समापन सोमवार सुबह हुआ। मौलाना सआद साहब कांधालवी साहब ने दुआ कराई। दुआ ए खास के दौरान मौलाना सआद साहब ने पहले अरबी में दुआ की। इसके बाद मौजूद मजमे को जोड़ते हुए उर्दू में भी दुआओं का निजाम चला। 

ए अल्लाह, हम गुनाहगार हैं, खतावार हैं, तेरे हुक्म से गाफिल हैं, तेरी राह से भटके हुए हैं, तेरे नाफरमान हैं… लेकिन जो हैं, जैसे हैं तेरे बंदे हैं, तेरी किताब के कायल हैं, तेरे पैगंबर की सीरत को मानने वाले हैं….! ए अल्लाह हम सभी पर रहम फरमा दे….! 

पिछले तीन दिनों से ईंटखेड़ी में चल रहे 77वें आलमी तबलीगी इज्तिमा का समापन सोमवार सुबह इन दुआओं के साथ हुआ। मौलाना सआद साहब कांधालवी साहब ने यह दुआ कराई। दुआ ए खास के दौरान मौलाना सआद साहब ने पहले अरबी में दुआ की। इसके बाद मौजूद मजमे को जोड़ते हुए उर्दू में भी दुआओं का निजाम चला। 

आयोजन स्थल से लेकर तीन किमी तक सड़क खेत और घरों में बैठे लोगों ने आमीन कहा। दुआ ए खास में शिरकत के लिए बड़ी तादाद में लोगों ने रात से ही इज्तिमागाह पहुंचना शुरू कर दिया था। कुछ लोगों ने अल सुबह इज्तिमागाह का रुख किया। सुबह से दुआ के लिए दौड़ ने शहर की अधिकांश सड़कों को वाहनों से भर दिया। हर शख्स इस मजमा ए खास में शामिल होने के लिए उतावला दिखाई दे रहा था। जिस दौरान मौलाना सआद साहब दुआ कर रहे थे, सारा मजमा पिन ड्रॉप साइलेंट की मुद्रा में दिखाई दे रहा था। दूर दूर तक सिर्फ मौलाना सआद की आवाज गूंज रही थी और बीच बीच में लोगों की आमीन की आवाज़ें इसमें शामिल हो रही थीं।

बढ़ाना पड़ा दुआ का वक्त
आलमी तबलीगी इज्तिमा के आखिरी दिन सोमवार को सुबह 9.30 बजे दुआ ए खास होने का ऐलान किया गया था। इस लिहाज से लोगों का इज्तिमागाह पहुंचने का सिलसिला भी अल सुबह से शुरू हो गया था। लेकिन काजी कैंप से लेकर नबी बाग तक जारी मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए लगाए गए बैरिकेड्स यातायात व्यवस्था की बाधा बन गए। तमाम इंतजाम के बाद भी करोंद चौराहा, इस्लामपुरा जोड़, मुबारकपुर ओवरब्रिज पर कई जगह जाम के हालात बन गए। इसको देखते हुए दुआ के तय समय में इजाफा किया गया। मौलाना सआद साहब ने अपना बयान पूरा करने के बाद दोपहर करीब 12.22 बजे दुआ ए खास की शुरुआत की। मजमे में मौजूद करीब 12 लाख से भी ज्यादा लोगों दुआ के साथ आमीन की सदाएं गुंजायमान की। खामोशी के दुआ ए खास और आमीन का सिलसिला करीब 22 मिनट तक जारी रहा। दोपहर करीब 12.44 बजे दुआ पूरी होने के बाद भोपाल मरकज के इकबाल हफीज ने जमातियों को वापसी का शेड्यूल समझाया। 

शुरू हुआ रवानगी का सिलसिला 
दुआ के बाद लोगों की रवानगी का सिलसिला शुरू हो गया। यहां से कुछ लोग अपने घरों को लौटे तो कुछ दीन सीखने के मकसद से चार माह और चालीस दिन की जमातों में निकले। 29 नवंबर को हुई  शुरूआत के बाद सोमवार को इस मजहबी समागम का समापन हुआ। जिसमें करीब 12 लाख लोगों ने शिरकत की।

