*राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम दिया ज्ञापन*
*इंदौर।देश के 10 प्रमुख केन्द्रीय श्रम संगठनों व एसोसिएशन/फैडरेशन एवं सयुक्त किसान मोर्चा के सयुक्त आव्हान पर पूरे देश में केन्द्र सरकार की मजदूर किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ कार्यवाही की गई । इसी के तहत आज दोपहर 12:00 से 2:00 तक संभागीय कमिशनर कार्यालय इंदोर के समक्ष धरना दिया जाकर राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री के नाम ज्ञापन सोपा गया ।*
संविधान दिवस के मौके पर इंदौर में भी संभाग आयुक्त कार्यालय पर किसानों और मजदूरों का प्रभावी धरना हुआ । धरने का नेतृत्व श्याम सुंदर यादव,, रुद्रपाल यादव, रामस्वरूप मंत्री, कैलाश लिंबोडिया ,अरुण चौहान, बबलू जाधव ,शैलेंद्र पटेल, प्रमोद नामदेव ,सोनू शर्मा हरि ओम सूर्यवंशी आदि ने किया । धरने में इंटक,एटक,सीटू,एच एम एस,एआई यूटी सी यू, संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान संघर्ष समिति, अखिल भारतीय किसान सभा, अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन,
भारतीय किसान मजदूर सेना, भारतीय किसान खेत मजदूर यूनियन, सिटी ट्रेड यूनियन कौन्सिल,सयुक्त ट्रेड यूनियन कौन्सिल से जूडे किसान, मजदूर, बैंक, बीमा कर्मचारी और युवा ट्रेड यूनियन कार्य कर्ता शरीक हुए। धरने के बाद संभाग आयुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया और राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया ।
ज्ञापन में कहा गया है कि भारत के किसान और मजदूर आज 26 नवम्बर 2024 को देश भर में सड़कों पर आकर आपके ध्यान में लाना चाहते हैं कि कॉरपोरेट और बड़े पूंजीपतियों को समृद्ध करने के उद्देश्य से एनडीए-3 की सरकार की नीतियों के तहत भारत के कामकाजी लोगों को संकट का सामना करना पड़ रहा है।
जबकि खेती की लागत और मुद्रास्फीति हर साल 12-15% से अधिक बढ़ रही है। सरकार एमएसपी में केवल 2 से 7% की बढ़ोतरी कर रही है। पहले कम से कम पंजाब और हरियाणा में धान और गेहूं की खरीद होती थी। लेकिन केंद्र सरकार,पिछले साल खरीदी गई फसल को उठाने में विफल रही, इस साल मंडियों में जगह की कमी के कारण धान की खरीद रुक गई। किसान अपनी अल्प एमएसपी, एपीएमसी मंडियां, एफसीआई और पीडीएस आपूर्ति को बचाने के लिए भी फिर से सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं।
वर्ष 2019 से 186 किसानों का भुगतान इंदौर कृषि उपज मंडी पर बकाया है तत्काल इन किसानों का मंडी निधि से भुगतान किया जाए।मांग की गई कि
अहिल्या पथ योजना रद्द की जाए जिसमें इंदौर विकास प्राधिकरण पूरी तरह से भू माफिया बन चुका है अहिल्या पथ योजना में किसानों की हजारों मीटर जमीन स्कीम लगाकर हड़पी जा रही है यह योजना वर्तमान में भारी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है और यह बात किसी से छिपी नहीं है ।
2017 का फसल बीमा इंदौर जिले के 628 किसानों का अब तक बकाया है बकाया फसल बीमा किसानों को जल्द दिया जाए। दोषी जिम्मेदार अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई की जाए।
घोड़ा रोज़ की समस्या का समाधान तत्काल किया जाए जंगली जानवरों द्वारा फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है उसका सर्वे कर तत्काल किसानों को नियम आरबीसी 6(4) के अंतर्गत मुआवजा उनके खातों में डाला जाए ।
