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ईएमएस नंबूद्रीपाद भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के नवरत्न 

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 मुनेश त्यागी 

    भारतवर्ष में वैसे तो बहुत सारे राज्य हैं मगर इन सब में दक्षिणी भारत में स्थित केरल राज्य, पूरे भारत में एक विशिष्ट स्थान रखता है। इसके बहुत सारे कारण हैं। केरल प्रदेश, सम्पूर्ण भारत में आज शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, मानव विकास की ऊंचाईयां छू रहा है। वह केरल के किसानों को उनकी लगभग सभी फसलों का एमएसपी देने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। केरल आज विकास की तमाम ऊंचाइयां छू रहा है। विकास के इन बुनियादी मुद्दों का पौधा सबसे पहले ईएमएस नम्बूदरीपाद और उनकी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार ने ही लगाया था, जो आज केरल में फल फूल दे रहा है और विकास के शिखर पर पहुंच गया है। ईएमएस नंबूद्रीपाद इसी प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे।

        नंबूद्रीपाद का पूरा नाम ईलमकुलम मनक्कल संकरण नंबूदरीपाद था। इनके पिता एक बड़े ब्राह्मण जमींदार थे। इनका जन्म 13 जून 1909 को हुआ था और इनका निधन 19 मार्च 1998 को हुआ था। नंबूद्रीपाद 1931 में सत्याग्रह आंदोलन में शामिल हुए और 1934 में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक संयुक्त सचिव केरल नियुक्त किए गए। 1936 में इन्होंने अपने चार साथियों के साथ मिलकर कम्युनिस्ट पार्टी केरल का गठन किया।

     1957 के चुनावों में केरल में कम्युनिस्ट पार्टी की भारी जीत हुई और दुनिया में पहली बार जनतांत्रिक तरीके से चुनी गई भारत में पहली कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी। सरकार के जनकल्याणकारी कामों से, केरल के जमीदारों और शोषण करने वालों की नींद उड़ गई, जिस कारण कम्युनिस्ट पार्टी के कामों से डरकर 1959 में केंद्र सरकार ने धारा 356 का असंवैधानिक प्रयोग करके नम्बूदरीपाद की कम्युनिस्ट पार्टी की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को बर्खास्त कर दिया।

    नंबूद्रीपाद को 1962 में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी का महासचिव चुना गया और वे 1964 में पार्टी विभाजन के समय सीपीआईएम में चले गए। 1967 में उन्हें दोबारा केरल का मुख्यमंत्री चुना गया। वे 1977 से 1992 तक कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के महासचिव रहे।

     कामरेड नंबूद्रीपाद आधुनिक केरल के निर्माता थे। वे संयुक्त मोर्चा सरकारों के प्रथम शिल्पी थे। इसके बाद से आज तक भारत में शासक वर्ग और मजदूर किसान वर्ग दोनों, केन्द्र व राज्यों में संयुक्त मोर्चों  की सरकार बनाते रहे हैं और उसी आधार पर सरकार चलाते रहे हैं। कम्युनिस्टों को गाली देने वाले सांप्रदायिक मोदी की सरकार भी उसी संयुक्त मोर्चे के आधार पर चल रही है। 

    नम्बूदरीपाद एक महान लेखक थे। उन्होंने 90 से अधिक पुस्तकों की रचना की थी। उन्होंने दर्शन, अर्थशास्त्र, इतिहास, राजनीति, भाषा, सौंदर्यशास्त्र आदि विषयों का अध्ययन करके अपनी किताबें लिखीं और अपने क्रांतिकारी लेखन को नया आयाम दिया। 1968 में लिखी गई उनकी “आत्मकथा” मलयालम साहित्य की आज तक की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है।

    उनके समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, जनवादी और साम्यवादी महान कार्यों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। आइए उन पर एक नजर डालते हैं। सबसे पहले उन्होंने उत्तराधिकार में मिली अपनी सारी संपत्ति पार्टी को दान कर दी और बाद में पता चला कि वे किराए के मकान में रहते थे। उन्होंने केरल में बहुवांछित भूमि सुधार किए और “जमीन जोतने वाले को”, के नारे को सबसे पहले भारत की जमीन पर उतारा। इसी कारण केरल के सारे जमींदार, उनको और उनकी साम्यवादी सरकार को अपना शत्रु मारने लगे। भारत के इतिहास में किसानों और खेतिहर मजदूरों को फालतू जमीन का पहला वितरण, उनकी सरकार ने ही किया था।

