अग्नि आलोक
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किसी के सामने टांग खोलकर लेट जाऊंगी और धन मिल जाएगा, तुम अपनी सोचो 

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       दिव्यांशी मिश्रा, भोपाल 

जब मैं घर से आ रही थी पापा ने मुझे ₹ 20, 000 दिए थे और बोला था बेटा अपना ध्यान रखना. खाना और रहना तो हॉस्टल में हो ही हो जायेगा. बाकी जो लड़कियों के खर्च होते, ये सिर्फ वही खर्च हैं.

    मुझे लगा था यह पैसे मेरे लिए पर्याप्त होंगे पर ऐसा नहीं था. यहां पर आने पर मैंने देखा जो लड़कियां फीस माफी की एप्लीकेशन कॉलेज में देती हैं उनके पास ₹100000 के फोन है महंगे कपड़े हैं कहीं आने-जाने के लिए कार बुक करती हैं. 

    मेरी रूममेट मुझे झल्ली, बहनज़ी, बेकवर्ड कहती थी. वो साफ कहती, कपड़े उतारकर कीसी भी लडके के सामने टांगे खोल दूंगी. दो मिनट में उसका काम खत्म, मेरा काम बन जायेगा. तुम अपनी सोचो.

      जब इसके बारे में और जानना चाहा और जो चीज मुझे पता चली उसे सुनने के बाद तो मानो एक पल को तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि क्या सच में ऐसा कोई कर सकता है. पर मैं गलत थी यहां के लोगों के लिए यह चीज काफी आम थे.

     अब आप में से कुछ लोग मेरी इस बात को सुनकर गुस्सा भी करेंगे और कुछ लोगों को मेरी बात पर यकीन नहीं होगा लेकिन एक बहुत बड़ा तबका है जो इस सच्चाई को काफी अच्छे से जानता है.

   वह तब का जानता है कि कैसे शहर की लड़कियां कॉलेज में पढ़ने जाती हैं तो अपना खर्च चलाती हैं.

   यह लड़कियां आमिर लड़कों को ढूंढती हैं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता वह दिखने में कैसा है पर पैसे वाला होना चाहिए.

यह सारी प्रक्रिया एक क्रमबद्ध तरीके से होती है, जिसमे पहले लड़किया एक अच्छा लड़का फसाती हैं कुछ दिन प्यार भरी बात करती हैं, और 1 से 2 हफ्ते में उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना शुरू कर देती हैं.

    इसके लिए वो डेटिंग ऐप, पब बार, महंगी पार्टी में का सहारा लेती हैं जहां पर अमीर लड़के आते हैं.

    एक बार शारीरिक सम्बंध बन जाने के बाद ये लडकिया लडको को अपने वश में करती है. महंगे मोबाइल, कपड़े रेस्टिरेंट में खाना, और बदले में एक रात लड़के के साथ संबंध बना लेना.

     यह कॉलेज या हपस्टल में जाने वाली लड़कियों के लिए एक आम बात है , और यहीं से उनका खर्चा निकलता रहता है. लेकिन इसमें गलती सिर्फ लड़की की ही नहीं है. उनके मां बाप की भी है. आखिर वो क्यों नहीं पूछते अपनी बेटी से को इतना महंगा फोन कहा से मिला, हर हफ्ते नए कपड़े कहा से आरे हैं. यह रास्ता खुद को रोगों बनाने, सड़ाने का है. 

     यह रास्ता मज़बूरी में नहीं, ऐयासी के लिए अपनाया जाता है. जरूरतों की पूर्ति के लिए अगर यह रास्ता आप अपनाती हैं तो, अपनी सारी जरूरतपूर्ति हमारे मिशन से करा सकती हैं, बिना अपना ज़िस्म सौंपे.

    अब आप को इसमें ये लग रहा होगा की कितना आसान है, किसी लड़के को बेवकूफ बनाना. ऐसा ही बहुत सी लड़कियां को भी लगता है, लेकिन लड़के हमेशा अच्छे नही होते. बुरे मिले तो क्या होता है, यह आये दिन सामने आता है. (चेतना विकास मिशन).

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