दुनिया का सबसे ताकतवर रॉकेट बुधवार को लॉन्च के बाद गल्फ ऑफ मैक्सिको के ऊपर एक्सप्लोड हो गया। इसे शाम करीब 7 बजे टेक्सास के बोका चिका से लॉन्च किया गया था। ये स्टारशिप का पहला ऑर्बिटल टेस्ट था। इससे पहले मंगलवार को भी इसे लॉन्च करने की कोशिश की गई थी, लेकिन प्रेशर वाल्व के फ्रीज होने के कारण लॉन्च 39 सेकेंड पहले रोक दिया गया।
स्टेनलेस स्टील से बने स्टारशिप को दुनिया के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने बनाया है। स्पेसएक्स ने कहा, स्टेज सेपरेशन से पहले स्टारशिप ने रेपिड अनशेड्यूल्ड डिसअसेंबली एक्सपीरियंस की। इस तरह के एक टेस्ट के साथ, हम जो सीखते हैं उससे सफलता मिलती है। आज का टेस्ट हमें स्टारशिप की रिलायबिलिटी में सुधार करने में मदद करेगा।
रॉकेट का लॉन्चपैड से उड़ना ही बड़ी सफलता
स्पेसएक्स ने कहा, स्टारशिप के पहले फ्लाइट टेस्ट के लिए पूरी स्पेसएक्स टीम को बधाई। टीमें डेटा को रिव्यू करना जारी रखेंगी और अगले फ्लाइट टेस्ट की दिशा में काम करेगी। स्टारशिप के फेल होने के बाद भी स्पेसएक्स हेडक्वार्टर में एम्प्लॉइज खुशी मनाते दिखाई दिए क्योंकि, रॉकेट का लॉन्चपैड से उड़ना ही बड़ी सफलता थी।
स्टारशिप इंसानों को मंगल पर पहुंचाएगा
ये लॉन्चिंग इसलिए अहम थी क्योंकि ये स्पेसशिप ही इंसानों को इंटरप्लेनेटरी बनाएगा। यानी इसकी मदद से पहली बार कोई इंसान पृथ्वी के अलावा किसी दूसरे ग्रह पर कदम रखेगा। मस्क साल 2029 तक इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाकर वहां कॉलोनी बसाना चाहते हैं। स्पेसशिप इंसानों को दुनिया के किसी भी कोने में एक घंटे से कम समय में पहुंचाने में भी सक्षम होगा।
स्टारलिंक का पहला ऑर्बिटल लॉन्च मंगलवार को फ्यूल भरते समय प्रेशर वाल्व के फ्रीज होने के कारण टालना पड़ा था।
यहां कई लोगों के मन में सवाल होगा कि आखिर हमें पृथ्वी से 23 करोड़ किलोमीटर दूर मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की क्या जरूरत है? वहीं कुछ का सवाल ये भी होगा कि इतनी दूर जाने में कितना समय लगेगा, इसकी प्रोसेस क्या होगी? इंसान कैसे इस रेड प्लेनेट से वापस आएंगे? स्टारशिप की टेक्नोलॉजी क्या है? स्टारशिप क्या-क्या कर सकता है? तो चलिए एक-एक कर जानते हैं इन सवालों के जवाब…
सबसे पहले बात स्टारशिप की… इससे इस पूरे लॉन्च को समझना आपके लिए आसान हो जाएगा
स्पेसएक्स के स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी रॉकेट को कलेक्टिवली ‘स्टारशिप’ कहा जाता है। ये एक रीयूजेबल ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम है। इसमें एडवांस्ड रेप्टर इंजन लगे हैं।
दुनिया का सबसे पावरफुल व्हीकल
स्टारशिप अब तक का डेवलप दुनिया का सबसे पावरफुल लॉन्च व्हीकल है। ये पूरी तरह से रियूजेबल है और 150 मीट्रिक टन भार ले जाने में सक्षम है। स्टारशिप सिस्टम 100 लोगों को एक साथ मंगल ग्रह पर ले जाएगा। मस्क 10 अप्रैल को ही स्टारशिप को लॉन्च करना चाहते थे, लेकिन तब US फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन यानी FAA से अप्रूवल नहीं मिल पाया था।
अगर लॉन्च सफल होता तो पूरी प्रोसेस कुछ ऐसी होती