Bhopal Iztima News:  Four-day Ijtima concluded with Dua e Khas

भोपाल इज्तिमा के आखिरी दिन बड़ी संख्या में समाजजनों में आमद दर्ज कराई – फोटो : अमर उजाला

70 पार्किंग में वाहन, ट्रैफिक इंतजाम में हजारों लोग
चार दिन के आलमी तब्लीगी इज्तिमा में 12 लाख से ज्यादा लोग पहुंचे। हजारों वाहन थे। इज्तिमा स्थल ईटखेड़ी पहुंचने के रास्ते भी सीमित। बावजूद इसके न तो कही जाम लगा और न ही कहीं यातायात रुका। इन इंतजामों में लगे पुलिस, प्रशासन के अधिकारियों के साथ हजारों वॉलेन्टियर्स की कई दिनों की मेहनत के चलते ये आसान हो पाया। इज्तिमा के समापन के बाद रास्तेभर वॉलेन्टियर्स ने यातायात इंतजाम संभाले रखा।

चला तकरीरों का दौर 
चार दिन के इस आयोजन में देशभर से उलेमाओं की तकरीर हुई। सोमवार सुबह फजिर की नमाज के बाद की तकरीर में फिर से उन बातों को दोहराया गया। सुबह फजिर की नमाज के बाद मौलाना यूसुफ साहब कांधलवी ने बयान किया। इनके बाद मौलाना हसन साहब बलियावी ने तबलीग की मुख्य 6 बातों की तालीम दी। दुआ ए खास से पहले मौलाना सआद साहब ने जमात में निकलने वालों को खास ताकीद देते हुए बयान किया। चार दिन चलीं इन मजलिसों में उलेमा बोले अल्लाह की मर्जी के बिना कोई काम नहीं होता। ये अकीदा तोड़ने से खराब हालात होंगे। नेक राह जो बताई गई है, उस पर चलने वाले बनो तो तुम्हारी हर परेशानी खत्म हो जाएगी। आपसी रिश्ते बेहतर रखने और सबके काम आने की हिदायत भी मजमे को दी गई।

सबका शुक्रिया, सबका आभार
आलमी तब्लीगी इज्तिमा के दौरान सहयोग करने वाले सभी लोगों और संस्थाओं का इज्तिमा इंतेजामिया कमेटी ने अभार जताया। जिला प्रशासन, पुलिस, नगर निगम, पीएचई, विद्युत विभाग, रेलवे, स्वास्थ्य विभाग के सभी जमीनी कर्मचारियों व आला अधिकारियों का शुक्रिया अदा किया।

झलकियां 

  • आलमी तबलीगी इज्तिमा के पूरा होने पर होने वाली दुआ ए खास में शामिल होने लोगों ने अल सुबह से दौड़ लगा दी थी।
  • आमतौर पर ईद और बकरीद पर इतनी सुबह साफ सुथरे कपड़े, खुशबू लगाए और सिर पर टोपी सजाए मुस्लिम धर्मावलंबी सड़कों पर दिखाई देते हैं। आलमी तबलीगी इज्तिमा इस कड़ी का तीसरा आयोजन कहा जा सकता है।
  • इज्तिमागाह के आसपास स्थित खानपान दुकानों में नारायण नाश्ता हाउस और सहाय फूड कॉर्नर पर भी ग्राहकों की खासी भीड़ दिखाई दी। इज्तिमा परिसर में अनिल केतली में चाय लिए घूम घूम कर लोगों की खिदमत कर रहा था। जबकि सुरेश ने यहां मीठे लच्छे बेचता दिखा।
  • वापसी सफर के दौरान लोगों ने सड़क किनारे अस्थाई दुकानों से किसानों द्वारा बेची जा रही अमरूद, मूली, संतरे, मैथी आदि की जमकर खरीदी की।

