विजय दलाल
*लाख मीडिया सुबह से शाम तक केवल मोदी राग अलाप रहा हो या रोज अखबारों के पन्नों पर केवल एक ही नेता के फोटो के विज्ञापन हो या समाचार हो या हर सरकारी योजनाओं के सर्टिफिकेट या रेवड़ियों की थैलियों पर महामहिम विराजमान हो जैसे जैसे लोगों का हकीकत से वास्ता हो रहा है जादू कम तो हो रहा है।*
*नौटंकी और जुमलेबाजी आखिर कब तक चले?*
*वर्ल्ड कप की जीत हार को राष्ट्रवाद का जामा पहनाने और लोकप्रियता हासिल करने के उद्देश्य से भले ही गुजरात के व्यापारियों की अनाप-शनाप कमाई करवा दी हो, मगर राजनीतिक रूप से द्वय की स्टेडियम में उपस्थिति के कारण हार का दोष भी झेलना ही पड़ रहा है।*
*लोकप्रियता के लिए सस्ते व्यापारिक कारनामों की कीमत इस तरह से ही चुकाना पड़ती है।*
*मध्यप्रदेश में चुनाव में चुनावों में किसानों की नाराज़गी का एक कारण यह रहा कि खाद की बोरियों पर मोदीजी का फोटो होने से जब किसानों को खाद की जरूरत थी पर चुनाव के कारण आयोग द्वारा सप्लाई रोक दी गई। दुबले और दो आषाढ़। सरकार के किसान को अनाज की कीमतों को डेढ़ा और दुगने करने के आश्वासन जुमले साबित हुए।*
*किसान आंदोलन ने किसान की वर्ग चेतना पर भी प्रभाव डाला।*
*मध्यमवर्ग के एक बड़े हिस्से जिसकी आय कम है उसको भी समझ में आ रहा है कि उधर किसान को कम आय इधर बाजार में अनाज की कीमतें आसमान छुएं।*
*कार्पोरेट्स समर्थक सरकार का यह खेल।*
*बड़ी पूंजी की नजर जब से खेती पर पड़ी है वह एक साथ कई कारनामे कर रही है।*
*हम देख रहे हैं जमीनों की कीमतें जिस तरह बड़ी है उसके समान किसी भी अन्य वस्तु की नहीं बढ़ी। इसलिए निवेश के लिए सबसे उत्तम। उसे सस्ते दामों पर प्राप्त करने की पुरी व्यवस्था मौजूद।*
*खेती मतलब सबसे ज्यादा श्रम का काम मगर सबसे कम मुनाफे का काम।*
*अगर आप सिर्फ किसान हैं और मध्यम और छोटे किसान हैं*आपको बैंकों से और निजी क्षेत्र से ॠण आसानी से मिल जाएगा, चूंकि फसल आने पर*एक तो बाजार में उस फ़सल की कीमत भी कम होगी,ॠण चुकाने की जल्दी में आपको फसल सस्ती बेचना* *होगी। इस चक्र में आप उलझते जाएंगे एक दिन आत्महत्या या जमीन बेचकर मजदूरी के लिए शहर जाना।*
*हम इंदौर शहर में गांवों से आए ऐसे हजारों प्रवासी मजदूरों से मिल सकते हैं।* ***