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क्या सिंधिया ने शिवराज सरकार को दिखाई ताकत?

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क्या मुख्यमंत्री बनने के लिए दिखाया मेगा शो?*
बाढ़ प्रभावित संभाग में कैसा शक्ति प्रदर्शन
अपने गुलाम मंत्रियों को लगाया सेवा में

विजया पाठक
, एडिटर, जगत विजन
कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने के बाद पहली बार केंद्रीय उड्डयन मंत्री बने ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर में मेगा शो रखा। इस शो में हजारों की संख्या में लोगों को बुलाया गया। शिवराज सरकार के कई मंत्री सेवा में लगे रहे। या कहें तो सिंधिया समर्थक सभी मंत्री इस रैली के आयोजक बने। अब सवाल उठता है कि आखिर ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस समय रैली करने की जरूरत क्यों पड़ी। ऐसा क्या था कि उन्हें इतने बड़े स्तर पर ताकत दिखाने की जरूरत पड़ी। मेगा शो को भले ही सिंधिया के मंत्री बनने के बाद पहली बार ग्वालियर आने की बात कही जा रही है लेकिन इसके मायने कुछ अलग ही हैं। दरअसल इस समय बीजेपी में मुख्यमंत्री बदलने की कवायद बड़े जोर-शोर से चल रही है। ऐसी स्थिति में सिंधिया को अपनी ताकत दिखाने का मौका चाहिए था। वह दिखाना चाहते हैं कि इस समय मैं ही प्रदेश में सबसे बड़ी ताकत हूं। कोई कुछ भी कहे मेरा मानना है कि सिंधिया ने केंद्र सरकार और शिवराज सरकार को ही अपनी महत्ता का प्रदर्शन किया है। सब जानते हैं कि सिंधिया सत्ता के कितने लोभी हैं। सत्ता के लिए उन्होंने क्या-क्या नही किया है। लगता है शायद केंद्र में मंत्री बनने से उनका मन नहीं भरा है। अब उनकी नजर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की है। वैसे माहौल भी कुछ ऐसा ही चल रहा है। इस रैली को बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी कुछ हद तक सिंधिया की चाल समझ में आ रही होगी। दरअसल चतुर, चालाक सिंधिया को समझने में बीजेपी ने शुरू से ही नासमझी की है। सिंधिया एक ऐसे राजनेता हैं जो सत्ता के लिए कुछ भी हद तक जा सकते हैं। अभी तो यह शुरूआत है। आने वाले समय में बीजेपी को भी समझ में आ जायेगा कि सिंधिया की असल मंशा क्या है?
सरकार के करोड़ों रूपये फूंके
वैसे ग्वालियर में हुई इस रैली के लिये सत्ता पक्ष ने करोड़ों रुपये फूंक दिये। एयरपोर्ट से लेकर कार्यक्रम स्थल और फिर रैली मार्ग पर हर जगह की खूब साज-सज्जा की गई। साज-सज्जा को देख मानो ऐसा प्रतीत हुआ जैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया सालो बाद मध्यप्रदेश की धरती पर वापस लौटे हों। रैली के चार घंटे पहले और रैली के चार घंटे बाद तक पूरे शहर में ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से धवस्त रही। ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी सिंधिया के स्वभाव अनुसार उनकी आव-भगत में लगे रहे और सड़कों पर जनता परेशान होती रही। एक तरफ राज्य सरकार कोरोना संकटकाल के बाद लगातार बजट कटौती की बात कर रही है। लेकिन सिंधिया जैसे हारे हुये नेताओं के रैली में लाखों, करोड़ों रुपये फूंक देना कहा की समझदारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को तत्काल प्रभाव से पार्टी की इस तरह की रैलियों में होने वाले व्यर्थ खर्चे को रोकने के लिये तुरंत कोई सख्त कदम उठाना चाहिये।
बाढ़ से बेहाल हो चुका है क्षेत्र
वैसे कुछ ज्यादा दिन नहीं बीते हैं जब इस पूरे क्षेत्र को बाढ़ ने बेहाल किया था। लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए थे। बाढ़ ने सैंकड़ों की जान ली। हजारों लोगों को अपना सब कुछ गंवाना पड़ा। हालात ऐसे बने थे कि आज तक लोग अपनी जिंदगी को पटरी पर नहीं ला पा रहे हैं। उस समय लगभग एक सप्ताह तक हालात बेकाबू रहे। प्रदेश के मुख्यटमंत्री समेत कई मंत्री क्षेत्र में डेरा डाले रहे लेकिन सिंधिया जो अपने आप को क्षेत्र का मसीहा मानते हैं एक बार भी क्षेत्र में नही पहुंचे। जब पहुंचे तो एक मेगा शो के रूप में पहुंचे। ऐसी लाइफ स्टाईल के धनी हैं सिंधिया। उन्हें शर्म आनी चाहिए कि जिस क्षेत्र के रहवासियों की वजह से वह सत्ता का सुख भोग रहे हैं, कम से कम उस क्षेत्र की जनता से तो थोड़ी बहुत हमदर्दी रखते।
रैली के कारण हुई बुजुर्ग की मौत
रैली के चार घंटे पहले और रैली के चार घंटे बाद तक पूरे शहर में ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से धवस्त रही। ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी सिंधिया के स्वभाव अनुसार उनकी आव-भगत में लगे रहे और सड़कों पर जनता परेशान होती रही। हद तो तब हो गई जब सिंधिया की रैली के चक्कर में एक बूढ़े आदमी की एक्सीडेंट से मौत हो गई।सिंधिया की असवंदेनशीलता की इन्तेहा तो तब हुई जब घटना की जानकारी होने के बाद भी सिंधिया ने मृतक बुजुर्ग के परिजनों से मिलना भी उचित नहीं समझा। अपने गुमान में घूम रहे सिंधिया शायद यह भूल गये है कि जनता ही उनकी भगवान है और उन्हीं के वोटों से वो आज केंद्रीय मंत्री पद तक पहुंचे हैं।

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