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उजाड़े गए धोबी परिवारों के साथ एकजुटता हेतु अनशन

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के मुख्य द्वार के सामने

अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर, दावा कर सकता है कि उसका परिसर खुले में शौच से मुक्त हो गया है। क्योंकि 32 धोबी परिवार जिनके पास शौचालय नहीं थे उन्हें ही उजाड़ दिया गया है। भारतीय जनता पार्टी के शासन में इसमें कुछ भी नया नहीं है। प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने के लिए अपराधियों, भले ही उनका जुर्म अभी न्यायालय में साबित न हुआ हो, को गोली मार कर खत्म कर दो। हां, भाजपा के जुड़े अपराधियों के खिलाफ दर्ज मुकदमों का वापस लेकर या जमानत, पैरोल देकर उनको सांसद, मत्री बना कर उन्हें माननीय का दर्जा दे दो। चुनाव में भ्रष्टाचार खत्म करने कि लिए चुनावी बांड योजना लायी गई थी, जिसपर फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगाई है, जिसके तहत देशी-विदेशी कम्पनियां अपने चहेते राजनीतिक दल को गोपनीय रूप से कितना भी चंदा दे सकती थीं। पहले सरकारी कार्यालयों में जो काम कराने के लिए रु. 50 घूस देनी पड़ती होगी वह काम आज बाहर साइबर कैफे वाले रु. 100 या ज्यादा लेकर करें तो वह भ्रष्टाचार की श्रेणी में नहीं आता।

तीन बदनाम कृषि कानूनों, जिनको किसानों के आंदोलन के बाद सरकार को वापस लेना पड़ा, में से एक आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन कर जरूरी खाद्य पदार्थों पर से भण्डारण की सीमा हटा कर कालाबाजारी नाम की चीज ही खत्म कर देने की साजिश थी। भारतीय रेल में वातानुकूलित डिब्बे बढ़ाए जा रहे हैं, वंदे भारत में तो सभी डिब्बे वातानुकूलित हैं, स्लीपर व सामान्य श्रेणी के डिब्बे कम किए जा रहे हैं। जब सामान्य श्रेणी खत्म कर दी जाएगी या सारे डिब्बे वातानुकूलित हो जाएंगे और गरीब इंसान रेल की यात्रा ही नहीं कर पाएगा तो हम कह पाएंगे कि भारत विकसित हो गया।
महात्मा गांधी ने कहा था कि यातायात मनुष्य की आवश्यकता है, उसकी गति नहीं। कपड़ा हम हाथ का बना भी पहन सकते हैं और मशीन का बना भी किंतु मशीन हमेशा बेरोजगारी बढ़ाती है। कपड़ा हम धोबी से धुलवा सकते हैं या मशीन से भी। मशीन लगाएंगे तो धोबी परिवारों को उजाड़ना होगा।
तय करें कैसा विकास चाहिए? कम्पनियों का फायदा बढ़ा कर मनुष्य की आजीविका व जीवन खत्म करने वाला या रोजगार व सभी के लिए सम्पन्नता बढ़ाने वाला?
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर आज तक वह मशीन नहीं बना सका जिससे सीवर व सेप्टिक टैंकों में घुसकर सफाई करने वालों की मौतों को रोका जा सके। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के कानपुर में बनने से पहले कानपुर एक जीवंत औद्योगिक नगरी माना जाता था। संस्थान की स्थापना के बाद कानपुर के कपड़ा कारखाने एक एक करके बंद हो गए और अन्य उद्योग भी मर गए। कानपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान होने का क्या फायदा है? इसने इस देश के आम इंसान से ज्यादा अमरीका की सेवा की है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान को बंद कर आज से 65 साल पहले किसानों से बिना उनको जमीन का मुआवजा दिए जो जमीन ली गई थी उसे किसानों को वापस करना ही उचित होगा।

सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया)
शंकर सिंह, जिला अध्यक्ष, 6306714614, कृष्ण मुरारी यादव, राज्य सचिव व समन्वयक, मानवाधिकार प्रकोष्ठ, 7985181117, मीनाक्षी मार्टिन सिंह, राज्य महासचिव, 9336188033, संदीप पाण्डेय, राष्ट्रीय महासचिव, ashaashram@yahoo.com

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