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बगैर चीरफाड़ के, डीएनए

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शशिकांत गुप्ते

DNA(डीएनए) ka full form: Deoxyribonucleic acid (डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड) मानव का शरीर तरह-तरह की कोशिकाओं से मिलकर बना होता है, जिसमें से एक अणु DNA होता है। आप डीएनए की सहायता से परिवार या किसी के वंश के बारे में आसानी से पता लगा सकते हैं। … डीएनए में पूर्ण रुप से जेनेटिक गुण पाए जाते हैं।
DNA शब्द चिकित्साविज्ञान की पाठ्यपुस्तक से बाहर आकर राजनीतिशास्त्र में समाहित हो गया है।
Genetic गुण मतलब
आनुवांशिक उत्पत्तिमूलक गुण।
राजनीतिशास्त्र में भी कुछ लोग शल्यक्रिया में निपुण हो गए हैं।
एक विज्ञापन का स्मरण होता है। ‘बिना चीरफाड़ के बवासीर की बीमारी का ईलाज।”
इसीतरह कुशल राजनेता स्वयं मात्र अंतर्ज्ञान से विपक्षी दल के डीएनए को ज्ञात कर लेतें हैं।
यदि डीएनए से आनुवांशिक गुण ज्ञात हो जातें हैं? तब तो स्वाभाविक ही बापू को इहलोक से परलोक भेजने वालों के डीएनए में भी आनुवांशिक गुण होंगे ही? इसीलिए उन्हें बापू की शहादत के सात दशक बाद भी बापू को परलोक पहुँचाने वाले को महिमामंडित करने कों कोई संकोच नहीं होता है।
आश्चर्य होता है यह सुन,पढ़ कर की जिस दल ने स्वतंत्रता के बाद देश में कुछ किया नहीं,उस दल की आवाज में इतना दम कैसे हो सकता है? वह दल मजदूरों को पलायन करने को प्रेरित करें और मजदूर ऐसे दल की एक आवाज पर पदयात्रा के लिए निकल पड़े?
एक सुविचार का स्मरण होता, कोई भी व्यक्ति दूसरों पर उंगली उठाता है तो तीन उंगलियां स्वयं पर उठती है।
स्वयं पर उठने वाली उंगलियां इंगित करती है कि, दूसरों पर आरोप लगाने पूर्व अपने जहन में भी झांक कर देख लेना चाहिए।
कारण उंगली उठाने वाले का भी तो डीएनए होता ही है।
आज जो डीएनए का प्रश्न उपस्थित कर रहें हैं। वे जब विपक्ष में तब भी उनके डीएनए में तात्कालिक सत्ता को कोसने की मानसिकता थी। आज वे स्वयं सत्ता में तब भी विपक्ष को कोसने की आदत इनके डीएनए में स्पष्ट दिखाई दे रही है।
डीएनए की खोज करने वाले चिकित्सा वैज्ञानिकों को आभार प्रेषित है ।
डीएनए की जाँच करने के लिए निश्चित ही शल्यक्रिया करनी ही पड़ती है।
विपक्ष के डीएनए की जाँच करने में निपुण लोग चुनाव प्रचार में विभिन्न प्रकार और आकार के रथ तैयार कर उनमें विराजित होकर शान से चुनाव प्रचार करतें हैं।
जब ऐसे बेशकीमती रथ चुनाव प्रचार में उपयोग में लाएं जातें हैं। तब डीएनए में लाखों मजदूरों को मजबूर होकर पदयात्रा करने के दिल दहलाने वाले विडिओ का स्मरण स्वाभाविक ही हो जाता है।
संत कबीरसाहब का इस दोहे का स्मरण यकायक हो गया।
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ।।
संत कबीरसाहब इस दोहे में स्वयं के डीएनए को ज्ञात करने के लिए,उपदेश देतें हैं।
मुख्यमुद्दा है, हम विपक्ष रहकर भी कुछ नहीं करेंगे,ना ही सत्ता में बैठकर। हमारे डीएनए में सिर्फ हमें आलोचना का अधिकार मिला है।
महामारी के दौरान पदयात्र करतें मजदूर,ऑक्सीजन के अभाव में परलोक सिधारते देशवासी,रामनामी चादर से अपनों के शवों को ढकने के लिए मजबूर परिजन,मुक्तिधामो के बाहर अन्तःक्रिया के प्रतीक्षा में लंबी कतारें, जल समाधि का पुण्य प्राप्त करने के लिए अभिषप्त प्रवित्र नदियों में तैरते शव,मरीज़ों को अस्पताल तक पहुँचाने वाली एम्बुलेंस का अभाव आदि की जांच में भी सम्भवतः वर्तमान विपक्ष का डीएनए ही दोषी पाया जाएगा?
राजनीति में पिछले लगभग डेढ़ दशक से एक शब्द का प्रचलन हुआ है, टुकड़े टुकड़े गैंग।
सड़क से लेकर संसद तक इस शब्द का प्रयोग हो रहा है।
आश्चर्य होता है एक मजबूत सत्ता के कार्यकाल काल में टुकड़े टुकड़े गैंग खुले आम देश में विद्यमान है।
यह वर्तमान सत्ता की उदारता है।
कारण सत्ता का स्लोगन है सबका साथ,सबका विकास,सबका विश्वास?
देश की स्वतंत्रता के 75 वे वर्ष में जनता की मूलभूत समस्याओं से ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दा डीएनए
का हो गया है।
इसके उपरांत भी हम गिरजा कुमार माथुर रचित गीत गातें रहेंगे।
हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब
हम होंगे कामयाब एक दिन
हो हो मन में है विश्वास
पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन

उम्मीद पर सिर्फ हम ही नहीं पूरी दुनिया कायम है।
यही तो डीएनए का कमाल है।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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