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ईडी के छापे से प्रदेश की जांच एजेंसियों पर गंभीर सवलिया निशान

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परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा के ठिकानों पर लोकायुक्त के छापे और उसके पहले ईओडब्ल्यू में हुई शिकायत मिलने के बाद दी गई क्लीन चिट पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। दरअसल आयकर विभाग के बाद लोकायुक्त के छापे के बाद जिस तरह से लेनदेन के दस्तावेज और संपत्ति का खुलासा हुआ है, उसमें करोड़पति के बाद आरक्षक अरबपति की श्रेणी में पहुंच गया है। इससे यह तो तय हो गया है कि लोकायुक्त छापे में बहुत बड़ी चूक हुई है।

अहम बात यह है कि नो दिन में तीन एजेंसियों ने छापे मारे हैं और हर बार  नई संपत्तियों का खुलासा होने के साथ ही दस्तावेज भी बरामद हुए हैं। इसमें सबसे बड़ा सवाल लोकायुक्त की कार्रवाई पर खड़े हो रहे हैं। ईडी के छापे में हुए खुलासे से  लोकायुक्त कार्रवाई पर यह बड़ा प्रश्न खड़ा हो रहा है कि  क्या राज्य की एजेंसी लोकायुक्त ने सभी दस्तावेजों को सही तरीके से नहीं खंगाला है।  महज 140 कदम दूर बन रही सौरभ के घर के पास बन रही उसकी नई कोठी की जांच क्यों नहीं की। जबकि मोहल्ले के हर व्यक्ति को इसकी जानकारी थी।। सौरभ के सबसे बड़े राजदार शरद जायसवाल के घर पर भी लोकायुक्त की टीम ने सर्चिंग  क्यों नहीं की, जबकि ईडी को उसके घर से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं।

मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग के पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा और उसके साथियों की काली कमाई से जांच एजेंसियां भी चकित हैं। लोकायुक्त पुलिस और आयकर विभाग के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। ईडी ने कहा कि सौरभ और उसके सहयोगियों के खिलाफ छापेमारी के दौरान करीब 33 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले हैं। केंद्र की इस एजेंसी ने इस मामले में 27 दिसंबर को राज्य परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा, उनके सहयोगी चेतन सिंह गौड़ और शरद जायसवाल समेत रिश्तेदार रोहित तिवारी सहित कुछ अन्य लोगों के खिलाफ राज्य की राजधानी भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में करीब 8 परिसरों में छापेमारी की थी। ईडी ने एक बयान में कहा कि ये लोग या तो अपराध की आय के संदिग्ध लाभार्थी थे या कथित तौर पर उसके मनी लॉन्ड्रिंग में सहायक थे। केन्द्रीय एजेंसी ने कहा कि तलाशी के दौरान बैंक खातों और संपत्तियों के विवरण की पहचान की गई और विश्लेषण में पाया गया कि सौरभ शर्मा ने अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों और उन कंपनियों के नाम पर कई संपत्तियां खरीदी हैं, जिनमें उनके करीबी सहयोगी निदेशक थे।

चेतन सिंह गौड़ के नाम पर 6 करोड़ रुपये से अधिक की चल संपत्ति मिली और सौरभ शर्मा के परिवार के सदस्यों और कंपनियों के नाम पर 4 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक जमा राशि पाई गई। ईडी ने दावा किया कि सौरभ शर्मा की तमाम कंपनियों और परिवार के सदस्यों के नाम पर 23 करोड़ रुपये से अधिक की अचल संपत्तियों से संबंधित कुछ दस्तावेज अन्य आपत्तिजनक  दस्तावेजों के साथ मिले हैं। एजेंसी ने कहा कि सौरभ शर्मा ने ये संपत्तियां कथित तौर पर राज्य परिवहन विभाग में कांस्टेबल के पद पर काम करने के दौरान भ्रष्ट तरीके से अर्जित अवैध पैसे से खरीदी थीं।

