शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों का दिल्ली कूच का ऐलान तीन मार्च तक के लिए टल गया है। रविवार को खनौरी बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस की गोली से मारे गए युवा किसान शुभकरण सिंह की अंतिम अरदास पर दिल्ली कूच की बाबत अहम हम घोषणा की जाएगी। तीन मार्च को घोषणा नहीं हुई तो अगले दिन यानी चार मार्च को की जाएगी।
शंभू बॉर्डर पर किसान नेता मनजीत राय और बलदेव जीरा ने मीडिया को बताया कि पंजाब में शंभू व खनौरी की तर्ज पर दिल्ली जाने वाले अन्य रास्तों पर भी मोर्चाबंदी की जाएगी। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार अगर किसानों को आगे जाने देगी, तो ठीक है, वर्ना किसान मोर्चों पर डटे रहेंगे। आंदोलनरत किसान संगठन नहीं चाहते कि सशस्त्र पुलिस के साथ टकराव में में कोई और जान जाए। किसान शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन को बढ़ाना चाहते हैं।
दिल्ली कूच की घोषणा रविवार को बठिंडा के गांव बल्लो में शुभकरण की अंतिम अरदास के मौके पर औपचारिक तौर पर की जाएगी। रविवार को घोषणा नहीं हुई तो सोमवार को कर दी जाएगी। दोनों किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार ने आंसू गैस के गोले फेंकने के लिए इजरायल से मंगवाए गए दोनों का इस्तेमाल किया।
पटियाला के राजेंद्रा अस्पताल के डॉक्टर के बोर्ड की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शुभकरण की मौत सिर पर मेटल के छर्रे लगने से हुई थी। पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ बलबीर सिंह ने बताया कि शुभकरण की मौत सिर पर गन शॉट के घाव से हुई है। छर्रों की बैलिस्टिक विशेषज्ञों से जांच कराई जाएगी। हरियाणा के पुलिस महानिदेशक ने किसी भी पैलेट गन का इस्तेमाल करने से इनकार किया है।
किसान आंदोलन को लेकर शुक्रवार को पंजाब विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस विधायकों की नारेबाजी के बीच विधानसभा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब राज्यपाल अपना भी भाषण नहीं पढ़ सके। सत्र के आगाज में राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित भाषण पढ़ने के लिए खड़े हुए तो नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने उन्हें यह कहते हुए रोक दिया कि यह सरकार के झूठ का पुलिंदा है। इसी के साथ कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी शुरू कर दी।
बाजवा ने शुभकरण सिंह की मौत में राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि भगवंत मान सरकार ने हरियाणा पुलिस और वहां के गृहमंत्री अनिल विज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बजाय जीरो एफआईआर दर्ज करके किसान और पंजाबियों को धोखा दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की हिफाजत करने में नाकाम साबित हुई। इस सरकार को बने रहने का कोई अधिकार नहीं।
इस बीच संकेत मिले हैं कि किसान संगठन एक बार फिर एक मंच पर आ सकते हैं। अभी तक कोई गुटों में विभाजित थे और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लग रहे थे। किसान कोऑर्डिनेशन कमिटी और पंधेर खेमे के किसान फोरम के बीच शंभू बॉर्डर के पास बंद कमरे में लंबी बैठक हुई। इस बैठक में भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां) के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां ने खास तौर पर शिरकत की।
हासिल जानकारी के मुताबिक ‘किसान आंदोलन-2’ को मजबूत बनाने के लिए नई रणनीति बनाने और एक होकर चलने पर सहमति बन चुकी है। आज (शनिवार को) शंभू बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) किसान मजदूर मोर्चा आपस में बैठक करेंगे। इन दोनों किसान संगठनों पर आधारित फोरम शंभू व खनौरी बॉर्डर पर किसान मोर्चे की अगुवाई कर रहा है।
किसान नेताओं ने सोशल मीडिया के जरिए अपील की है कि पंजाब और आसपास के राज्यों से किसान तीन मार्च को बठिंडा के गांव बल्लो पहुंचें। चार मार्च तक संयुक्त मंच से बड़ी घोषणा हो सकती है। एसकेएम (संयुक्त किसान मोर्चा) से जुड़े किसान संगठन और उनके नेता तथा कैडर के लोग बड़ी तादाद में शुभकरण के गांव आएंगे। वहीं आगे की रणनीति बनाई जाएगी। एसकेएम से जुड़े एक वरिष्ठ किसान नेता ने संकेत दिए की इसके बाद ‘किसान आंदोलन-2 नई रणनीति के तहत तेज किया जाएगा।