देश में कैंसर के जितने भी मामले हैं, उसमें से 8% मरीज ब्लड कैंसर से जूझ रहे हैं। भारत में हर साल ब्लड डिसऑर्डर से जुड़े करीब 1 लाख नए मामले सामने आते हैं। इनसे एक बात साफ है कि खून से जुड़ी बीमारियों के मामले कम नहीं हैं। इनसे लड़ने के लिए ब्लड स्टेम सेल डोनर्स का होना जरूरी है।
देश में केवल 0.03% लोग ही ब्लड स्टेम सेल डोनर्स के रूप में रजिस्टर्ड हैं। यह आंकड़ा दूसरे देशों की तुलना में बहुत कम है। राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. दिनेश भूरानी कहते हैं, थैलेसीमिया और एप्लास्टिक एनीमिया जैसी बीमारियों का एक मात्र इलाज है स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन।
एक स्वस्थ इंसान स्टेम सेल डोनेट करके कई मरीजों की जान बचा सकता है। जानिए क्या है स्टेम सेल और कैसे इसे डोनेट करके मरीज की जान बचाई जा सकती है…
क्या है ब्लड स्टेम सेल डोनेशन
डोनेशन से पहले यह जानिए कि ब्लड स्टेम सेल क्या होती है। स्टेम सेल शरीर की बोन मैरो में पाई जाती है। इसका काम ब्लड को बनाना है। स्टेम सेल ब्लड में पाई जाती है। स्टेम सेल डोनेट करने की प्रक्रिया ब्लड डोनेशन की तरह होती है।
डॉ. दिनेश कहते हैं, ज्यादातर लोगों को भ्रम है कि स्टेम सेल्स डोनेट करने पर शरीर में ये दोबारा नहीं बनेंगी, लेकिन ऐसा नहीं है। इसे डोनेट करने पर कोई कमजोरी नहीं महसूस होती और न ही किसी तरह का नुकसान होता है।
डोनेशन से पहले मरीज को जी-सीएसएफ इंजेक्शन लगाया जाता है। फिर स्टेम सेल डोनेशन की प्रक्रिया शुरू की जाती है। पूरी प्रक्रिया में 4 से 6 घंटे लगते हैं।
ऐसे बनें डोनर
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 18 से 50 साल की उम्र वाला एक स्वस्थ इंसान ब्लड स्टेम डोनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकता है। डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेशन इंडिया की वेबसाइट से भी रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने के बाद आपको एक स्वैब किट मिलेगी। इस किट की मदद से मुंह का सैम्पल लेना होगा। इस सैम्पल को किट में दिए पते पर भेजना होगा।
सैम्पल की टेस्टिंग करने के बाद अगर आपका ब्लड ग्रुप मरीज के ब्लड ग्रुप से मैच करता है तो डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेशन इंडिया के कोर्डिनेटर आपसे सम्पर्क करेंगे। वो आपको स्टेम सेल डोनेट करने में मदद करेंगे।