तकरीरों में तालीम, भाईचारा, सामाजिक समरसता की बातें

77वें आलमी तबलीगी इज्तिमा के तीसरे दिन भी सुबह से उलेमाओं की तकरीर और बयान का सिलसिला जारी है। सुबह से रात तक चलने वाली इन तकरीरों में तालीम, भाईचारा, सामाजिक समरसता और अल्लाह की इबादत एवं फरमा बरदारी की ताकीद की जा रही है। रविवार सुबह तक इस मजमे में करीब 7 लाख से ज्यादा लोग मौजूद हैं, जिनमें देशभर की जमातों के अलावा करीब 24 विदेशी देशों के मेहमान भी शामिल हैं। उम्मीद की जा रही है कि रविवार की छुट्टी और सोमवार सुबह होने वाली दुआ ए खास के चलते इस मजमे में और इजाफा होगा। दुआ ए खास में करीब 12 लाख लोगों की शिरकत की उम्मीद की जा रही है।

उलेमाओं ने कहा- दीन को समझें, सबके लिए समभाव रखें

आलमी तब्लीगी इज्तिमा में दुनियाभर से आए मुसलमानों के बीच उलेमा इस्लामी शिक्षा, भाईचारे और सुधार का संदेश अपनी तकरीरों में दे रहे हैं। इस दौरान मौलाना जमशेद साहब ने इस्लामी जीवन के विभिन्न पहलुओं पर रोशनी डाली। उन्होंने ईमान की ताकत, इस्लामी अदब और दीन के प्रचार-प्रसार की अहमियत पर जोर दिया। मौलाना ने कहा कि दीन का काम केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह एक इबादत है, जो इंसान को अल्लाह के करीब ले जाती है। इसी तरह मौलाना सईद साहब के बयान का केंद्र इस्लामी अखलाक और समाजी सुधार था। उन्होंने बताया कि इस्लाम सिर्फ इबादत का मज़हब नहीं, बल्कि यह इंसानी जिंदगी के हर पहलू को संभालने वाला मज़हब है। मौलाना ने मुसलमानों से अपील की कि वे अपने किरदार से इस्लाम का सच्चा संदेश दूसरों तक पहुंचाएं। अपनी तकरीर के दौरान मौलाना मंज़ूर साहब  तौहीद और इख़लास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को हर समय अल्लाह पर भरोसा रखना चाहिए और अपने सभी कामों में उसकी रज़ा को प्राथमिकता देनी चाहिए। हर शाम मगरिब की नमाज के बाद होने वाली खास महफिल को दिल्ली मरकज से आए मौलाना सआद साहब कांधलवी संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने अपने उद्बोधन में सामाजिक समरसता पर जोर दिया। उनका बयान इस्लामी एकता और उम्मत के सुधार पर आधारित है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में मुसलमानों को अपनी खामियों को दूर कर आपसी इत्तेहाद को मजबूत करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि दीन के काम को बढ़ावा देने के लिए हर मुसलमान को अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभानी होगी।

Bhopal Iztima News: Talks of education, brotherhood, social harmony in the speeches in Aalmi Tablighi Ijtima

