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राज्यसभा चुनाव…..UP से कर्नाटक तक ‘कहीं खुशी कहीं गम’ के समीकरण

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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में तो नेताओं को चुनाव जीतने की टेंशन होती है लेकिन राज्यसभा का चुनाव अलहदा है। यहां टकटकी उस लिस्ट पर होती है, जिसे पार्टी आलाकमान या केंद्रीय नेतृत्व जारी करता है। नाम आया तो धन्यवाद का ट्वीट कर नेता कृतज्ञता व्यक्त करने लगते हैं। अपनी वफादारी दिखाने लगते हैं और अगर नाम नहीं दिखा तो आधी रात को भी ट्विटर पर लिखना पड़ता है कि ‘शायद मेरी तपस्या में कुछ कमी रह गई।’ आपको याद होगा यही लाइन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस समय कही थी जब उन्होंने किसान आंदोलन के दबाव में तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी। इस बार प्रसंग कुछ और है। ऊंचे सदन न पहुंच पाने का मलाल सभी तरफ है। हर पार्टी में कुछ ऐसे लोग हैं, जो संतुष्ट नहीं हैं या जिन्हें पिछली रात नींद नहीं आई। हां, ये बात अलग है कि खुलकर प्रतिक्रियाएं कांग्रेस से आ रही हैं। स्थिति कुछ-कुछ ‘कहीं खुशी कहीं गम’ वाली है। नगमा को भी इस बात का मलाल है कि उन्हें 18 साल की तपस्या का इनाम नहीं मिला। इमरान प्रतापगढ़ी (Imran Pratapgarhi) खुश हैं कि उन्हें वफादारी का इनाम तो मिल गया। आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि राज्यसभा उन नेताओं को भेजा जाता है जो लोकसभा का चुनाव हार गए हों, वरिष्ठ हों, उनकी वफादारी का इनाम देना हो या फिर केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य के समीकरण को साधने के लिए मुहर लगाई हो। खैर, घोषणाएं हो चुकी हैं। 15 राज्यों से राज्यसभा की 57 सीटों के लिए चुनाव 10 जून को होने हैं। आइए समझते हैं कि यूपी से लेकर कर्नाटक तक किस पार्टी ने किसे उम्मीदवार बनाया है और उस पर क्या समीकरण बन रहे हैं।

उत्तर प्रदेश
बात सबसे पहले यूपी की। यहां जिस एक शख्स (Radha Mohan Agarwal) की सबसे ज्यादा चर्चा है वह हैं पूर्व विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल। उनकी मुस्कुराती हुई कई तस्वीरें ट्विटर पर देखी जा सकती हैं। लोग बधाइयां दे रहे हैं। राधा मोहन वही शख्स हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए अपनी परंपरागत गोरखपुर सदर सीट छोड़ दी थी। अब उन्हें भाजपा ने इनाम दिया है। पार्टी ने राज्यसभा चुनाव में उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है। रविवार को उत्तर प्रदेश से कुल छह उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की गई। अग्रवाल 2002 से लगातार गोरखपुर सदर सीट से विधायक चुने जाते रहे हैं लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने योगी के लिए अपनी सीट छोड़ दी थी।

भाजपा नेतृत्व ने अग्रवाल के अलावा पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी, मौजूदा राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र सिंह नागर, बाबूराम निषाद, दर्शना सिंह और संगीता यादव को भी राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है। बाबूराम निषाद इस समय उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम के अध्यक्ष हैं। दर्शना सिंह भाजपा की महिला इकाई की प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी हैं। वहीं, संगीता यादव गोरखपुर जिले की चौरी चौरा विधानसभा सीट से विधायक रह चुकी हैं। यूपी विधानसभा के हाल के चुनाव में भाजपा ने 255 सीटें जीती थीं जबकि उसकी सहयोगी अपना दल सोनेलाल को 12 और निषाद पार्टी को छह सीटों पर कामयाबी मिली थी। मुख्य विपक्षी दल सपा ने 111 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल को आठ और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को छह सीटें मिली थीं।

नकवी का नाम नहीं
उत्तर प्रदेश विधानसभा में कुल 273 विधायकों के साथ भाजपा की अगुआई वाला एनडीए अपने आठ उम्मीदवारों को आसानी से राज्यसभा का चुनाव जिता सकता है। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का नाम भाजपा की सूची से गायब है। हालांकि भाजपा को कम से कम दो उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करनी है और ये दोनों सीट उत्तर प्रदेश की हैं। इस तरह से देखें तो अगले कुछ घंटों में भाजपा दो उम्मीदवार और उतार सकती है। वहीं कुल 125 विधायकों वाले सपा गठबंधन के पास अपने तीन उम्मीदवारों को जिताने लायक संख्या बल है। उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए कुल 31 सदस्य चुने जाते हैं जिनमें से 11 सदस्यों का चुनाव हो रहा है। जिन 11 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है उनमें से भाजपा के पांच, सपा के तीन, बहुजन समाज पार्टी के दो और कांग्रेस के एक सदस्य का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है।
अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी को समाजवादी पार्टी और रालोद की ओर से राज्यसभा चुनाव के लिए संयुक्त प्रत्याशी बनाया है। इसके अलावा सपा के समर्थन से ही पूर्व कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल और जावेद अली खान पहले ही नामांकन पत्र दाखिल कर चुके हैं।



महाराष्ट्र
महाराष्ट्र से राज्यसभा की छह सीटों पर चुनाव है। यहां 6वीं सीट पर पेच फंसा है। इसके लिए बीजेपी और शिवसेना ने उम्मीदवार खड़ा कर दिया और ऐसे में चुनाव होगा। भाजपा ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल अनिल सुखदेवराव बोंडे और धनंजय महादिक को उम्मीदवार बनाया गया है। संख्याबल के अनुसार भाजपा दो सीटों पर आसानी से जीत दर्ज कर लेगी जबकि तीसरी सीट के लिए मुकाबला होने के आसार है। शिवसेना की तरफ से संजय राउत और संजय पवार नामांकन पत्र दाखिल कर चुके हैं। एनसीपी ने प्रफुल पटेल को उतारा है। भाजपा, शिवसेना और NCP के उम्मीदवार राज्य से ही हैं लेकिन कांग्रेस ने ‘बाहरी’ इमरान प्रतापगढ़ी को उम्मीदवार बनाया है। इमरान का नाम चौंकाने वाला है। कई नेताओं ने आपत्ति जताई है। स्थानीय नेता भी काफी नाराज बताए जा रहे हैं।

शिवाजी महाराज के वंशज छत्रपति संभाजी राजे भी राज्यसभा का टिकट चाहते थे लेकिन उन्हें किसी भी दल से समर्थन नहीं मिला। बाद में उन्होंने शिवसेना पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया। महाराष्ट्र में भाजपा की नेता पंकजा मुंडे के समर्थकों को भी उम्मीद थी कि उन्हें राज्यसभा भेजा जाएगा लेकिन उन्होंने कहा है कि राज्यसभा सीट के लिए उनके नाम पर चर्चा नहीं की गई। पंकजा ने कहा कि पार्टी यह फैसला करेगी कि उनके लिए क्या उचित है।



राजस्थान
राज्य की चार राज्यसभा सीटों के लिए कांग्रेस और भाजपा ने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। कांग्रेस ने राजस्थान से रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल वासनिक ओर प्रमोद तिवारी को उम्मीदवार घोषित किया है। खास बात यह है कि विधानसभा चुनाव करीब होने के बाद भी पार्टी ने राज्य के बाहरी नेताओं को मौका दिया है। वहीं, भाजपा ने राजस्थान से भाजपा के छह बार विधायक रहे घनश्याम तिवारी को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। भाजपा के चारों राज्यसभा सदस्यों ओम माथुर, के. जे. अल्फोंस, रामकुमार वर्मा और हर्षवर्धन सिंह का कार्यकाल चार जुलाई को समाप्त हो रहा है।

पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा से छह बार विधायक रहे तिवारी ने 2017 में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मतभेद के चलते जून 2018 में भाजपा से त्याग पत्र दे दिया था। उन्होंने खुले तौर पर राजे की आलोचना की थी, उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पार्टी आलाकमान से उनके खिलाफ शिकायतें की थीं। उन्होंने 26 मार्च 2019 को तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। लेकिन 2020 में केंद्रीय नेतृत्व से बातचीत के बाद तिवारी फिर से भाजपा में शामिल हो गए। 200 सीट वाली राजस्थान विधानसभा में इस समय कांग्रेस के 108, भाजपा के 71, निर्दलीय 13, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन, माकपा व भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के दो-दो विधायक हैं। राज्य से राज्यसभा की कुल 10 सीट हैं।

