डॉ. प्रिया
पहले भारत में वेजाइनल डूशिंग यानी वेजाइना को साफ़ करने का प्रचलन नहीं था। यहां आमतौर पर माना जाता था कि योनि अपनी साफ़-सफाई खुद करती है। डूशिंग का चलन अमेरिका से यहां आया। अब भारत में भी अमेरिका की तर्ज़ पर 15 से 44 वर्ष की उम्र के बीच महिलाएं इस तकनीक का प्रयोग करती हैं।
हालांकि आज भी उनका प्रतिशत 30 से कम ही है। खुद को तरोताजा महसूस कराने, बैड स्मेल से छुटकारा पाने और पीरियड फ्लो को धोने, यौन संचारित रोगों (STI) से बचने और यहां तक कि गर्भधारण से बचने के लिए भी डूशिंग का प्रयोग किया जाता है।
*क्या है वेजाइनल डूशिंग?*
डूश एक फ्रेंच शब्द है, जिसका अर्थ होता है धोना या सोखना। यह योनि को धोने की एक विधि है। आमतौर पर यह पानी और विनेगर का मिश्रण हो सकता है। दवा की दुकानों और सुपरमार्केट में बेचे जाने वाले डूश में एंटीसेप्टिक्स और सुगंध होते हैं। यह बोतल या बैग में मिल सकता है। इसे एक ट्यूब के माध्यम से योनि में ऊपर की ओर स्प्रे किया जाता है।
कुछ महिलायें मानती हैं कि इसकी मदद से सफाई करने पर उन्हें स्वच्छ महसूस होता है। हालांकि इससे लाभ मिलने की बजाय साइड इफेक्ट देखे जा सकते हैं।
खुद को तरोताजा महसूस कराने, बैड स्मेल से छुटकारा पाने, पीरियड फ्लो को धोने, यौन संचारित रोगों (STI) से बचने और यहां तक कि गर्भधारण से बचने में भी प्रभावी नहीं है डूशिंग। वास्तव में यह संक्रमण, गर्भावस्था की जटिलताओं और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को जरूर बढ़ा सकता है।
डूशिंग से योनि में गुड बैक्टीरिया (Vaginal Flora) का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाता है। ये परिवर्तन योनि में संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया के विकास के लिए अधिक अनुकूल हो जाते हैं। जो महिलाएं डूशिंग करती हैं, वे यदि ऐसा करना बंद कर दें, तो उनमें बैक्टीरियल वेजिनोसिस होने की संभावना खुद ब खुद कम हो जाएगी।
बैक्टीरियल वेजिनोसिस होने से समय से पहले डेलिवरी और यौन संचारित संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
*पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज :*
पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब या ओवरी का संक्रमण है।
कुछ शोध के निष्कर्ष भी बताते हैं कि जो महिलाएं डूशिंग करती हैं, उनमें पीआईडी होने का खतरा 73% तक बढ़ जाता है।
*गर्भावस्था संबंधी समस्याएं :*
डूशिंग का प्रयोग करने वाली महिलाएं यह जान लें कि सप्ताह में एक बार से अधिक इसका प्रयोग करने पर उन्हें प्रेगनेंट होने में उन लोगों की तुलना में अधिक कठिनाई होगी, जो इसका प्रयोग नहीं करती हैं। डूशिंग से एक्टोपिक गर्भावस्था का खतरा भी 76% तक बढ़ सकता है।
एक्टोपिक गर्भावस्था में भ्रूण गर्भाशय के बाहर इम्प्लांट हो जाता है। एक महिला जितना अधिक डूशिंग करेगी, एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा उतना अधिक हो जाएगा।
*सर्विकल कैंसर :*
जिसे आप योनि को साफ करने का सुरक्षित तरीका समझ रहीं है, वह वास्तव में आपको योनि कैंसर भी दे सकता है। बहुत कम बार करने पर भी यह आपके लिए बेहद खतरनाक हो सकता है।
सप्ताह में केवल एक बार डूशिंग करने से भी सर्वाइकल कैंसर विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।
किसी भी महिला को वेजाइनल डूशिंग से बचना चाहिए। योनि से कुछ दुर्गंध आना सामान्य है। यदि योनि से बहुत तेज़ गंध आती है, तो यह संक्रमण का संकेत हो सकता है। योनि की अम्लता स्वाभाविक रूप से बैक्टीरिया को नियंत्रित कर लेती है।
यदि योनि को साफ़ करने की जरूरत महसूस होती है, तो हल्का गुनगुना पानी से धो लें। बिना गंध वाले हल्के साबुन का ही प्रयोग करें। बाहरी रूप से धोना ही साफ रखने के लिए पर्याप्त है।