अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

सायबर ठगोरों ने लोगों को लगाई करोड़ों की चपत, लेकिन रुपए नहीं निकाल सके

Share

हाइटेक इंदौर पुलिस ने छह माह में 4 करोड़ रुपए से ज्यादा रिफंड कराए

इंदौर। जैसे-जैसे इंटरनेट का युग बढ़ रहा है वैसे-वैसे सायबर फ्रॉड के मामले भी दिनोदिन सामने आ रहे हैं। शातिर ठगोरों नए तरीके निकालकर लोगों को अपना शिकार बनाते हुए लाखों रुपए की चपत लगा देते हैं। शुरूआत में ये सायबर अपराधी पुलिस के लिए भी चुनौती बने हुए थे और इन तक पहुंच पाना तो इनका पता लगाना तक आसान नहीं था, लेकिन लगातार बढ़ते साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए इंदौर पुलिस ने भी हाइटेक तरीके अपना शुरू कर दिए। यही कारण है कि अब भले ही सायबर अपराधी पुलिस की गिरफ्त न आ पाते हो, लेकिन वे अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाते। दरअसल वे लोगों के माथ किसी न किसी तरह से ठगी तो कर लेते हैं, लेकिन इंदौर पुलिस उनके

हर वर्ष इतने करोड़ रुपए कराए वापस

आन लाइन फ्राड की शिकायतों में वर्ष 2021 में 1 करोड़ 37 लाख रुपए आवेदकों को वापस कराए गए थे जबकि कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद 2022 में 3 करोड़ 92 लाख रुपए और 2023 में 4 करोड़ 32 लाख रुपए रिफंड करवाए गए। वर्ष 2024 जनवरी से जून के शुरू के केवल 6 माह में आवेदकों के 4 करोड़ 9 लाख से अधिक राशि सकुशल वापस कराई गई।

मंसूबे धराशायी कर देती है। दरअसल सायबर ठगी होने के बाद इंदौर क्राइम ब्रांच पुलिस पीड़ितों को पैसा रिफंड करवाने में जुटी हुई है। 2024 के छह माह में ही क्राइम ब्रांच अभी तक 4 करोड़ रुपए से ज्यादा की फ्राड राशि रिफंड करवा चुकी है। सायबर अपराध रोकने के लिए नए आधुनिक संसाधनों का उपयोग करके इंदौर पुलिस द्वारा बीते तीन वर्षों में करोड़ों रुपए की राशि लोगों को दिलाई

जा चुकी है, जो सायबर ठगी का शिकार हुए थे। इतना ही नहीं सायबर क्राइम से बचने के लिए पुलिस के विशेष अभियान के तहत अभी तक क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी राजेश

फ्रॉड इन्सेस्टीगेशन सेल करती है काम

क्राइम ब्रांच द्वारा संचालित सायबर हेल्प वाइन, सिटीजन काप, एनसीआरपी पोर्टल आदि से प्राप्त ऑनलाइन फ्राड की शिकायतों पर क्राइम ब्रांच को फ्राड इनवेस्टीगेशन सेल द्वारा आवेदकों से फ्राड की जानकारी लेकर रिफंड करवाया जा रहा है। ठगी के शिकार व्यक्ति द्वारा तत्काल शिकायत करते ही यह सेल काम करना शुरू कर देती है और सबसे पहले उस खाते को फ्रिज करा दिया जाता है और राशि का आहरण रोक दिया जाता है। यदि ठगी की शिकायत करने में देरी हो जाती है तो फिर राशि का आहरण रोकना मुश्किल हो जाता है।

जनजागृति अभियान भी जारी

इसके साथ ही पुलिस आन लाइन फ्राड से बचने के लिए जनजागृति के तहत कार्यशालाओं का आयोजन निरतर कर रही है। पुलिस ने अपील की है कि आपके साथ किसी भी प्रकार की ऑनलाइन की धोखाधडी होने पर तत्काल क्राइम ब्रांच की सायबर हेल्पलाइन नंबर 704912,4445, 1930, सिटीजन काप, एनसीआरपी पोर्टल आदि से शिकायत करें।

