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अगर ईवीएम के साथ छेड़खानी नही की तो भारतीय मतदाता 1977 को दोहरा सकते हैं

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डॉ. सुरेश खैरनार

प्रिय हरिशभाई साळवे, नमस्कार
आपने जो खत लिखा है ! यह तो बाईस साल पहले नरेंद्र मोदी का गुजरात मॉडल है ! ‘पार्टी वुईथ डिफरंस’ , भाजपा का ! भ्रष्टाचार को लेकर पाखंड !! भाजपा 2014 के चुनाव में भय, भ्रष्टाचार भुक मुक्त भारत की घोषणा देते हुए सत्ता में आया है ! उसमें से पहला मुद्दा भय का लिजिये मैं 1975 के आपातकाल के विरोधी लोगों में से एक सैनिक रहा हूँ ! और उसके लिए जेल भी गया हूँ ! उस समय मेरी उम्र सिर्फ 23 साल की थी ! लेकिन आपातकाल की घोषणा होने के बावजूद, आज जैसा संपूर्ण देश में भय के माहौल में है ! उस तुलना में 1975 – 76 के 19 महिनों में नही था !


नरेंद्र मोदी ने, प्रधानमंत्री के रूप में, 2014 के, मई माह के अंत में ! शपथ लेने के तुरंत बाद ! मुंबई के तिस्ता सेटलवाड के पुश्तैनी मकान ‘जुहू निरांत’ नामके बंगले पर, सीबीआई, आईबी तथा ईडी की पहली छापामारी की शुरुआत की गई थी !
क्योंकि उसी दिन आधी रात को, मुझे तिस्ता सेटलवाड ने फोन करके यह छापामारी अभी भी रात के इतने समय में भी चल रही है ! और हमारे घर को भुकंप में तब्दील कर दिया है ! “यह बात कही थी ! कौन है तिस्ता सेटलवाड ? भारत के पहले अटॉर्नी जनरल चमनलाल सेटलवाड की नातनी ! और उसके बाद तिस्ता के पिताजी अतुल सेटलवाड जो भारत के एडवोकेट जनरल रह चुके हैं ! उनकी बेटी तिस्ता जो पेशेवर वकील है ! का गुजरात दंगों के उपर जो काम चल रहा था ! जिसमें उन्होंने जस्टिस कृष्ण अय्यर के नेतृत्व में Concerned Citizens Tribunal – Gujarat 2002, के नाम से, एक जांच आयोग गठित किया था ! जिसके सदस्यों में पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश तथा दो बार प्रेस कौन्सिल अॉफ इंडिया के अध्यक्ष रह चुके, जस्टिस पी बी सामंत, मुंबई हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस सुरेश होस्पेट, तथा हैदराबाद के एडवोकेट के. जी. कन्नाबीरन, जो जयप्रकाश नारायण ने, आपातकाल के दौरान मानवाधिकारों की रक्षा के लिए स्थापित किया संघठन, पीयूसीएल के अध्यक्ष थे , अरुणा रॉय, जिन्होंने अपनी कलक्टर की नौकरी छोड़कर सूचना के अधिकार और मजदूरों तथा किसानों की समस्याओं के लिए स्थापित मजदूर किसान शक्ति संघठन का काम में अपने जीवन को खपा दिया है ! , डॉ. के. एस. सुब्रमण्यनियन, पूर्व डीजीपी त्रिपुरा, प्रोफेसर घनश्याम शाह, जेएनयू के सोशल मेडिसिन विभाग में काम करते थे ! और जेएनयू की ही इतिहास विषय की प्रोफेसर तनिका सरकार ! यह भारत के एकसे बढकर एक ! आठ लोगों को लेकर जस्टिस कृष्णा अय्यर ने अपने नेतृत्व में 510 पनौका रिपोर्ट, जो भारत के दंगों के इतिहास में सब से बेहतरीन रिपोर्ट तैयार कर के, 21 नवंबर 2002 के दिन, मतलब दंगे के नौवें महिने के भितर ! यह रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में आने के बाद !