खिदमत से मिलता है खुदा…
आलमी तब्लीगी इज्तिमा  आयोजन के दौरान शहर के कई ऐसे बाशिंदें नजर आए, जो पूरे चार दिन लोगों के आने से लेकर लौटते तक की उनकी सभी व्यवस्थाएं करने में जुटे रहें। यह पहला मौका नहीं है, वे कई सालों से हर साल इज्तिमा आने जाने वाले लोगों की खिदमत करते हैं। उनका मुख्य काम भोपाल आए लोगों को इज्तिमागाह तक छोड़ना और खाने-पीने का इंतजाम करना होता है। इसी तरह खिदमत में शामिल 93 साल के मोहम्मद शम्मू भी हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने इज्तिमा की शुरुआत से ही यहां आने जाने वाले लोगों की ख़िदमत की है, उस समय जब इज्तिमा शुरू हुआ था, तब वे हम्माली का काम किया करते थे। तबसे आज तक हर इज्तिमा में लोगों की खिदमत के इरादे से आते हैं। वे कहते हैं कि हालांकि, अब मेरे बस की नहीं बची है, फिर भी आता ही हूं। पुराने वक्त में हम तांगों से लोगों को यहां से ताजुल मसाजिद पहुंचाते थे। उस टाइम भी ट्रेनों से लोग 24 घंटे आया करते थे। मुझे याद है उस टाइम ताज उल मसाजिद में चिम्नियां जला करती थीं। इसी तरह भोपाल के रहने वाले मोहम्मद अख्तर (77) ने बताया कि वह इज्तिमा में करीब 50 वर्षों से ख़िदमत कर रहे हैं। पहले और अब के दौर में बहुत फर्क है। लोग उस समय ट्रेनों से आना अधिक पसंद करते थे। भोपाल स्टेशन पर भारी भीड़ उतरती थी, हमारी कोशिश रहती थी कि लोगों की खिदमत या उनको मिलने वाली सुविधाओं को बेहतरी से पूरा करें। लोगों के आते थे हम अपने-अपने तांगे लेकर उन्हें ताजुल मसाजिद छोड़ दिया करते थे। उस टाइम ताजुल मसाजिद में भी बहुत अधिक इंतजाम नहीं हुआ करते थे, कई बार बारिश हो जाती थी तो कीचड़ मच जाती थी तो लोगों को आसपास की मस्जिदों में ठहराया करते थे। इसके अलावा वहां बहुत सारे महिलाएं आतीं थी जो बाहर खाना बनाने का काम किया करती थीं।

खर्च कर दी जिंदगी 
तबलीग से सिखाई जाने वाली भलाई की बातें और खुद की जिंदगी में एक बेहतर अनुशासन कायम रखने की नीयत से लोगों का जमातों में निकलने का सिलसिला करीब सौ बरस पुराना हो चुका है। भोपाल इज्तिमा में पहुंचे लोगों में कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा जमातों में गुजार दिया है। साथ ही कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने दीन की इस महफिल को पहली बार अनुभव किया है।

दीन की खिदमत बड़ा काम 
मूलतः मथुरा के रहने वाले शमसुद्दीन कारोबारी सिलसिले को पार करते हुए ग्वालियर होते हुए भोपाल पहुंच गए हैं। पुराने शहर के बाशिंदे शमसुद्दीन बताते हैं दुनिया में सब कुछ जरूरी है, लेकिन उससे बड़ा काम दीन की खिदमत है। वे बताते हैं कि करीब 55 बरस से वे लगातार जमातों और इज्तिमा का हिस्सा बन रहे हैं। घर के सुकून से ज्यादा जमातों में रहने वाले 90 वर्षीय शमसुद्दीन महीने में तीन दिन, साल में चालीस दिन जमात में आवश्यक रूप से जाते हैं। इसके अलावा वे कई बार चार महीने के चिल्ले पर भी कई बार जा चुके हैं। 

Bhopal Iztima News: Talks of education, brotherhood, social harmony in the speeches in Aalmi Tablighi Ijtima

