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दिल्ली के दो पत्रकारों के खिलाफ शामली में एफआईआर:मॉब लिंचिंग की रिपोर्टिंग करने पर

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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली के रहने वाले दो पत्रकारों समेत पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। इन सभी पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने संबंधी धाराएं लगायी गयी हैं। एक्स पर अपनी एक पोस्ट में उन्होंने शामली में हुई एक शख्स की हत्या को मॉब लिंचिंग करार दिया था। 

पुलिस का कहना है कि पांचों ने 4 जुलाई को फिरोज कुरैशी की उसके घर में हुई मौत के संदर्भ में गलत जानकारी दी है। फिरोज के परिवार की ओर से दर्ज की गयी शिकायत के मुताबिक पिंकी, पंकज और राजेंद्र नाम के तीन लोगों ने उसकी रात 8 बजे पिटाई की थी। और फिर 11 बजे घर जाने पर उसकी मौत हो गयी। तीनों हमलावर गंगा आर्य नगर के रहने वाले हैं। पुलिस के मुताबिक इस संबंध में बीएनएस की धारा 105 के तहत (गैरइरादतन मौत, हत्या नहीं) 5 जुलाई को एफआईआर दर्ज कर ली गयी। पुलिस का कहना है कि अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो पायी है।

पांचों लोगों द्वारा जो पोस्ट साझा की गयी है उसके मुताबिक फिरोज को दूसरे समुदाय के लोगों द्वारा उनके घर में घुसने के शक में मारा गया है। एफआईआर शामली स्थित थाना भवन के इंस्पेक्टर महेंद्र कुमार की शिकायत पर दर्ज की गयी है। जिन दो पत्रकारों के खिलाफ ये शिकायतें दर्ज की गयी हैं उनके नाम क्रमश: जाकिर अली त्यागी और वसीम अकरम त्यागी है। और दूसरे तीन लोगों में आसिफ राना, सैफ इलाहाबादी और अहमद रजा खान शामिल हैं। 

एफआईआर में कहा गया है कि जाकिर अली, वसीम अकरम त्यागी, आसिफ राना, सैफ इलाहाबादी और अहमद रजा खान ने अपने एक्स एकाउंट से पोस्ट किया कि….थाना भवन पुलिस इलाके में स्थित जलालाबाद में देर रात एक युवक जिसका नाम फिरोज उर्फ काला कुरैशी बताया जा रहा है, की घर में घुसने के शक में दूसरे समुदाय के लोगों द्वारा पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी। इस तरह से कोई भी किसी को कभी भी मार सकता है और फिर उसके बाद कह सकता है कि उसे शक था।

शिकायत में कहा गया था कि ट्वीट के चलते एक विशेष समुदाय के भीतर गुस्सा और द्वेष था। सांप्रदायिक सौहार्द के बिगड़ने की पूरी आशंका थी। कृपया कानूनी कार्रवाई कीजिए।

पांचों के खिलाफ एफआईआर बीएनएस की धारा 196 और 353 के तहत दर्ज की गयी है। जो विभिन्न समुदायों के बीच धर्म, जाति, पैदा होने का स्थान, रिहाइशी स्थल और भाषा आदि के आधार पर वैमनस्य पैदा करती है।

पत्रकार जाकिर अली ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि शामली पुलिस ने मेरे खिलाफ मॉब लिंचिंग संबंधी रिपोर्ट के लिए एफआईआर दर्ज की है। यह पहली बार नहीं है इसके पहले पांच बार मुझे रिपोर्टिंग के लिए निशाना बनाया गया है। न केवल मैं बल्कि दूसरे पत्रकार भी इसको लेकर चकित हैं। 

पुलिस ने तीनों अभियुक्तों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की है। लेकिन चूंकि मेरी रिपोर्ट फिरोज के परिवार के बयानों पर आधारित है इसलिए पुलिस हमें निशाना बना रही है। मेरा केवल वही अपराध है कि मैंने वही लिखा जो हुआ है…मैंने दिल का दौरा या फिर आकस्मिक मौत कहकर मामले को विचलित करने की कोशिश नहीं की। उन्होंने कहा कि वह एफआईआर को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।

शामली पुलिस अपने इस रुख पर कायम है कि यह मामला मॉब लिंचिंग का नहीं है। पुलिस का कहना है कि 4 जुलाई की रात को फिरोज आरोपी राजेंद्र के घर में नशे की हालत में घुसा था। दोनों पक्षों के बीच झड़प हो गयी। बाद में फिरोज का परिवार उसे अपने घर ले गया जहां उसकी मौत हो गयी। फिरोज के शरीर में कोई भी गहरा घाव नहीं था।      

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