इंदौर- युद्ध की विभीषिका एवं इसके सामाजिक , आर्थिक दुष्परिणामों की और ध्यान आकर्षित करने एवं सभी प्रकार के हथियारों की होड़ समाप्त करने , हथियारों के उत्पादन पर रोक लगाने, उपलब्ध हथियारों के जखीरों को समाप्त करने तथा विश्व में शांति एवं सद्भाव के पक्ष में शांति प्रिय ताकतों को एकजुट करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 1 सितम्बर को युद्ध विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन की इंदौर इकाई द्वारा मानव श्रृंखला का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि युद्धोन्माद फैलाना और उसकी आड़ में हथियारों का व्यापर करना साम्राज्यवादी ताकतों का शगल है। अमेरिका जैसे मुल्क दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अशांति और तनाव का वातावरण बना कर अपनी रोटी सेंकते हैं। इसका बहुत बड़ा खामियाजा अविकसित एवं विकासशील राष्ट्रों को भुगतना पड़ता है एवं अपने बजट का बड़ा हिस्सा कल्याणकारी योजनाओं के बजाय हथियारों की खरीदी या उनके उत्पादन पर व्यय करना पड़ता है। भारत की राजनितिक विरासत शांति की रही है और नेहरू के नेतृत्व में पंचशील के सिद्धांतों के माध्यम से शांति और सद्भाव हेतु भारत की वैश्विक पहल अत्यंत मह्त्वपूर्ण थी। सार्क के गठन और उसके जरिये दक्षिण एशियाई देशों में मित्रभाव एवं सहयोग कायम करने में भी भारत की भूमिका रही है। मगर आज ये सारे प्रयास पिछड़ रहे हैं जो चिंता का विषय है। आज आवश्यकता नागरिक मंचों के माध्यम से शांति आन्दोलनों के विस्तार और उनको व्यापकता देने की है। इस अवसर पर रूस-यूक्रेन और फ़िलीस्तीन-इस्राइल के मध्य जारी युद्धों को तुरंत रोकने की मांग की।
मानव श्रृंखला में श्याम सुंदर यादव, दिलीप राजपाल, रामबाबू अग्रवाल, राहुल निहोरे, सुरेश उपाध्याय विनीत तिवारी, फ़ादर पायस लाकरा, जया मेहता, चुन्नी लाल वाधवानी, अशोक दुबे, साजिद अली, डॉ सी एल यादव, गजानन निमगांवकर, योगेन्द्र महावर, जानकी लाल पटेरिया, भारत सिंह ठाकुर, अजय बागी, सत्य नारायण वर्मा सहित नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थिति थे ।
अरविंद पोरवाल
महासचिव
अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन