पुष्पा गुप्ता
जब हम छोटे थे तो परीक्षा के बाद छुट्टियों में गांव जाते थे। वहां ममेरे भाई_बहन के साथ बहुत उधम मचाते थे। खेतों में फसलें देखते, पेड़ों पर चढ़ते,इमली तोड़ कर खाते, बड़ा ही मज़ा आता था। अनाज चुरा कर आइसक्रीम खरीद कर खाते थे।
वैसे अब लगता है कि अनाज जानबूझ कर नानी ऐसी जगह रखती थी कि हम आराम से चुरा लें। वे एक डंडा लेकर हमारे पीछे दौड़ती और झूठमूठ का गुस्सा दिखाती रहती थी।
शाम को बड़े से ग्लास में हम हल्के गुलाबी रंग का स्वादिष्ट दूध पीते थे। बहुत हीअच्छे दिन थे वो।
सारे बच्चों में मैं ही सबसे बड़ी थी। इस बार मैं कक्षा ५ की परीक्षा देकर ननिहाल गई थी.
एक दिन नाना जी बोले : “चलो आज एक सवाल पूछता हूं। तुम तो शहर में पढ़ती हो,सब जानती होगी।”
मैं भी बड़ी उत्सुक थी।
वे बोले : सवाल इस प्रकार है।
एक किसान के चार बेटे है और 16 भैंस। भैंस के नाम संख्या के हिसाब से है और उसी प्रकार से वो दूध देती हैं। जैसे : 1 नंबर वाली एक किलो, 2 नंबर वाली 2 किलो…….और 16 नंबर वाली 16 किलो दूध देती है।
अब किसान बूढ़ा हो गया है। उसे बेटों में भैंसो का बटवारा करना है। लड़ाई न हो इसके लिए सबको बराबर दूध मिलना जरूरी है। वे सब अपनी- अपनी भैंसे लेंगे. खुद सेवा करेंगे और खुद दूध निकालेंगे।
अब बताओ, किसको कौन-से नंबर की भैंस दी जाए कि सबको बराबर मात्रा में दूध मिले।
मुझे सवाल हल करने के १० मिनिट दिए गए। इतना कठिन सवाल तो मैंने जीवन में कभी हल ही नही किया था।
नन्हीं सी जान और सवाल का इतना बड़ा तूफान।
मैंने यह तो बता दिया था कि हर एक बेटे को 34 लीटर दूध मिलेगा। पर किसको कौनसे नंबर की भैंस मिलनी चाहिए, यह मैं 15 मिनिट तक भी हल नहीं कर पाई।
नानाजी और उनके मित्र बहुत हंसे। बोले क्या हुआ बिटिया तुम तो देहाती का उत्तर दे ही नही पा रही।
मेरे दादा जी उनकी जवानी में बच्चों को पढ़ाते थे. फिर सब छोड़ कर खेती बाड़ी में लग गए।
उसके नानाजी ने 30 सेकंड में ही सवाल हल कर दिया। आज नानाजी तो नही हैं,पर उनका यह सवाल मैं कभी नही भूलती।
शिक्षिका हूँ। बच्चों से यह सवाल पूछती हूँ, तो जबाब उनको भी नहीं आता। उसके ट्यूशन टीचर को भी नही आता।
आपके लिए यह सवाल हल कर देती हूँ :