ये पूरा लॉन्च 90 मिनट का था। टेस्ट फ्लाइट के दौरान, लिफ्ट ऑफ के लगभग 3 मिनट बाद बूस्टर अलग हो जाता और गल्फ ऑफ मैक्सिको में लैंड कर जाता। शिप 150 मील यानी 241.40 किलोमीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर पृथ्वी के चक्कर काटता और फिर हवाई कोस्ट पर स्पैल्शडाउन होता। यानी इस टेस्ट में स्टारशिप वर्टिकल लैंडिंग अटेम्प्ट नहीं करता। नीचे दिए ग्राफिक्स से लॉन्च की पूरी प्रोसेस को आप आसानी से समझ सकते हैं।
मिशन के सफल होने की संभावना केवल 50% थी
एलन मस्क ने लॉन्च से पहले ही कहा था कि स्टारशिप के पहले ऑर्बिटल मिशन के सफल होने की संभावना केवल 50% है, लेकिन उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि स्पेसएक्स साउथ टेक्सास साइट पर कई स्टारशिप व्हीकल बना रहा है। इन्हें आने वाले महीनों में जल्दी-जल्दी लॉन्च किया जाएगा और लगभग 80% संभावना है कि उनमें से एक इस साल ऑर्बिट में पहुंच जाएगा।
स्टारशिप क्या-क्या कर सकता है?
- पेलोड डिलीवरी
- मून मिशन्स
- अर्थ-टु-अर्थ ट्रांसपोर्टेशन
- इंटरप्लेनेटरी ट्रांसपोर्टेशन
फ्यूचर में मंगल ग्रह पर कैसे पहुंचेगा स्टारशिप?
स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी रॉकेट मिलकर रियूजेबल ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम बनाते हैं जो ऑर्बिट में रिफ्यूलिंग करने में सक्षम है। ये सिस्टम मार्स की सरफेस पर मौजूद नेचुरल H2o और Co2 के रिसोर्सेज से खुद को रिफ्यूल भी कर सकता है। इंसानों पर मंगल ग्रह पर भेजने की बात करें तो सुपर हैवी बूस्टर के साथ स्टारशिप को लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद बूस्टर अलग हो जाएगा और पृथ्वी पर लौट आएगा।
अब पृथ्वी से एक रिफ्यूलिंग टैंकर लॉन्च होगा। ये टैंकर ऑर्बिट में स्टारशिप से डॉक हो जाएगा और रिफ्यूलिंग के बाद वापस पृथ्वी पर लौट आएगा। स्टारशिप अब पृथ्वी के ऑर्बिट से मंगल की अपनी यात्रा शुरू करेगा। स्टारशिप मंगल ग्रह के वायुमंडल में 7.5km/sec की रफ्तार से प्रवेश करेगा और फिर धीमा हो जाएगा। इस व्हीकल की हीट शील्ड को कई मल्टिपल एंट्री के लिए डिजाइन किया गया है। धीमा होने के बाद स्टारशिप मंगल पर लैंड कर जाएगा। मंगल ग्रह पर पृथ्वी से पहुंचने में करीब-करीब 9 महीने का समय लगेगा और वापस आने में भी इतना ही।
मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की क्या जरूरत?
मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की जरूरत पर एलन मस्क कहते हैं- ‘पृथ्वी पर एक लाइफ एंडिंग इवेंट मानवता के अंत का कारण बन सकती है, लेकिन अगर हम मंगल ग्रह पर अपना बेस बना लेंगे तो मानवता वहां जीवित रह सकती है।’ करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर डायनासोर का भी अंत एक लाइफ एंडिंग इवेंट के कारण ही हुआ था। वहीं प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग ने भी 2017 में कहा था कि अगर इंसानों को सर्वाइव करना है तो उन्हें 100 साल के भीतर विस्तार करना होगा।
मस्क का जैपनीज बिलेनियर से मून ट्रिप का वादा
स्टारशिप का सबसे बड़ा टारगेट इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाना है। इसके अलावा इंसानों को चंद्रमा पर पहुंचाने के नासा के मिशन में भी स्टारशिप लैंडर का काम करेगा। मस्क का प्लान स्टारशिप का इस्तेमाल स्पेस टूरिज्म के लिए करना भी है। मस्क ने एक जैपनीज बिलेनियर युसाकु मेजवा से चंद्रमा के चारों ओर की ट्रिप का वादा किया है।