गिरीश मालवीय
दुनिया के इतिहास में केवल एक ही उदाहरण मिलता है जब किसी सरकार ने सार्वजनिक रूप से अपनी जनता को नफरत फ़ैलाने वाली फिल्म देखने के लिए प्रेरित किया हो ! हम बात कर रहे हैं क्रूरतम् मानव हत्यारा नाजी जर्मनी का कुख्यात है तानाशाह एडोल्फ हिटलर की । उसी कुख्यात तानाशाह एडोल्फ हिटलर की नाज़ी पार्टी ने 1933 में जर्मनी में Department of Film की स्थापना की, इसका मुख्य कार्य “सार्वजनिक ज्ञान और शिक्षा के लिए उपयुक्त ! ” फिल्म शो आयोजित करना था, ऐसी फिल्मों का मुख्य लक्ष्य जातीय और नस्लीय “सफाई ” का था !
उस दौर में डाक्यूमेंट्री, न्यूज़रील, शॉर्टफिल्म्स और फीचर फिल्म मिलाकर लगभग 1000 फिल्में बनाई गईं नाजी फिल्म विभाग द्वारा निर्मित यहूदी विरोधी फिल्म द इटरनल जूयस और जूड सस को 1940 में रिलीज़ किया गया ।
आपको जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि जिस तरह से यहां वर्तमान समय के भारत के मोदीराज में भारत के एक राज्य के गृहमंत्री द्वारा ऐसी फिल्म देखने के लिए पुलिस कर्मियों को छुट्टी दी जा रही है वैसे ही हिटलर के नाजी दौर के जर्मनी में होलोकास्ट मतलब सर्वनाश करने के मुख्य कर्ताधर्ता और हिटलर के विश्वस्त सहयोगी हेनरिक हिमलर ने एसएस और पुलिस के सदस्यों से ऐसी फिल्में देखने का आग्रह भी किया था !
नाजी जर्मनी में ऐसी प्रोपेगेंडा फिल्मों के निर्माण के लिए कम ब्याज पर लोन उपलब्ध कराने के लिए लिए एक फिल्म बैंक जिसका नाम फिल्म क्रेडिट बैंक जीएमबीएच था, की स्थापना भी की गई थी और ऐसी फिल्मों को टैक्स फ्री भी किया गया था,नाजी जर्मनी में ऐसी फिल्मों को पुरस्कृत भी किया जाता था !
हिटलर स्वयं फिल्मों के मनोवैज्ञानिक प्रभाव के बारे समझ रखता था अपनी आत्मकथा ” मीन कैम्फ “में उसने लिखा है कि लिखे हुए शब्दों की अपेक्षा लोगों को फिल्मों से जोड़ना अधिक आसान होता है हिटलर और उसका प्रचार मंत्री गॉयबल्स नियमित रूप से अपने घरों में फिल्में देखता था और अक्सर फिल्मों और फिल्म निर्माण पर चर्चा भी किया करता रहता था !
साफ़ नजर आता है कि फिल्में नाजी जर्मनी में प्रोपेगेंडा प्रचार के सबसे महत्वपूर्ण साधन भी थीं आज भारत में भी यही देखने में आ रहा है,हिटलर के जमाने की जर्मनी और आज के मोदी के जमाने के भारत में केवल एक ही अंतर है,हिटलर की जर्मनी में घृणा के पात्र यहूदी थे ! वर्तमान मोदीराज में दुष्प्रचार के टारगेट पर मुसलमान हैं ! बाकी मोदीराज में सब कुछ एडोल्फ हिटलर के नक्शे कदम पर ही चल रहा है !
साभार – सुप्रसिद्ध लेखक,विचारक श्री गिरीश मालवीय
-निर्मल कुमार शर्मा, ‘गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण तथा देश-विदेश के समाचार पत्र- पत्रिकाओं में पाखंड, अंधविश्वास,राजनैतिक, सामाजिक,आर्थिक,वैज्ञानिक, पर्यावरण आदि सभी विषयों पर बेखौफ,निष्पृह और स्वतंत्र रूप से लेखन ‘, गाजियाबाद, उप्र