इंदौर
कंस्ट्रक्शन सर्विस पर लगने वाले जीएसटी को लेकर गुजरात हाई कोर्ट के अहम फैसले का असर प्रॉपर्टी (घर या दफ्तर) खरीदने वालों को टैक्स में बड़ी राहत के तौर पर मिलेगा। इंदौर में ऐसे निर्माणाधीन 200 प्रोजेक्ट हैं, जिन पर इस फैसले का असर होगा। इससे लोगों को सीधा फायदा होगा।
जीएसटी कानून के तहत अब तक यदि कोई बिल्डर किसी जमीन पर कमर्शियल या रेसीडेंशियल भवन बनाकर उसका विक्रय करता है तो कुल कीमत में से जमीन की वास्तविक कीमत कम न करते हुए अनुमानित एक तिहाई कीमत ही जमीन की कीमत मानकर कम की जाती थी। गुजरात हाई कोर्ट ने उक्त प्रावधान को असंवैधानिक मानते हुए पाया कि जमीन की वास्तविक मूल्य की कमी न करते हुए एक तिहाई राशि ही कम देना प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है, अतः उक्त धारा अल्ट्रा वायर्स घोषित की गई।
उदाहरण से समझें…
- किसी बंगले को बेचते वक्त बिल्डर ने उसकी कीमत ₹7000 रुपए प्रति वर्गफीट ली है। इसमें से जमीन की कीमत ₹5000 रुपए प्रति वर्गफीट है और शेष राशि कंस्ट्रक्शन कॉस्ट है। ऐसे में अब तक क्रेता को ₹7000 रुपए प्रति वर्गफीट में से 33% कटौती जमीन की कीमत के रूप में मिलती थी। यानी ₹2310 रुपए प्रति वर्गफीट की ही कटौती जमीन की कीमत के रूप में मिलती थी और शेष ₹4690 रुपए प्रति वर्गफीट पर जीएसटी 5% लगता था।
- हाई कोर्ट के आदेश के बाद क्रेता को पूरे ₹5000 रुपए प्रति वर्गफीट की छूट मिलेगी और केवल कंस्ट्रक्शन कॉस्ट यानी ₹2000 रुपए प्रति वर्गफीट पर ही जीएसटी देय होगा। ऐसे में जहां व्यक्ति पहले 235 रुपए प्रति वर्गफीट के हिसाब से जीएसटी का भुगतान कर रहा था, वहीं अब उसे केवल 100 रुपए प्रति वर्गफीट का जीएसटी भुगतान करना होगा।
फैसले के बाद कंस्ट्रक्शन कॉस्ट पर ही जीएसटी देय होगा- विशेषज्ञ
कर सलाहकार नवीन खंडेलवाल ने बताया कि फैसले का असर यह होगा कि आने वाले समय में जो भी व्यक्ति संपत्ति खरीद रहा है, उसे कुल संपत्ति की कीमत में से जमीन की वास्तविक कीमत की कटौती मिल जाएगी और शेष कंस्ट्रक्शन कॉस्ट पर ही जीएसटी देय होगा। वहीं, वरिष्ठ कर सलाहकार सीए आरएस गोयल का कहना है जीएसटी एक्ट के लागू होने के बाद पहली बार किसी हाई कोर्ट द्वारा ऐसा ऐतिहासिक निर्णय दिया गया है। इस निर्णय के लागू होने पर रहवासी व वाणिज्यिक बिल्डिंग के क्रेता के ऊपर कर का भार बहुत कम होगा।
33% की कटौती पुराने प्रावधानों के अनुसार ले सकते हैं- क्रेडाई
क्रेडाई के अध्यक्ष लीलाधर माहेश्वरी ने बताया इसका सीधा असर इंदौर में रेरा के तहत निर्माणाधीन 200 प्रोजेक्ट्स पर पड़ेगा और सीधा फायदा आम आदमी को मिलेगा। यदि क्रेता के पास जमीन की कीमत का पता लगाने के लिए कोई उचित आधार नहीं है तो वह 33% की कटौती पुराने प्रावधानों के अनुसार ले सकते हैं। उधर, फैसला गुजरात हाई कोर्ट द्वारा दिया गया है, इसलिए यह फिलहाल गुजरात में लागू होगा। हाई कोर्ट के आदेश के तहत कानून की धारा को ही अल्ट्रा वायर्स घोषित किया है, इसलिए अब केंद्र सरकार को कानून में संशोधन करना होगा और इसके तहत पूरे देश में यह आने वाले कुछ महीनों में लागू हो जाए