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विभिन्न देशों के वाणिज्य दूतावास केंद्र इंदौर में खुलेंगे

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इंदौर। सरकार द्वारा इंदौर को महानगर का दर्जा देते हुए महानगरीय क्षेत्र के निर्धारण की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। महानगर बनने पर इंदौर में विभिन्न देशों के वाणिज्य दूतावास केंद्र खुलेंगे। इन केंद्रों के माध्यम से इंदौर विकास और प्रगति की राह पर बड़ी छलांग लगा सकेगा। ऐसे में आवश्यक है कि इन केंद्रों के लिए अभी से जमीन का आरक्षण कर दिया जाए।

देश में जिन भी स्थान पर महानगर बनाया जाता है, वहां पर विभिन्न देशों द्वारा वाणिज्य दूतावास केंद्र खोले जाते हैं। यह केंद्र वैश्विक व्यापार, निवेश को मजबूत करते हैं। मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे शहर अंतरराष्ट्रीय कंपनियों, विदेशी विश्वविद्यालय और मेडिकल टूरिज्म के लिए आकर्षण का केंद्र बन गए हैं। इन दूतावास केंद्र के माध्यम से निवेशकों को मार्गदर्शन प्राप्त होता है। व्यापार सम्मेलन का आयोजन होता है और स्टार्टअप को विश्व का बाजार मिलता है। वाणिज्य दूतावास केंद्र द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के साथ ही निर्यात को प्रोत्साहन दिया जाता है, जिससे इंदौर के एमएसएमई, टेक्सटाइल, फार्मा और फूड प्रोसेसिंग जैसे उद्योगों को वैश्विक बाजार मिल सकेगा।

इन केंद्रों के आगमन से इंदौर के आईआईटी और आईआईएम की वैश्विक स्तर पर ब्रांडिंग हो सकेगी। विदेशी विश्वविद्यालय के आगमन से इंदौर में शोध का केंद्र स्थापित हो सकेगा। अंतरराष्ट्रीय व्यापार सम्मेलन का आयोजन इंदौर में निवेश के अवसर कई गुना बढ़ा देगा। इस समय सरकार द्वारा इंदौर को महानगर का दर्जा देने और महानगर क्षेत्र का निर्धारण करने का कार्य किया जा रहा है।

इस कार्य के बीच में इंदौर के सांसद शंकर लालवानी द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखा गया है। इस पत्र में उन्होंने कहा है कि जब महानगरीय क्षेत्र का निर्धारण किया जा रहा है तो फिर ऐसे में इंदौर में विभिन्न देशों के वाणिज्य दूतावास और उच्चायोग मिशन की स्थापना के लिए स्थान आरक्षित करने की प्रक्रिया भी आरंभ करना आवश्यक है।

केंद्र सरकार के सहयोग से विभिन्न देशों के वाणिज्य दूतावास स्थापित करने के लिए अलग से एक क्षेत्र के विकास की आवश्यकता है। अभी ही यह निर्धारण कर लिया जाना चाहिए कि इंदौर में इन दूतावास की स्थापना कौन से स्थान पर की जाएगी। ध्यान रहे कि महानगर में विभिन्न देशों को दूतावास के लिए स्थान का आवंटन करना आवश्यक होता है। इस स्थान पर भवन का निर्माण संबंधित देश द्वारा ही कराया जाता है।

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