तीनों बिजली कम्पनियों ने बताया है १६१८ करोड़ का घाटा और नियामक आयोग से साढ़े ७ फीसदी दर वृद्धि की मांग
इंदौर। 1618 करोड़ रुपए के घाटे का हवाला देकर इंदौर सहित प्रदेश की तीनों बिजली कम्पनियों ने पिछले दिनों नियामक आयोग के समक्ष याचिका दायर कर 7.52 फीसदी दरें बढ़ाने की मांग की। आयोग ने हर बार की तरह दावे-आपत्तियों की सुनवाई की खानापूर्ति कर ली और अब संभवत: इसी हफ्ते बिजली महंगी करने का निर्णय ले लिया जाएगा, ताकि अप्रैल से यह दर वृद्धि लागू की जा सके। इसमें घरेलू, व्यवसायिक से लेकर कृषि सहित अन्य उपभोक्ताओं को अधिक दर चुकाना पड़ेगी। हालांकि जानकारों ने इस बात पर आपत्ति ली है कि बिजली कम्पनियों ने मनगढ़ंत घाटे के आंकड़े पेश किए।
एक तरफ बिजली कम्पनियों ने अपना घाटा बताया, तो दूसरी तरफ शासन ने भी 4 हजार करोड़ रुपए का नुकसान बताया है। दरअसल, सस्ती बिजली चुनावी वायदों के चलते देने के कारण भी ये कम्पनियां घाटे में आ गई, जिसका खामियाजा हर साल ईमानदार उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ता है, क्योंकि ये कम्पनियां इसी तरह हर साल घाटे का हवाला देकर दरें बढ़वा लेती है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए इन कम्पनियों ने 54637 करोड़ के राजस्व का अनुमान लगाया, जिसमें 4107 करोड़ का घाटा बताया गया है, जिसमें तीनों बिजली कम्पनियों के घाटे का आंकड़ा 1618 करोड़ रुपए है। इंदौर की बिजली कम्पनी ने 23132 करोड़ रुपए के राजस्व की जरूरत बताई है और वर्तमान में बिजली विक्रय से उसे 21514 करोड़ रुपए हासिल होते हैं, जिसमें 1618 करोड़ रुपए का घाटा है।
यानी इतना घाटा तो सिर्फ इंदौर की कम्पनी को ही है और दूसरी तरफ अन्य दोनों कम्पनियों के साथ राज्य शासन ने भी जो घाटा बताया है वह कुल 4107 करोड़ रुपए का है, जिसकी प्रतिपूर्ति 7.52 फीसदी दरें बढ़ाकर की जाएगी। अब देखना यह है कि नियामक आयोग कितनी फीसदी दरें बढ़ाने की अनुमति देता है, जो कि अगले माह अप्रैल से लागू होगी। यानी उपभोक्ताओं को बढ़ी हुई दरों का झटका लगेगा। घरेलू, कृषि, चार्जिंग स्टेशन, रेलवे, कोयला खदान, औद्योगिक, शॉपिंग मॉल से लेकर सार्वजनिक जल प्रदाय, सिंचाई और सभी कार्यों के लिए इस्तेमाल होने वाली बिजली की कीमतें बढ़ेंगी। घरेलू उपभोक्ताओं से ही दर वृद्धि के बाद 988 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय इन बिजली कम्पनियों को होगी, तो गैर घरेलू से 218 करोड़, जलप्रदाय संयंत्रों और स्ट्रीट लाइटों से 104 करोड़, निम्र दाब उद्योग से 62 करोड़ और कृषि संबंधी गतिविधियों से डेढ़ हजार करोड़ रुपए प्राप्त होना है।
वहीं कोयला, खदाने, शॉपिंग मॉल और अन्य उपभोक्ताओं से बढ़ी हुई दरें वसूलकर 4107 करोड़ रुपए अतिरिक्त कमाकर घाटे की पूर्ति की जाना है। इंदौर की पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी ने अपना घाटा 1618 करोड़ का बताया है, जो कि शेष अन्य दो वितरण कम्पनियों से अधिक ही है। घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं को अभी 151-300 यूनिट के मौजूदा टैरिफ लैप का जो लाभ मिलता है, उसे अब संशोधित कर 150 यूनिट तक ही सीमित किया जाएगा। यानी इससे अधिक बिजली जलाने वाले छोटे उपभोक्ताओं को भी बिजली की दरें अधिक चुकाना पड़ेगी। फिलहाल झुग्गी झोपड़ी समूह के लिए डीटीआर मीटर के माध्यम से जो टैरिफ है, उसे तब तक जारी रखा जाएगा जब तक कि घोषित और अघोषित अवैध कॉलोनियों में विद्युतीकरण के साथ सभी उपभोक्ताओं का मीटरीकरण नहीं हो जाता। स्मार्ट मीटर वाले उपभोक्ताओं के लिए सुबह 9 से 5 बजे ऑफ पीक अवधि के दौरान खपत की गई ऊर्जा के लिए सामान्य दर पर 20 फीसदी की टीओडी छूट भी प्रस्तावित की गई है। सूत्रों का कहना है कि इसी हफ्ते नियामक आयोग दर वृद्धि की मंजूरी दे देगा और संभव है कि 1 अप्रैल नए वित्त वर्ष से ही ये बढ़ी हुई दरें इंदौर सहित प्रदेशभर के हर श्रेणी के बिजली उपभोक्ताओं पर लागू हो जाएगी।
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