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अमरत्व के दिवास्वप्न

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~सुधा सिंह

हर सच्चे और ईमानदार दिल के पास
कुछ निष्कलुष पश्चाताप होते हैं
और कुछ सादगी भरी उदासियाँ,
आँसुओं की कुछ पारदर्शी बूँदें,
कुछ खण्डित स्वप्न,
और कुछ टीसती स्मृतियाँ होती हैं.
खो गये और पीछे छूट चुके अपनों की,
आधे-अधूरे प्यार की,
कुछ मोहभंगों और कुछ विश्वासघातों की.

इनकी बदौलत वह
मोल समझता है
अँधेरे में चमकते जुगनुओं और
तारों से भरे आसमान का
और दोस्ती के लिए आगे बढ़े हाथ का
और उन तमाम सुन्दर चीज़ों का
जो बाज़ार की चकाचौंध भरी चमक में
नज़र नहीं आतीं
और आत्मा के उस उदात्त संगीत
की मद्धम स्वरलहरियों को
सुन सकता है जो सिक्कों की खनक
के कोलाहल में डूबी रहती हैं.

सीने में ऐसा ही धड़कता हुआ गर्म दिल
लिये हुए लोग झूठ और अन्याय के घटाटोप में भी
सच्चाई और न्याय के बारे में सोचते हैं
और इनके लिए लड़ते हैं
और आम लोगों की ज़िन्दगी की
अँधेरी खदानों में उतरकर
कविता के खनिज निकालते हैंI
ताक़तवर लोग ऐसे लोगों को पास बुलाते हैं,
उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं
और कहते हैं कि ऐसे गुणीजनों को
ताक़तवर होना चाहिए ताकि लोग उन्हें सुनें
और उन जैसा होने के बारे में सोचेंI

ताक़तवर लोगों के पास सत्ता होती है और
वे सच्चाई और न्याय की बात करने वाले लोगों को
यश-प्रतिष्ठा-पद देकर ताक़तवर और प्रसिद्ध
बनाने का प्रलोभन देते हैंI
जो लोग ताक़तवर लोगों के प्रस्ताव को
स्वीकार कर लेते हैं
वे विचारहीन अमानवीय उल्लासमय शोर
और अंधा कर देने वाली रोशनी में
जीने के आदी होते चले जाते हैं,
उनके हृदय में संचित मानवीय कोश
धीरे-धीरे ख़ाली हो जाता है
और फिर एक दिन ऐसा आता है कि
सच्चाई और इंसाफ़ के लिए लड़ने की बातें
उन्हें अव्वल दर्जे की बेवकूफ़ी लगने लगती हैI

लेकिन फिर भी वे जनता के आदमी ही
कहलाना चाहते हैंI
फिर वे स्मृतियों में बचे शब्दों और बिम्बों से
मायावी छलना कविताएँ लिखते हैं
और जनता और सत्ता — दोनों से
प्रशंसित होकर
अमर हो जाने के सपने देखने लगते हैंI

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