     उन्होंने भारत के कम्युनिस्ट आंदोलन में सबको शिक्षा, सबको काम और सब के स्वास्थ्य के नारे को अक्षरशः धरती पर उतारा और वे यकायक केरल की जनता के और भी बड़े हीरो बन गए। उन्होंने अपनी जन समर्थक आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक नीतियों को जमीन पर उतारा और केरल को भारत में सबसे विकसित और आधुनिक, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और जनतंत्र के विचारों को अमलीजामा पहनाया। नेहरू के नेतृत्व में तत्कालीन केंद्रीय सरकार और उनके केरल के नेता और वहां के जमींदार, यह सब सहन नहीं कर पाए और उन्होंने धारा 356 का असंवैधानिक प्रयोग करके जनता द्वारा चुनी गई सरकार को गिरा दिया और जनता के असली जनवाद और विचारों को धराशाई कर दिया।

    नम्बूदरीपाद की सरकार ने केरल में आधुनिक विचारों यानी शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास, रोजगार, सबका विकास और प्राकृतिक संसाधनों का केरल की सारी जनता के विकास के लिए प्रयोग किया था और यह प्रयोग इतना व्यापक गहरा और विस्तृत था कि आज भी वह केरल भारत के कम्युनिस्टों और वामपंथियों का अजय दुर्ग बना हुआ है। आज भी केरल शिक्षा, स्वास्थ्य, आमजन की बेहतरी और आमजन की खुशी का भारत में सर्वश्रेष्ठ केंद्र बना हुआ है।

     नम्बूदरीपाद के जीवन और शासनकाल में जनकल्याण के लिए बोई गई फसल, आज भी केरल में लहलहा रही है। केरल अधिकांश क्षेत्रों में भारत में सर्वोच्च और सर्वश्रेष्ठ स्थान हासिल किए हुए है। केरल की जनता का मानसिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक स्तर आज भी भारत में सर्वोच्च बना हुआ है। वहां पर आदमी का आधुनिक, असली और सच्चा रूप और प्रकृति देखी जा सकती है। वहां पर आधुनिक और असली मानव का और सच्चे भारतीयों का निर्माण किया गया है। हम सब को केरल से सीखने की जरूरत है और ईएमएस नंबूद्रीपाद के सपनों का भारत बनाने की जरूरत है। सच में केरल को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने का सबसे ज्यादा श्रेय नम्बूदरीपाद के नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी की जनकल्याणकारी नीतियों को जाता है। 

      हम यहां पर बहुत जोर देकर कहेंगे कि सारे भारतीयों को, भारत माता के बेटे बेटियों को, एक बार केरल का भ्रमण करके वहां की हालात के बारे में जरूर जानकारी करनी चाहिए। तभी जाकर जाना जा सकता है कि केरल की जनता कितनी जागरूक है, केवल तभी जाकर पता चलेगा कि केरल की जनता ने वामपंथी मोर्चे के शासन में, कितना मानवीय विकास किया है।

    ईएमएस नम्बूदरीपाद भारतवर्ष के सर्वश्रेष्ठ सपूतों में से एक हैं। हम नंबूद्रीपाद की कार्यप्रणाली से, उनके विचारों से बहुत कुछ सीख सकते हैं और एक संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, जनवादी, गणराज्य की स्थापना कर सकते हैं और इस अभियान में शामिल हो सकते हैं जिसमें सब को न्याय मिले, समता मिले, आजादी मिले, समानता मिले, जिसमें भाईचारा हो, सब मिलजुल कर रहते हों और सब लोग भारत की सारी जनता के विकास के बारे में सोचते हों। अब यह हम सब की जिम्मेदारी है कि हम कामरेड ईएमएस नम्बूदरीपाद के जनवादी, धर्मनिरपेक्ष, प्रगतिशील, न्यायप्रिय और समाजवादी विचारों को आत्मसात करें और उनके सपनों का भारत बनाने के अभियान में तन मन धन से अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।

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