संपूर्ण विश्व में नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए, संपूर्ण गुजरात की पुलिस – प्रशासन और सबसे हैरानी की बात गुजरात की न्यायिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करते हुए ! दंगों को भडकाकर दंगाइयों को बचाने के, और दंगों में अपनी प्रशासनिक ड्यूटी को इमानदारी से करने वाले, संजीव भट्ट, आर. बी. श्रीकुमार जैसे अफसरों को सजा देने का काम किया है !
यह तथ्य तथा नरोदा पटिया, गुलमर्ग सोसायटी, बेस्ट बेकरी तथा बिलकिस बानो जैसे केसेस को उजागर करने का प्रयास इस रिपोर्ट में किया गया है ! और इसी कारण नरेंद्र मोदी को वीजा रोकने के निर्णय, कई यूरोपीय देशों से लेकर, अमेरिका ने तक नरेंद्र मोदी को अपने देशों में आने की मनाही की थी ! यह बात नरेंद्र मोदी को बहुत ही नागवार लगीं थी ! और इसिलिये उन्होंने प्रधानमंत्री पद पर आते ही, सबसे पहले, जो निर्णय लिये ! उनमे एक निर्णय तिस्ता सेटलवाड के मुंबई स्थित घर पर छापामारी ! और उन्हें और उनके पति जावेद आनंद को गिरफ्तार करने की शुरूआत कर दी थी !


फिर क्या उन्होंने जल्द ही गृहमंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग जो राजनाथ सिंह सम्हाल रहे थे ! उनसे छिनकर अमित शाह जो कुछ हत्याओं के आरोप में गुजरात के गृहमंत्री रहते हुए ! गिरफ्तार किए गए थे ! और उन्हें गुजरात राज्य में गवाह नष्ट करने के लिए मनाही करने के लिए, गुजरात में आने – जाने की मनाही की गई थी ! जिसे मराठी में तडिपार बोलते हैं ! उसे भारत का गृहमंत्री का काम सौंपा है ! जैसे जर्मनी में हिटलर ने ( 1930 की 30 जनवरी को ) चांसलर बनने के बाद हिमलर को इस तरह की जिम्मेवारी सौंपी थी ! बिल्कुल 85 वर्ष के बाद भारत में हूबहू फासिज्म दोहराया जा रहा है !
यहां भी अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ द्वेष फैला कर, लोगो को भडकाकर, एक-दूसरे के खिलाफ खड़े कर दिया है ! और पूंजीपतियों को सभी नियमों तथा कानून ताकपर रखकर खुली छूट दी गई है ! अंबानी – अदानी उद्योग समूह उदाहरण के लिए !
सीबीआई,आईबी, ईडी और सबसे हैरानी की बात चुनाव आयोग और न्यायपालिका को दबाव में डालकर और संपूर्ण भारतीय मिडिया इलेक्ट्रॉनिक से लेकर प्रिंट तक रशिया या चीन के जैसा सिर्फ सरकारी और उसमे भी सिर्फ नरेंद्र मोदी को प्रोजेक्ट करने का काम जारी है !
और सबसे हैरानी की बात नरेंद्र मोदी ने 2013 के चुनाव प्रचार में, हर साल दो करोड़ रोजगार की गारंटी की घोषणा की थी ! लेकिन अभी – अभी बेरोजगारी के आकडे बाहर आये हैं ! इन दस सालों में, ( 12 ) बारह करोड़ बेरोजगार हो गए हैं ! कहा गई ‘यह मोदी की गारंटी है !’ वाला धमकाने वाला जुमला ?


गरिबो को सडा हुआ अनाज बाट कर, और दुनिया भर की रेवड़ीया बाटने की घोषणा, फिर वह महिलाओं के नाम पर 30%आरक्षण से लेकर, घरेलू गॅस, पीने का पानी, और विभिन्न आरोग्य के कार्ड का अनुभव, मै पिछले साल भर से श्रीमती खैरनार की तबीयत खराब होने की वजह से, मुझे नागपुर के काफी अस्पतालों में इस सालभर में दाखिल मरीजों को कौन सा नरेंद्र मोदी का तथाकथित कार्ड काम कर रहा है ?
यह अपनी आंखों से देख चुका हूँ ! और सबसे हैरानी की बात नागपुर के प्रायवेट अस्पतालों में आधी आबादी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मरीजों की संख्या भर्ती हूए लोगों की हालत, मैं खुद देख चुका हूँ ! कोई भी कार्ड वहां काम नहीं आ रहे हैं ! और मरीजों के रिश्तेदारों से सुना हूँ कि हम हमारे खेती को बेचकर अस्पतालों के बील दे रहे हैं ! कहा गई मोदी की धमकाने वाली गारंटी ?