इकोनामिक कॉरिडोर में सुनवाई के नाम पर किसानों की आपत्ति लगाने के बावजूद अधिग्रहण की कार्रवाई की जा रही है जो अन्याय की भांति है।
पश्चिमी रिंग रोड आउटर रिंग रोड सहित भूमि अधिग्रहण किसानों की बगैर और सहमति के नहीं किया जाए अति आवश्यक होने पर ही अधिग्रहण किया जाए तथा किसानों को बाजार भाव से चार गुना मुआवजा दिया जाए ।
वर्तमान में समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी का कार्य चल रहा है और इस वक्त सोयाबीन की राशि में से किसानों के केसीसी ऋण की राशि काटी जा रही है जो अनुचित है तत्काल इस पर रोकलगाई जाए
सोयाबीन का भाव ₹8000 क्विंटल किया जाए तथा इसी भाव पर किसानों की सोयाबीन खरीदी जानी चाहिए ।
वर्ष 2024-25 में गेहूं का समर्थन मूल्य ₹4000 क्विंटल किया जाए और इसी भाव में गेहूं की खरीदी की जानी चाहिए ।
इंदौर जिले की हाईटेक मंडी इंदौर में किसानों को भोजन कैंटीन की सुविधा नहीं मिल रही है तुरंत कैंटीन सुविधा चालू की जाए । आरओ वाटर कूलर कई दिनों से बंद पड़े हैं उन्हें चालू कराया जाए , इंदौर मंडी में 10 टन के दो इलेक्ट्रॉनिक तोल कांटे लगवाए जाएं ।
चोइथराम मंडी में सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाएं ,साथ ही मंडी के चौकीदार व नाकेदार जो वर्षों से एक ही स्थान पर पदस्थ हैं उन्हें वहां से हटाया जाए तथा मंडी में रोटेशन पद्धति का पालन कराया जाए ।
मुख्यमंत्री खेत सड़क योजना चालू की जाए किसानों को बारिश में खेत पर वाहन ले जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है तत्काल इस योजना को चालू किया जाए ।
जिले में खाद बीज की उपलब्धता आवश्यकता अनुसार किसानों को उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाए ।
जिले में कृषि सिंचाई में विद्युत प्रवाह केवल दिन में ही दिया जाए कहीं जगहों पर रात्रि में विद्युत प्रवाह दिया जा रहा है जो सरासर गलत है ।
मोदी सरकार द्वारा थोपे जा रहे 4 श्रम कोड – वैधानिक न्यूनतम वेतन, नौकरी की सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, आठ घंटे के कार्य दिवस और यूनियन बनाने और सामूहिक सौदेबाजी के अधिकार पर खत्म उर बाधित करने वाले, इस तरह उन्हें गुलामी की दशा में पहुंचाने वाले हैं । अलग-अलग नामों पर ठेकेदारी प्रथा और कोई भर्ती नीति मौजूदा श्रमिकों और नौकरी चाहने वाले युवाओं को आभासी गुलामी की ओर धकेलती है।
सार्वजनिक खजाने से पैसा विभिन्न मदों में उत्पादन से जुड़े रोजगार आदि के तहत प्रोत्साहन के नाम पर कॉरपोरेट्स को दिया जा रहा है। वहीँ सरकार लोगों के भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा के बुनियादी अधिकार को छीन रही है। सरकार ने खाद्य सब्सिडी, उर्वरक सब्सिडी में भारी कटौतियां कर किसान और जनता की मुश्किलें बढ़ाई हैं डब्ल्यूटीओ के निर्देशों के अनुसार कई राज्यों में नकद हस्तांतरण योजना के माध्यम से पीडीएस को खत्म कर दिया गया है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणालियों का बड़े पैमाने पर निजीकरण किया जा रहा है, हजारों सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं और उच्च शिक्षा आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गई है। यहां तक कि विभिन्न राज्यों में जिला अस्पतालों का भी निजीकरण किया जा रहा है ।