दंडोतिया की कार्यशाला में अभी तक एक लाख से ज्यादा लोगों को सायबर क्राइम से बचने के टिप्स दिए जा चुके हैं। हालांकि इन सबके बाद बाद भी सायबर ठगी के मामले थम नहीं रहे हैं।

सायबर अपराधी इन तरीकों से करते हैं ठगी

ठग द्वारा कॉल कर स्वयं को बैंक अधिकारी बताकर क्रेडिट डेबिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने, गिफ्ट वाउचर रिडीम करने एवं

एनुअल चार्जेस कम करने का बोलकर ठगी की जाती है। नंबर सर्च करने पर संपर्क

जल्दबाजी एवं विश्वसनीयता की जांच किए बिना ई-कॉमर्सवेबसाइट, कोरियर, बैंक एवं वालेट्स कंपनी आदि के फर्जी कस्टमर केयर नंबर पर सर्च करने पर वे ठग के संपर्क में आ जाते हैं और खाते से पैसा गायब हो जाता है।

तत्काल मदद के नाम पर

ठग द्वारा परिचित बनकर झूठी निजी परेशानी बताकर तत्काल मदद ले नाम से फर्जी कॉल एवं सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क करके पैसे की मांग कर कई लोगों से ठगी हो चुकी है।

ऐप डाउनलोड करवाकर

ठग द्वारा बैंकिंग व बिजली विभाग के अधिकारी या अन्य किसी भी प्रकार का झूठ बोलकर संपर्क करके लोगों के मोबाइल रिमोटली एसेस हेतु एनीडेस्क, टीम व्यूवर, क्विक सपोर्ट आदि पेप डाउनलोड करवाकर भी आन लाइन ठगी की वारदातें होती हैं।

लिंक भेजकर

फर्जी वेबसाइट पर सोशल मीडिया आदि के माध्यम से लोगो की व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त कर संपर्क करके उन्हें फर्जी लिंक भेजकर ओटीपी पिन दर्ज करवाकर भी आन लाइन फ्राड की वारदातें होती हैं।

जॉब दिलाने के बहाने

ठग द्वारा सोशल मीडिया पर फर्जी विज्ञापन एवं वीडियो के माध्यम से वर्क फ्राम होम का प्रचार कर लोगो से संपर्क करके उन्हें पेंसिल, पेन पैकिंग, डाटा एंट्री या टाइपिंग वर्क जैसी फजी जाब दिलाने के नाम से भी कई आन लाइन ठगी के मामले सामने आ चुके हैं।

प्रलोभन देकर

यह भी हैएक तरीका

सेंट्रल फोर्स चीएसएफ, आर्मी, सीआईएसएफ आदि के नाम से ठग द्वारा लोगों से उनके प्रोफेशन के हिसाब से झांसा दिया जाता है कि हमें टीम के लिए आपकी सेवाएं चाहिए और आपको उसका पेमेंट एडवांस कर दिया जाएगा, उन्हें फर्जी लिंक या क्यू आर कोड भेजकर पेमेंट प्रोसेस की बात कहते हुए उनका खाता खाली कर दिया जाता है। वहीं बिजली अफसर बनकर कनेक्शन काटने का काल कर तत्काल बिजली बिल भुगतान करने के नाम से फर्जी लिंक भेजकर भी आन लाइन ठगी की वारदातें होती हैं।

सेक्सटार्शन से ठगी

ठग द्वारा सोशल मीडिया पर अनजान आकर्षक प्रोफाइल बनाते हुए लोगो से दोस्ती कर उनका न्यूड वीडियो कॉलिंग का वीडियो रिकॉर्ड कर सेक्सटोर्शन ठगी के भी कई मामले सामने आ चुके हैं।

टास्क बेस काम देकर

टेलीग्राम एवं व्हाट्सप ग्रुप के माध्यम से लोगो को टास्क बेस काम देना, जिसमे शुरू में छोटा इन्वेस्टमेंट में प्रॉफिट देते हुए बाद में लोगो से बड़ा इन्वेस्टमेंट करवाने के बाद आन लाइन फ्राड किया जाता है।

ऑनलाइन लॉटरी केबीसी, गिफ्ट, कैशबैक, लोन, बीमा एवं फेस्टिवल आफर्स में ऑनलाइन शॉपिंग आदि के प्रलोभन देकर भी ठग खाते से पैसे निकाल लेते हैं।

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें