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बापू  ! चंचल को मछली शहर से सिम्बल दे दो

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चंचल

वर्ष 1982 में मुस्तकिल तौर पर दिल्ली आ गया  .  ज़ार्ज़ के बुलावे पर –       दिल्ली आ जाओ , बनारस का तुम्हारा काम ख़त्म हो  चुका है , आकर “ प्रतिपक्ष “ देखो .       (पुराने जितने भी नेता थे , सब के सब नेता से बड़े पत्रकार थे .  ज़ार्ज़ दो पत्रों का सम्पादन करते रहे – प्रतिपक्ष (हिंदी ) और अंग्रेज़ी में the other side . 26 तुग़लक़ क्रिसेंट पता था .  83 तक आते आते पुराने अड्डे times house के दरियागंज आने जाने लगा .  पुराना अड्डा इस लिए क़ि – काशी विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में  पढ़ाई करने के दौरान   ब हैसियत ‘ प्रशिक्षु ‘ पत्रकार  ‘ दिनमान ‘  में रह चुका था .  उसी मोह में उधर 10 दरियागंज आने जाने लगा .  और एक दिन ज़ार्ज़ ने पूछा – सर्वेश्वर जी का फ़ोन आया था वो चाहते हैं कि  तुम   टाइम्स  ज्वाइन करलो और प्रतिपक्ष भी देखते रहो ! हमने बताया कि हमारी भी यही इच्छा है .  और हम टाइम्स से जुड़ गये .  

        अब आया 84 

    दिनमान के सम्पादक रघुवीर सहाय जी ने कहा – चंचल जी ! जनता दल के सचिव हैं ज़ार्ज़ फ़र्नांडिस  उनका एक इंटरवियू चाहिए .  आज  ही .  

  – जी मिल जायगा 

  – रुकिए ! आपका कोई भरोसा नही , सुषमा जी को कहता हूँ 

 ( प्रसिद्ध पत्रकार सुषमा जगमोहन जी दिनमान में आ चुकी थी .  सुषमा जी पूर्व परचित थी , जब वे  बम्बई से प्रकाशित होने वाले धर्मयुग में प्रशिक्षु पत्रकार की हैसियत से ट्रेनिंग पर थी उस समय हम फ़ाइन आर्ट्स के विद्यार्थी थे और  एक महीने की ट्रेनिंग पर  मशहूर  कार्टूनिस्ट मारियो मिरांडा के प्रशिक्षण में था .  बांबे का   टाइम्स हाउस एक बड़े हाल में धर्मयुग , सारिका , इलस्ट्रेटेड वीकली  के दफ़्तर थे .  डॉक्टर धर्मवीर भारती , कमलेश्वर जी , अरविंद कुमार और ख़ुशवंत सिंह जी अग़ल बग़ल के केबिनो में दिखाई पड़ते थे .  सुषमा जी से हमारा परिचय कराया था गणेश मंत्री जी , जो बाद में धर्मयुग के सम्पादक बने .  ) हम उम्र और  बेबाक़ दोस्त होने की  वजह से सुषमा जी हमे जम कर हड़काती थी और समय पर काम निकाल लेती थी , सहाय जी अक्सर सुषमा जी को हमारे पीछे लगा देते थे .  )  

    हम गये जंतर मंतर , जनता दल का दफ़्तर , ज़ार्ज़ का केबिन खोला और सीधे अंदर .  ज़ार्ज़ के साथ यम जे अकबर बैठे थे .  

    – ज़ार्ज़ साहब ! आप से कुछ बात करनी है ! 

     –  तुम्हारा  संसदीय  क्षेत्र क्या है ? 

     – मछली शहर 

 ज़ार्ज़ ने फ़ोन उठाया – बापू  ! चंचल को मछली शहर से सिम्बल दे दो और दिल्ली बनारस का एक एयर टिकट .  कल इसे नमनेशन करना है .  

          ( बापू कालधाते जनता दल के सचिव थे ) 

  जस थे , तस हवाई जहाज़ में .  दिनमान के लिए साक्षात्कार , सुषमा जी , सम्पादक रघुवीर सहाय , इंतज़ार कर  रहे थे .  दूसरे दिन चंचल की खबर सुनाया सर्वेश्वर जी ने – 

      1984 इस आम चुनाव में पाँच पत्रकार भी चुनाव मैदान में , 

चंचल भी इसी लिस्ट में ! 

     कहाँ से ? किसके मुक़ाबले ? 

    नतीजा ? 

आगे बताऊँगा .  

यह  जो तस्वीर है उसी चंचल की है

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