मोदी सरकार. एसकेएम के साथ 9 दिसंबर 2021 के लिखित समझौते का उल्लंघन कर रही है। यह लगातार कामकाजी लोगों को सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकृत करने और वास्तविक आजीविका के मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए हिंसा भड़काने की कोशिश कर रही है। महिलाओं और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों पर अत्याचार चिंताजनक रूप से बढ़ रहे हैं।
*ऐसी स्थिति किसान मजदूर जनता के अन्य हिस्सों के साथ मिलकर आज पूरे देश में की विरोध कार्यवाहियों के जरिये आपसे मांग करते हैं कि ;*
सभी फसलों के लिए कानूनी गारंटी वाली खरीद के साथ एमएसपी @सी2+50% की दर से दी जाये।
चार श्रम संहिताओं को निरस्त कर; किसी भी रूप में श्रम का कोई ठेकाकरण या आउटसोर्सिंग नहीं किया जाये ।
26 हजार रुपये प्रतिमाह का राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन लागू किया जाये । संगठित, असंगठित, योजना श्रमिकों और अनुबंध श्रमिकों और कृषि क्षेत्र सहित सभी श्रमिकों के लिए 26000/माह और पेंशन @ रु.10000 प्रति माह और सामाजिक सुरक्षा लाभ दिए जायें ।
ऋणग्रस्तता और आत्महत्याओं को समाप्त करने के लिए किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए व्यापक ऋण माफी; किसानों और श्रमिकों के लिए कम ब्याज दरों पर ऋण सुविधाएं सुनिश्चित करें।
रक्षा, रेलवे, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली सहित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सार्वजनिक सेवाओं का निजीकरण नहीं किया जाये । राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) खत्म की जाये । कोई प्रीपेड स्मार्ट मीटर नहीं लगाया जाये और कृषि पंपों के लिए मुफ्त बिजली, घरेलू उपयोगकर्ताओं और दुकानों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाये।
कोई डिजिटल कृषि मिशन (डीएएम) नहीं लाई जाये , राष्ट्रीय सहयोग नीति और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ ऐसा कोई आईसीएआर समझौता नहीं किया जाये है जो राज्य सरकारों के अधिकारों का अतिक्रमण करता है और कृषि के निगमीकरण की सुविधा देता है।
.अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण समाप्त करें, एलएआरआर अधिनियम 2013 और एफआरए लागू करें।
फसलों और मवेशियों के लिए व्यापक सार्वजनिक क्षेत्र बीमा योजना, किरायेदार किसानों को फसल बीमा और सभी योजनाओं के लाभ सुनिश्चित किये जाये।
मूल्य वृद्धि रोकी जाये . पीडीएस को मजबूत किया जाये, सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा सुनिश्चित की जाये । सभी के लिए 60 वर्ष की आयु पर 10000 रुपये मासिक पेंशन दी जाए तथा संसाधन जुटाने के लिए अति-अमीरों पर कर लगाए जायें ।
समाज में साम्प्रदायिक विभाजन को रोकने हेतु सख्त कानून एवं उनका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाये । संविधान में उल्लिखित धर्मनिरपेक्षता को कायम रखा जाये।
धरने में प्रमुख रूप से *श्याम सुन्दर यादव , रूद्र पाल यादव, सोहनलाल शिन्दे, , कैलाश लिम्बोदिया, सी एल सरावत ,हरिओम सूर्यवंशी , अरूण चौहान ,राम स्वरूप मंत्री ,बबलू जाधव, चंदनसिंह बड़वाया, शैलेंद्र पटेल, कविता मालवीय , रेखा सुरवे ,अरविंद पोरवाल ,प्रमोद नामदेव,सोनू शर्मा, एसके शुक्ला लक्ष्मी नारायण पाठक , जीवन सिंह सुनेर हरनाम सिंह धारीवाल ,अजीत केतकर ,रमेश झाला अमित सिसोदिया गोकुल चन्देल शामिल थे ।
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