डॉ. नीलम ज्योति
सावन शुरू हो गया है। बारिश, हरियाली और चाय-पकौड़ों के इस मौसम का लोग अपने-अपने तरीके से आनंद लेते हैं। पर इस दौरान धार्मिक लोग प्याज-लहसुन से परहेज करने लगते है. प्याज और लहसुन न केवल भारतीय व्यंजनों की एक प्रमुख सामग्री है, बल्कि इन दोनों के स्वास्थ्य लाभ भी हैं।
आयुर्वेद और कई ऐसे रिसर्च भी हैं जिनके अनुसार प्याज लहसुन की अधिकता शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है। खुद को डिटॉक्स करना जरूरी होता है. यदि आप कुछ समय के लिए प्याज-लहसुन का सेवन नहीं करते हैं, तो इससे आपके शरीर को किसी प्रकार का नुकसान नहीं बल्कि फायदा होता है।
सावन के महीने में हमें प्याज लहसुन से परहेज करने का एक लंबा समय मिलता है, जिसमें आप अपनी बॉडी को पूरी तरह से डिटॉक्स कर सात्विक भोजन से अपने शरीर में सकारात्मकता भर सकते हैं।
*1. नियमित आहार नहीं, औषधीय मसाले हैं प्याज-लहसुन :*
आयुर्वेद में सालों से प्याज लहसुन का प्रयोग दवाइयों को बनाने में किया जा रहा है। जैसे कि कोई भी दवाई को आप अपनी व्यक्तिगत शारीरिक स्थिति में सुधार करने के लिए खाते हैं, न कि आप उसे अपनी नियमित डाइट का हिस्सा बना लेते हैं।
ठीक उसी प्रकार प्याज और लहसुन में मौजूद प्रॉपर्टी शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होती हैं, परंतु केवल एक सामान्य स्थिति तक। इसका नियमित सेवन आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है।
*2. हेल्दी बैक्टीरिया को नुकसान :*
लहसुन एक पावरफुल हर्ब है और आयुर्वेद में इसे दवाइयों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद विशेषज्ञ अपने आहार में इसे नियमित रूप से शामिल करने की सलाह नहीं देते। यह एक एंटीबायोटिक की तरह काम करता है, खास कर कच्चा लहसुन, जो शरीर में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया का खात्मा करता हैं।.
परंतु इसकी अधिकता और नियमित रूप से इसका सेवन आंतों में मौजूद स्वस्थ बैक्टीरिया को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
*3. बॉडी हीट की बढ़ोत्तरी :*
आयुर्वेद के अनुसार, वात, पित्त और कफ तीन जीवन शक्तियां हैं। पित्त में अग्नि और जल तत्व के गुण होते हैं। यह शरीर में सभी मेटाबॉलिक प्रोसेस साथ-साथ शरीर के तापमान और हमारे हार्मोनल संतुलन को नियंत्रित करता है।
प्याज और लहसुन में पर्याप्त मात्रा में सल्फर मौजूद होता है और ये बहुत गर्म होते हैं।
इनका सेवन शारीरिक और भावनात्मक दोनों स्तर पर पित्त को बढ़ावा देता है। एसिड रिफ्लक्स, अल्सर, कोलाइटिस, हार्टबर्न, आंतों की सूजन, त्वचा पर चकत्ते या लालिमा आदि से पीड़ित व्यक्ति के लिए, इन दोनों पदार्थों को खाने से उपरोक्त समस्याएं बढ़ सकती हैं।
*4. तामसिक/राजसिक भोजन :*
प्याज और लहसुन को तामसिक और राजसिक भोजन माना गया है। इनका सेवन पित्त को बढ़ावा देता है, जिसकी वजह से शरीर में अधिक गर्मी पैदा होती है।
ऐसे में आपको पाचन संबंधी समस्याओं से लेकर त्वचा, बाल और सेहत संबंधी अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
*5. गुस्सा और एंग्जाइटी बढ़ना :*
आयुर्वेद का सुझाव है कि प्याज और लहसुन के सेवन से कुछ नकारात्मक भावनाएं जैसे क्रोध, आक्रामकता, अज्ञानता, सुस्ती, चिंता और यौन इच्छा में वृद्धि होती है।
इसलिए, जो लोग ध्यान का अभ्यास करते हैं या आध्यात्मिक मार्ग का अनुसरण करते हैं, वे प्याज और लहसुन के सेवन से पूरी तरह परहेज करते हैं।
यह भी कहा जाता है कि प्याज और लहसुन जैसे राजसिक खाद्य पदार्थ किसी की चेतना पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, जिसकी वजह से व्यक्ति किसी भी एक चीज पर ध्यान केंद्रित नहीं रख पाता।
वहीं ये दिमागी क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं और इसके परिणामस्वरूप अस्थिर बुद्धि भी हो सकती है।
*6 मनोस्वास्थ्य पर बुरा असर :*
राजसिक भोजन तीखे स्वाद वाले गर्म, मसालेदार और नमकीन खाद्य पदार्थों का मिश्रण है। ऐसा माना जाता है कि यह नकारात्मकता, जुनून, बेचैनी और हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति को बढ़ावा देता है।
प्याज और लहसुन सल्फर युक्त खाद्य पदार्थ हैं। जब इन्हें व्यंजनों में शामिल किया जाता है तो इनके लिए अधिक तेल और मसालों का प्रयोग करना पड़ता है।
सावन का महीना बरसात का मौसम होता है, जिसमें सामान्य दिनों की तुलना में हमारी इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। साथ ही इस दौरान संक्रमण का खतरा भी अधिक होता है। ऐसे में अधिक मसालेदार और तैलीय खाद्य पदार्थों के सेवन से आप संक्रमित हो सकती हैं।
इसलिए इस दौरान साधारण और सादा भोजन करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा प्याज लहसुन बॉडी हीट प्रोड्यूस करते हैं, जब शरीर अधिक गर्म होता है तो पिंपल्स, एक्ने और तमाम अन्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।