भोपाल आलमी तबलीगी इज्तिमा – फोटो : अमर उजाला

कामयाबी का रास्ता इसी से होकर गुजरता है
मेडिकल डिपार्टमेंट में अकाउंटेंट रहे हाजी अनवर उल्लाह खान भी अपने रिटायरमेंट के बाद ज्यादा वक्त जमातों और तबलीगी काम में गुजारते हैं। करीब 30 वर्षों से लगातार आलमी तबलीगी इज्तिमा में शिरकत कर रहे 82 वर्षीय अनवर उल्लाह बताते हैं कि असल सुकून दीन की बात में है और कामयाबी का रास्ता भी इसी से होकर गुजरता है। उम्र 40 के पार ही पहुंची है, लेकिन काजी सैयद अनस अली नदवी ने जमातों का रास्ता छोटी उम्र से ही इख्तियार कर लिया था। चार महीने, चालीस दिन और तीन दिन की इज्तिमा हाजिरी उनकी अल्पायु से ही शुरू हो गई थी। काजी अनस बताते हैं कि इंसान के दुनिया में आने का असल मकसद मौत के बाद की जिंदगी को संवारना है। जमातों के रास्ते इसी के लिए मेहनत की जा रही है।
8 वर्षीय मेहरान पहली बार इज्तिमा में शामिल होने पहुंचे हैं। कुरआन की तालीम से फारिग होने के बाद वे नमाजों की पाबंदी करते रहे हैं। तफरीह के बतौर कई बार अपने वालिद शकील खान के साथ इज्तिमागाह भी पहुंचे। लेकिन ये पहला मौका है, जब वे पूरे तीन दिन की जमात के साथ इज्तिमा में पहुंचे हैं। स्कूल से छुट्टी और अपनी दैनिक दिनचर्या को नजरंदाज कर मेहरान ने जमात में शरीक होने का मकसद बेहतर तरबियत और कुछ अच्छे सबक सीखना बताया।

कल दुआ के साथ समापन
चार दिन के इज्तिमा का समापन सोमवार सुबह दुआ ए खास के साथ होगा। दुआ के लिए सुबह 9 बजे का वक्त मुकर्रर किया गया है। सुबह फजिर की नमाज के बाद मौलाना सआद साहब का खास बयान होगा। इस दौरान वे जमातों में निकलने वाले लोगों को इस सफर में अपनाए जाने वाले अखलाक, रखे जाने वाले ख्याल और किए जाने वाले काम समझाएंगे। इसके बाद सुबह करीब 9 बजे दुआ होगी। जिसके बाद लोग इज्तिमागाह से रुखसत होना शुरू हो जाएंगे। इज्तिमा प्रबंधन ने बताया कि दुआ के बाद इज्तिमा से करीब 2 हजार जमातें  देशभर के लिए निकलेंगी।

खास खास

  • इज्तिमा आयोजन के चलते पुराने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में सन्नाटे पसरे दिखाई दे रहे हैं। यहां बाजार बंद और लोगों की आवाजाही कम नजर आ रही है।
  • इज्तिमा में शामिल विदेशी जमातों के साथ द्विभाषी भी मौजूद हैं, जो उन्हें उलेमाओं के बयान का सार समझा रहे हैं। इसी तरह मूक बधीर जमातियों को भी सांकेतिक भाषा में बयान समझाए जा रहे हैं।
  • भोपाल टॉकीज से इज्तिमागाह तक यातायात व्यवस्था सम्हाल रहे वालेंटियर्स ने अपनी शिफ्टों का बंटवारा कर रखा है। लेकिन ड्यूटी के बाद भी वे अपने क्षेत्रों में ही मौजूद रहते हैं।
  • सियासी गतिविधियों से दूर इस आयोजन में जन प्रतिनिधियों का अप्रत्यक्ष जोड़ ही है। उन्हें भी इस आयोजन में आमजन की तरह ही शामिल होना पड़ रहा है।
  • इज्तिमा समापन के बाद सोमवार को विभिन्न पार्किंग से वाहनों को बारी बारी से निकाला जाएगा। पैदल, दोपहिया, छोटे वाहन और बाद में भारी वाहनों के निकलने की व्यवस्था है, ताकि शहर के यातायात पर प्रभाव न पड़े।
  • ताजुल मसाजिद में होने वाले आयोजन के दौर से इसी परिसर में एक बड़ा व्यापारिक मेला भी लगता आया है। गर्म कपड़ों के लिए मशहूर यह बाजार रस्ते का माल सस्ते में की तर्ज पर आकार लेता है। इसकी शुरुआत सोमवार शाम से होगी, जो करीब दो माह तक चलेगा।

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