इससे पहले आयकर विभाग ने कुछ समय पहले सौरभ के सहयोगी चेतन सिंह गौर के वाहन से 52 किलोग्राम सोने की छड़ें और 11 करोड़ रुपए नकद बरामद किए थे। वहीं, लोकायुक्त पुलिस ने छापेमारी में सौरभ के ठिकानों से 234 किलो चांदी सहित 7.98 करोड़ रुपए की संपत्ति बरामद की थी। बता दें कि सौरभ शर्मा को 2015 में सरकारी डॉक्टर पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा मिली थी. उसे  मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में कांस्टेबल के रूप में नियुक्त किया गया था और उन्होंने 2023 में सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और फिर वह कंस्ट्रक्शन जैसे धंधों में उतर गया था।


सास के नाम पर भी भोपाल में खरीदी जमीन
ठ्ठ हुजूर तहसील के ग्राम कुशलपुरा में 0.400 हेक्टेयर भूमि 20 लाख रुपये में 25 मार्च 2023 को खरीदी।
ठ्ठ हुजूर तहसील के ग्राम सेवनिया गौड़ में 29 मार्च 2023 को 0.3927 हेक्टेयर कृषि भूमि, 70.21 लाख रुपये में खरीदी गई।

ठ्ठ हुजूर तहसील के ग्राम कुशलपुरा में 29 मार्च 2023 को कुल 1.22 हेक्टेयर भूमि 72 लाख रुपये में खरीदी गई।
ठ्ठ हुजूर तहसील के ग्राम भैरोपुरा में 13 अक्टूबर 2023 को सौरभ की पत्नी दिव्या तिवारी ने मां रेखा तिवारी के साथ मिलकर कृषि भूमि खरीदी, जिसकी कीमत 1.20 करोड़ रुपये थी।
ठ्ठ सौरभ की पत्नी दिव्या तिवारी ने 1 अप्रैल 2022 को भोपाल के मुंगालिया कोट में खरीदी 1.012 हेक्टेयर भूमि में से 0.506 हेक्टयर भूमि मां रेखा तिवारी को दान में दे दी।


किस आधार पर दी क्लीन चिट
 बताया जा रहा है कि सौरभ के काली कमाई की शिकायतें ईओडब्ल्यू में भी पहुंची थी, लेकिन उसका रसूख ऐसा था कि उसे वहां से क्लीनचिट दे दी गई थी। इस क्लीन चिट को लेकर इस एजेंसी की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अब सवाल यह बना हुआ है कि सौरभ की जांच करने वाले और क्लीनचिट देने वाले अफसरों पर क्या कार्रवाई होगी।


बहनोई बन गया ४ साल में जबलपुर का सबसे बड़ा बिल्डर
जांच में सामने आया है कि सौरभ रश्तेदारों को करोड़ों रुपए के गिफ्ट दिया करता था। उसने जबलपुर में रहने वाले अपने बहनोई रोहित तिवारी को तीन करोड़ रुपए की कोठी गिफ्ट की थी। इस कोठी का नाम उसने मां के नाम पर उमा निवास रखा है। पिछले चार सालों में सौरभ का जीजा रोहित जबलपुर के रियल स्टेट कारोबार में सक्रिय है। महज चार साल के भीतर उसका नाम जबलपुर के शीर्ष बिल्डर्स में शामिल हो चुका है। रोहित को सौरभ का सबसे बड़ा राजदार बताया जा रहा है।

वह जबलपुर के अन्य बिल्डर्स के लिए लाइजनिंग का काम भी करता था। उनके फंसे कामों को सौरभ ही सुलझाया करता था। ईडी ने 26 दिसंबर को उसके निवास पर भी छापा मारा था। उसके यहां से कई   अहम दस्तावेजों को जब्त किया गया है। इससे पहले लोकायुक्त ने 19 दिसंबर को सौरभ के घर रेड की थी, तभी से सौरभ ईडी और आईटी की रडार पर था। वह यश बिल्डर के नाम से फर्म का संचालन करता था। जबलपुर की चौकी ताल में फार्म लैंड से लेकर माढ़ोताल में कुछ कॉलोनियों में भी निवेश से जुड़े डॉक्यूमेंट रोहित के घर से ईडी की कार्रवाई की दौरान मिले हैं। सौरभ शर्मा की काली कमाई को बड़े पैमाने पर रोहित के प्रोजेक्ट में लगाया गया है। पिछले दिनों जबलपुर में दो अलग-अलग धार्मिक आयोजनों में रोहित की सक्रिय भागीदारी थी। इसमें सौरभ ने भी शिरकत की थी।

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