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सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर्स एकजुट होकर 28 मार्च से बेमियादी हड़ताल पर

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा को सबसे पहले हड़ताली डॉक्टरों से वार्ता कर राजस्थान की जनता को राहत दिलवानी चाहिए।

दौसा की डॉक्टर अर्चना शर्मा की आत्महत्या के प्रकरण में आरोपियों के विरुद्ध धारा 306 में मुकदमा दर्ज करने की मांग

एस पी मित्तल, अजमेर

इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि राजस्थान भर के सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर्स गत 28 मार्च से बेमियादी हड़ताल पर हैं और सरकार ने अभी तक भी हड़ताली डॉक्टरों के जिम्मेदार प्रतिनिधियों से कोई वार्ता नहीं की है। पांच दिनों से चली आ रही हड़ताल से राजस्थान भर के मरीजों की पीड़ा का अंदाजा लगाया जा सकता है। एक अप्रैल की रात को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के स्टेट ब्रांच के पदाधिकारी डॉ. पीसी गर्ग, डॉ. अशोक नारायण व सेवारत चिकित्सक एसोसिएशन के डॉ. लक्ष्मण सिंह ओला की वार्ता को 2 अप्रैल को सभी हड़ताली डॉक्टरों ने नकार दिया। जयपुर में हुई डॉक्टरों की साधारण सभा में कहा गया कि एक अप्रैल की कथित वार्ता से हमारा कोई संबंध नहीं है। वहीं सेवारत चिकित्सक एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने कहा कि डॉ. लक्ष्मण सिंह ओला तो गत वर्ष सितंबर में ही सरकारी सेवा से रिटायर हो गए हैं, ऐसे में डॉ. ओला हमारी संस्था के प्रतिनिधि हो ही नहीं सकते। डॉ. चौधरी ने कहा कि डॉ. अर्चना शर्मा के आत्महत्या के प्रकरण में सेवारत चिकित्सक पूरी तरह प्राइवेट डॉक्टरों के साथ हैं। 2 अप्रैल को डॉक्टरों की साधारण सभा में कहा गया कि जब तक आरोपियों के विरुद्ध धारा 306 में मुकदमा दर्ज नहीं होगा, तब तक राजस्थान भर में हड़ताल जारी रहेगी। उन पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध भी धारा 306 में मुकदमा दर्ज किया जाए, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की अनदेखी कर डॉ. अर्चना शर्मा के विरुद्ध302 में हत्या का मुकदमा दर्ज किया था। इस मुकदमे की वजह से ही डॉ. शर्मा को आत्महत्या करनी पड़ी। डॉक्टरों के प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि सरकार डॉक्टरों की एकता में फूट डालने का काम कर रही है। सरकार की ऐसी हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर्स एकजुट है।

मुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री वार्ता करें:
सरकारी और प्राइवेट डॉक्टरों की बेमियादी हड़ताल से प्रदेश भर के मरीज बुरी तरह परेशान है। जिला और तहसील स्तर पर सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था ठप हो गई है तो प्राइवेट अस्पतालों के ताले तक नहीं खुल रहे है। मरीजों को होने वाली परेशानियों को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा को हड़ताली डॉक्टरों के असली प्रतिनिधियों से वार्ता करनी चाहिए। मुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री की पहली प्राथमिकता डॉक्टरों की हड़ताल को समाप्त करवाना होनी चाहिए। मुख्यमंत्री गहलोत की महत्वाकांक्षी चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में मरीजों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में भी हो रहा है। लेकिन प्राइवेट अस्पताल बंद हो जाने से योजना के पात्र मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है। सवाल यह भी है कि डॉक्टरों की हड़ताल को सरकारी गंभीरता से क्यों नहीं ले रही? क्या सरकार के प्रदेशभर के परेशान मरीजों की चिंता नहीं है?

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