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हिंदू हित यानी राष्ट्रीय हित -मोहन भागवत

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सुसंस्कृति परिहार
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आगे कहा है कि , ‘सामर्थ्य हमारे पास ऐसी है कि हमारे सामने खड़े रहने की ताकत किसी की नहीं है। हिंदू समुदाय किसी का विरोधी भी नहीं है। हम सदियों से कायम हैं और फलते-फूलते रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि जिन्होंने हिंदुओं को खत्म करने का प्रयास किया वो आज पूरी दुनिया में आपस में लड़ रहे हैं। ‘

यह बात11वीं सदी के संत रामानुजाचार्य के सहस्राब्दी जयंती समारोह को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को हैदराबाद में कही। उन्होंने कहा कि देश में प्राथमिकता हिंदू हित यानी राष्ट्रीय हित होना चाहिए। अन्य हित जैसे भाषा और जाति आदि गौण हैं। हम ऐसी किसी बात में शामिल नहीं होंगे जो देश में अंदरुनी संघर्ष भड़काए। हम सम्मान के साथ रहेंगे। हमें

खत्म करने के खूब प्रयास किए गए, लेकिन विफल रहे। यदि हम खत्म हो पाते तो बीते 1000 साल में ऐसा हो चुका होता, लेकिन 5000 साल पुराना हमारा सनातम धर्म अक्षुण्ण है।

इससे पहले भी संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदुत्व पर बड़ा बयान दिया था उन्होंने कहा कि- संघ की नजर में 130 करोड़ की आबादी हिंदू है। मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत में लोगों की संस्कृति और धर्म चाहे जो भी, वह हिंदू है ।वे तो हिंदु मुसलमानों का डी एन ए भी एक मान चुके हैं।
तो सवाल इस बात का है जब हम सब एक हैं मतलब हिंदू या हिंदुस्तानी हैं तो ये कर्नाटक के विद्यामंदिर में तिरंगे के स्थान पर भगवा आपका झंडा फहराने वाले लोग कौन हैं?भगवा पट्टियां या शाल गले में डाले एक हिजाब बहनी लड़की को घेरने वाले सैंकड़ों लोग कौन हैं? शिवाजी की क्रांति का भगवा झंडा आज देश में इस भयानक रुप में आपके सामने है आप और सरकार चुप है।हम सबको नाज़ है कि हमारा सनातन धर्म पांच हजार साल पुराना होने के बावजूद आज भी ज़िंदा है और उसकी वजह देश में रहने वाले तमाम हिंदुस्तानियों जिन्हें आप हिंदू कह रहे हैं उन सबकी बदौलत ही है। आपके कथन पर लोगों को कतई यकीन नहीं होता। क्योंकि भगवा झंडे धारी तो यह कहते फिरते हैं कि आज हिंदू ख़तरे में है ।कौन हिंदू जो मुसलमान है, ईसाई है,या बौद्ध है।जब आपको भरोसा है कि हिंदुस्तान के हिंदुओं की सामर्थ्य के आगे कोई खड़ा नहीं हो सकता तो ये सब झमेले घर में क्यों- कर हो रहे ?

आज संचार क्रांति की बदौलतआम जनता सब कुछ भली-भांति देख रही है । वह बहुत सदमे में है वह देख चुकी है साम्प्रदायिक मेल-जोल किस तरह चंद भगवाधारी सरकार के संरक्षण में बिगाड़ने लगे हुए हैं।राम लला में पूरी देश की आस्था है पर जय श्री राम जैसे युद्ध घोष का जवाब मांड्या की मुस्कान को अल्लाहू अकबर से देना पड़ा । जैसे हिंदुस्तानी युवाओं में संग्राम छिड़ गया हो।सब चुपचाप देख रहे हैं तमाम अन्य धर्मावलंबी हिंदू, हद से ज्यादा परेशानी में हैं।वे एकजुट हो रहे हैं उत्तर प्रदेश में भगवा बुरी तरह इसी वजह से मात खाता दिख रहा है।वोट देकर निकले व्यक्तियों का आक्रोश साफ इस बात के संकेत दे रहा है।यदि वास्तव में इस देश के तमाम लोग हिंदुस्तानी बनाम हिंदू हैं तो उनके मददगार बनिए।इस सरकार ने तो संघ के विचारों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। आजादी के पहले के स्वरुप को बदलकर ही अब संघ को देश में कामयाबी मिल सकती है। सरकार की तमाम झूठों की चूलें भी हिल चुकी हैं। बेशक जनता समझदार हो गई है।

यहां यह भी स्मरण कराना जरूरी है कि दुनिया का एकमात्र हिंदू राष्ट्र नेपाल ख़त्म हो चुका है।जब इतना छोटा देश एक धर्म विशेष का नहीं बच पाया तो भारत के बारे में ऐसा सोचना तो निरी कपोल कल्पना ही होगा। सब को हिंदू कहने में संकोच नहीं किया तो उन सबको हिंदुस्तानी ही कहिए जिस नाम से दुनियां इसे जानती है तथा अल्लामा इक़बाल की उन पंक्तियों पर गौर करिए–
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलिस्तां हमारा
…………………………………
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दौरे दुश्मन जमा हमारा ।

संघ प्रमुख अपनी इस राष्ट्रीय भावना का मैदान में जाकर खुलकर प्रचार करें गलत लोगों पर कार्रवाई करवाएं तभी लोगों का विश्वास अर्जित कर तमाम हिंदुस्तानियों में राष्ट्रहित की भावना प्रबल कर वे वास्तविक हिंदु राष्ट्र बना पाएंगे।छल और छद्म अब चलने वाला नहीं।शुभास्तु।

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