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कर्नाटक
कर्नाटक से राज्यसभा की चार सीटों के लिए होने वाले द्विवार्षिक चुनाव में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कन्नड़ फिल्म अभिनेता से नेता बने जग्गेश भाजपा के उम्मीदवार हैं। छह साल का अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद सीतारमण कर्नाटक से अपने दूसरे कार्यकाल के लिए मुकाबले में हैं। पार्टी ने तुमकुरु में तुरुवेकेरे के निवासी जग्गेश को मैदान में उतारकर चौंका दिया है। अब तक निवर्तमान राज्यसभा सदस्य के सी राममूर्ति को फिर से उम्मीदवार बनाए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं। भाजपा के सूत्रों की मानें तो इस कदम से प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय को लुभाना और तुमकुरु जिले में पार्टी के जनाधार को और मजबूत करना है। जग्गेश पहली बार मई 2008 में कांग्रेस विधायक के रूप में निर्वाचित हुए थे। एक साल बाद 2009 में उन्होंने पार्टी और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसी दौरान ‘ऑपरेशन लोटस’ हुआ था, जब भाजपा नेता बी एस येदियुरप्पा दोबारा मुख्यमंत्री बने थे। बाद में भाजपा ने जग्गेश को कर्नाटक विधान परिषद का सदस्य बनाया।

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भाजपा सूत्रों ने कहा था कि पार्टी अब भी जनता दल (सेक्युलर) की मदद से एक और उम्मीदवार को मैदान में उतारने की संभावना तलाश रही है और के सी राममूर्ति को एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतार सकती है। हालांकि, JDS ने जरूरी संख्या नहीं रहने के बावजूद कुपेंद्र रेड्डी को मैदान में उतारने की घोषणा की है। कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश यहां उम्मीदवार हैं। कर्नाटक से उच्च सदन के सदस्यों निर्मला सीतारमण, के सी राममूर्ति और जयराम रमेश का कार्यकाल 30 जून को खत्म हो रहा है। कांग्रेस नेता ऑस्कर फर्नांडीस के निधन के कारण एक सीट खाली हो गई थी।

कांग्रेस की लिस्ट आई तो इस्तीफा भी आ गया। पार्टी के वरिष्ठ नेता एच एन चंद्रशेखर ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए पार्टी की कर्नाटक इकाई से इस्तीफा दे दिया। एच एन चंद्रशेखर को ‘मुख्यमंत्री चंद्रू’ के नाम से भी जाना जाता है। चंद्रशेखर ने कई नाटकों, फिल्मों और टेलीविजन सीरियल में मुख्यमंत्री की भूमिका निभाई है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार को भेजे त्याग पत्र में चंद्रशेखर ने कहा कि वह लोगों की सेवा करने के उद्देश्य से विशाल ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाली कांग्रेस में शामिल हुए थे। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि चंद्रशेखर राज्यसभा टिकट के लिए इच्छुक थे और पार्टी की ओर से इनकार के बाद उन्होंने अलग होने का फैसला किया।

बिहार
चुनाव बिहार से जुड़ा हो तो सस्पेंस और चौंकाना तो बनता है। भाजपा की सहयोगी JDU ने केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को झटका देते हुए बिहार से खीरू महतो को अपना राज्य सभा प्रत्याशी बनाया है। जदयू ने इस कदम के साथ केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की अनदेखी की है, जिनका राज्यसभा का कार्यकाल जुलाई में समाप्त होने वाला है। पार्टी के इस चौंकाने वाले कदम से आरसीपी सिंह के मंत्री बने रहने पर संकट पैदा हो सकता है। उन्हें पिछले साल ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था और संसद के उच्च सदन में फिलहाल उनका यह लगातार दूसरा कार्यकाल है।

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भाजपा की बात करें तो पार्टी ने बिहार में अपने एक सांसद सतीश चंद्र दुबे को उम्मीदवार बनाया है तो दूसरा उम्मीदवार पार्टी कार्यकर्ता शंभू शरण पटेल हैं। एक कार्यकर्ता को उच्च सदन भेजकर भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने की कोशिश की है। वह इस समय संगठन में मंत्री हैं। आरजेडी ने मीसा भारती और डॉ. फैयाज अहमद को राज्यसभा के लिए पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। भाजपा 2, आरजेडी 2 और जेडीय एक उम्मीदवार को उच्च सदन में भेज सकती है।

ओडिशा
यहां तस्वीर बिल्कुल स्पष्ट है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने राज्यसभा चुनाव के लिए बीजू जनता दल के चार उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। तीन नए प्रत्याशियों सुलता देव, मानस रंजन मंगराज और निरंजन बिशी को मौका दिया गया है। इसके अलावा सस्मित पात्रा को दोबारा नामित किया गया है। पटनायक ने राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में पार्टी के आदिवासी चेहरे निरंजन बिशी को चुना है जबकि मंगराज तटीय क्षेत्र से हैं और पात्रा ओडिशा अल्पसंख्यक मंच के पूर्व अध्यक्ष हैं। ओडिशा से राज्यसभा के तीन सदस्यों एन. भास्कर राव, प्रसन्न आचार्य और सस्मित पात्रा का कार्यकाल एक जुलाई को समाप्त होगा जबकि बीजद सदस्य सुभाष सिंह के इस्तीफे के कारण एक अन्य सीट खाली हुई है। राज्यसभा चुनाव के लिए बीजद के चार उम्मीदवारों में सुलता देव एकमात्र महिला हैं।

संसद के उच्च सदन की एक अन्य सीट के लिए उपचुनाव 13 जून को होगा और उसी दिन मतगणना होगी। सत्तारूढ़ बीजद ने यह घोषणा नहीं की है कि सुभाष सिंह द्वारा खाली की गई राज्यसभा सीट के लिए चार उम्मीदवारों में से कौन उपचुनाव लड़ेगा। ओडिशा की 147 सदस्यीय विधानसभा में बीजद के 113 विधायक हैं, इसलिए उसके सभी चार सीट पर जीत दर्ज करने की संभावना है। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के 22 जबकि कांग्रेस के नौ विधायक हैं।

झारखंड
राज्यसभा चुनाव को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस में मंथन हो चुका है। कैंडिडेट तय करने को लेकर खींचतान की खबरों पर अब सफाई आई है। झारखंड के मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन ने कहा है कि कांग्रेस के साथ कोई खींचातानी नहीं है और प्रदेश से राज्यसभा चुनाव में दोनों दलों का एक साझा उम्मीदवार होगा। उन्होंने यह नहीं बताया कि उम्मीदवार दोनों दलों में से किसका होगा। सोरेन ने शनिवार रात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से एक घंटे से अधिक समय तक मुलाकात की थी।
झारखंड में 10 जून को राज्यसभा की दो सीट के लिए मतदान होना है। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और भाजपा के सांसद महेश पोद्दार का कार्यकाल सात जुलाई को समाप्त होने वाला है। राज्य की 82 सदस्यीय विधानसभा में 81 निर्वाचित सदस्य होते हैं, लेकिन इस समय झारखंड विकास मोर्चा से कांग्रेस में गए विधायक बंधु तिर्की की सदस्यता आय से अधिक संपत्ति मामले में 28 मार्च को तीन वर्ष कैद की सजा पाने के बाद समाप्त हो चुकी है, जिसके चलते विधानसभा में मतदान करने योग्य कुल सदस्यों की संख्या 80 ही रह गई है। ऐसे में राज्य की वर्तमान विधानसभा में 26.67 मत पाने वाले उम्मीदवार का राज्यसभा में जाना तय माना जा रहा है। वर्तमान विधानसभा में जहां सत्ताधारी झामुमो के 30 विधायक हैं, वहीं उसकी समर्थक कांग्रेस के कुल 17 विधायक हैं और दूसरी समर्थक पार्टी राजद का एक विधायक है। वहीं, मुख्य विपक्षी भाजपा के कुल 26 विधायक हैं और उसे कम से कम दो अन्य विधायकों के समर्थन का विश्वास है। ऐसे में राज्यसभा में सत्ताधारी गठबंधन और विपक्ष दोनों के एक-एक सदस्यों के चुने जाने की संभावना है।

राज्यसभा की कितनी सीटों पर चुनाव
यूपी
11
बिहार
5
झारखंड
2
छत्तीसगढ़
2
ओडिशा
3
आंध्र प्रदेश
4
तेलंगाना
2
तमिलनाडु
6
कर्नाटक
4
महाराष्ट्र
6
MP
3
राजस्थान
4
हरियाणा
2
पंजाब
2
उत्तराखंड
1






1 या 2 सीटों वाले राज्यों में स्थिति स्पष्ट है। वहां कैंडिडेट निर्विरोध जीत सकते हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पंजाब, उत्तराखंड, बिहार, मध्य प्रदेश में चुनाव की नौबत आने की संभावना नहीं है। 3 जून को नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा।

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