असल मे नरेंद्र मोदी भारत के लोगों को मुर्ख समझकर चल रहे हैं ! यही गलती श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी 1977 के चुनाव की घोषणा करने के बाद की थी ! लेकिन 47 सालों पहले इतिहास के हमारे जैसे कई साक्षीदार मौजूद हैं ! आपातकाल में जयप्रकाश नारायण की तबीयत खराब होने की वजह से श्रीमती इंदिरा गाँधी ने डर के मारे उन्हें छोड दिया था और वह मुंबई के जसलोक अस्पताल से इलाज कराकर वापस पटना जा रहे थे तो उन्होंने आचार्य विनोबा भावे को मिलने की इच्छा व्यक्त की तो उन्हें मुंबई से नागपुर विमान से लाने के समय मुझे प्रोफेसर सुरेश पांढरीपांडे ने कहा कि तुम्हे आज एअरपोर्ट चलना है जयप्रकाश आपातकाल के खिलाफ काम कर रहे किसी युवा से बातचीत करना चाहते हैं तो पांढरीपांडे सर की लॅब्रेटा स्कूटर पर उनके पिछे बैठकर हम लोग एअरपोर्ट गए उस समय नागपुर एअरपोर्ट सिर्फ चंद पाईप की बाड से और सामने खुला हिस्सा था तो उन पाइप की बाडपर एक मुछोवाले जिन्स पहने हुए सज्जन चढकर बैठे हुए थे तो पांढरीपांडे सर ने जोरसे आवाज देते हुए कहा कि अरे महेश यही है सुरेश खैरनार ! तो महेश एलकुंचवार पाइप की बाड से निचे उतरकर मुझे उलाहना देते हुए बोले कि “पुष्पा भावे ने तुम्हारें बारे में मुझे काफी कुछ कहा है ! और मै तुम्हारे इंतजार में ही था ! खैर अभी एअरपोर्ट के बाद, तुम अभी मेरे साथ मेरे घर चलोगे “! उतने में मुंबई के विमान उतरने की घोषणा हुई और थोडी ही देर में सब से पहले जयप्रकाश नारायण को एक स्ट्रेचर पर उतारकर वीआईपी लॉन्ज में जयप्रकाश नारायण सेटल होने के बाद, मुझे पांढरीपांडे सर जयप्रकाश नारायण से मिलाने के लिए ले गए !

जयप्रकाश नारायण बहुत ही थकावट महसूस कर रहे थे इसलिए उन्होंने कहा कि “तुम मेरे नजदीक आकर बैठो !” मै उनके कानों के पास मुंह लेकर बैठने के बाद उन्होंने मुझे पुछा की तुम बाहर घुम – फिर रहे हो तो मुझे बताओ तो लोगों में आपात स्थिति के बारे में कैसी-कैसी प्रतिक्रिया है ? जवाब में मैंने कहा कि “लोगों में कुछ भी गुस्सा या आपातकाल के खिलाफ प्रतिक्रिया नहीं है ! यह मुझे लेकर आने वाले प्रोफेसर पांढरीपांडे और महेश एलकुंचवार जैसे चंद पढने लिखने वाले लोगो को छोड़कर आम लोगों में मुझे कोई फर्क दिखाई नहीं दे रहा है ! जयप्रकाश नारायण ने कहा कि ऐसा तुम्हें लगता है ? और आचार्य दादा धर्माधिकारी भी वहा मौजूद थे और उन्हें जयप्रकाश नारायण के साथ पवनार जाना था इसलिए थोडी देर बाद एक एंबुलेंस में जयप्रकाश नारायण और उनके साथ दो अटेंडेंट और आचार्य दादा धर्माधिकारी चलें गए और मुझे महेश अपनी लॅब्रेटा स्कूटर पर अपने घर शंकरनगर के पोस्ट ऑफिस के पिछे ले गए थे !


लेकिन उसके कुछ समय बाद इंदिरा गाँधी जी ने शायद आचार्य विनोबा भावे की सलाह की वजह से चुनाव की घोषणा की और 1977 के रिजल्ट क्या आए यह पूरी दुनिया को मालूम है !
नरेंद्र मोदी भी आपातकाल के समय पच्चीस साल के संघ के सामान्य प्रचारक थे ! यह इतिहास वह सत्ता के नशे में भूल गए होंगे इसलिए उन्हें याद दिला देता हूँ कि अगर ईवीएम के साथ कुछ छेड़खानी नही की तो भारतीय मतदाता 1977 को दोहरा सकते हैं ! और शायद आपको भी थोड़ा बहुत अंदेशा हो गया है इसलिए ईडी सीबीआई और चुनाव आयोग को अपनी मनमानी करते हुए इस्तेमाल कर रहे हो ! लेकिन सचमुच फ्री एंड फेअर चुनाव होंगे तो आपको और आपके सभी साथियों को अब दस सालों में की गई मनमानी की किमत चुकाने के लिए तैयार रहना चाहिए !

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