अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे राम मंदिर उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जहां पूरे देश में जोर-शोर से तैयारी चल रही हैं, वहीं देश की राजनीति भी दो धड़ों में बँट गई है. इस मामले में खूब सियासत भी हो रही है. रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार कर कांग्रेस निशाने पर आ गई है. इस मुद्दे पर खुद कांग्रेस में ही दो फाड़ हो गए हैं. कुछ कांग्रेसी अयोध्या जाने से मना कर रहे हैं तो कुछ गाजे-बाजे के साथ अध्योध्या कूच की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि दोनों दिग्गज कांग्रेसियों के बेटों के राम प्रेम को देखकर राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि ये भविष्य में भगवा चोला धारण कर सकते हैं.
अयोध्या राम मंदिर पर हो रही राजनीति के खेल में कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के परिवार में फूट देखने को मिल रही है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने पार्टी के फैसले को दरकिनारा कर राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का ऐलान किया है.
विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश में कैबिनेट मंत्री हैं. उन्होंने कहा है कि वे 22 जनवरी को अयोध्या जाएंगे. प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए न्योता देने पर उन्होंने आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद को धन्यवाद भी दिया है. विक्रमादित्य सिंह का कहना है कि मंदिर में जाना कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है. ये उनका निजी मामला है. उन्होंने कहा कि भगवान राम में उनकी आस्था है, इसलिए वे इस ऐतिहासिक अवसर पर अयोध्या अवश्य जाएंगे. उन्होंने कहा कि राम मंदिर जाना उनकी व्यक्तिगत आस्था का विषय है. पार्टी से इसका कोई सरोकार नहीं है.
बता दें कि विक्रमादित्य सिंह की मां प्रतिभा सिंह हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष भी हैं. वे कांग्रेस की सांसद भी हैं. विक्रमादित्य सिंह के पिता वीरभद्र सिंह हिमाचल के छह बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. तीन साल पहले उनका निधन हुआ था. विक्रमादित्य की दलील है कि उनके पिता का राम जन्मभूमि से बहुत लगाव था. ध्यान रखने वाली बात है कि समान नागरिकता के मसले पर भी विक्रमादित्य के बयान को लेकर भी काफी चर्चा हुई थी.