एस पी मित्तल,अजमेर
अजमेर के कोटड़ा क्षेत्र में संचालित सेंट्रल एकेडमी स्कूल की 11वीं कक्षा के दो छात्र यश और अनुज की मौत से शहर भर में मातम का माहौल है। इन दोनों छज्ञत्रों की मृत्यु तब हुई जब स्कूल की वालीबॉल टीम जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए अजमेर से मसूदा जा रही थी। 6 नवंबर को टीम के सभी सदस्य अपने कोच नीरज कुमार के साथ इनोवा कार में जा रहे थे कि तभी ब्यावर रोड पर बकरा मंडी के सामने इनोवा कार डिवाइडर पर चढ़कर बिजली के खंबे से टकरा गई। छात्र यश की तो मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अनुज की इलाज के दौरान 8 नवंबर को मौत हुई। 6 नवंबर को अकेले वालीबॉल की टीम नहीं जा रही थी, बल्कि इसी स्कूल की कराटे की टीम सवार और स्विमिंग की टीम अजमेर शहर के संस्कृति स्कूल गई। चूंकि संस्कृति स्कूल शहर में ही है, इसलिए अभिभावकों से कहा गया कि वे स्वयं अपने बच्चों को स्कूल तक छोड़े। जबकि सावर और मसूदा जाने वाली टीम के लिए रोडवेज बस से जाने का निर्णय लिया। वालीबॉल और करांटे की टीमें रोडवेज की बसों से जाएंगी, इस निर्णय पर टीम के कोच तुषार मंगल और नीरज कुमार के हस्ताक्षर भी हैं। स्कूल प्रबंधन की ओर से वॉलीबॉल टीम के कोच नीरज कुमार को 20 हजार तथा कराटे टीम के तुषार मंगल को 10 हजार रुपए की राशि नदक भी दी गई, ताकि विद्यार्थियों को समय पर नाश्ता, भोजन आदि करवाया जा सके। करांटे की टीम ने स्कूल प्रबंधन के निर्णय के अनुरूप रोडवेज बस में सफर किया, लेकिन वालीबॉल टीम के कोच नीरज कुमार ने प्रबंधन के निर्देशों की अवहेलना करते हुए इनोवा कार का इंतजाम किया। यह इनोवा कार नौसर घाटी निवासी याकूब भाई की थी। कार के ड्राइवर के तौर पर याकूब का बेटा आसिफ साथ रहा। बस के बजाए इनोवा कार के इस्तेमाल पर किसी भी छात्र ने एतराज नहीं जताया। कार भी ड्राइवर आसिफ से चलवाने के बजाए टीम के कोच नीरज कुमार ने ही चलाई। दुर्घटना के समय भी नीरज ही कार चला रहा था। यदि वॉलीबॉल टीम भी कराटे टीम की तरह रोडवेज बस से सफर करती तो छात्र यश और अनुज की मौत नहीं होती। यह जांच का विषय है कि बस के बजाए इनोवा कार से मसूदा जाने का निर्णय किस स्तर पर लिया गया। सेंट्रल स्कूल प्रबंधन भी अपने स्तर पर पड़ताल कर रहा है। टीम के कोच और इनोवा कार चलाने वाले नीरज कुमार अभी अस्पताल में भर्ती हैं।
दो हजार विद्यार्थियों के भविष्य का क्या होगा?
जिला शिक्षा अधिकारी अनिल कुमार जोशी ने सीबीएसई के क्षेत्रीय समन्वयक को एक पत्र लिखकर सेंट्रल एकेडमी स्कूल की मान्यता रद्द करने की अनुशंसा की है। इस पत्र में जोशी ने घटना के बाद स्कूल प्रबंधन द्वारा संवेदनशीलता नहीं दिखाने का आरोप लगाया है। जबकि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दुर्घटना की जानकारी मिलते ही स्कूल के प्राचार्य और प्रशासक अजय सिंह राजपूत मौके पर पहुंच गए थे, उन्होंने ही जख्मी बच्चों को अस्पताल पहुंचाया और शेष बच्चों को घरों तक सुरक्षित पहुंचाने की व्यवस्था। अस्पताल में भी भर्ती बच्चों का इलाज करवाने में भी पूरा सहयोग किया। मृतक बच्चों के परिजन को आर्थिक सहायता देने पर भी स्कूल प्रबंधन विचार कर रहा है। वहीं अभिभावकों का कहना है कि यदि सीबीएसई से मान्यता रद्द होती है तो इस स्कूल में पढ़ रहे दो हजार बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। स्कूल के बच्चे अन्य स्कूलों में किस प्रकार से प्रवेश लेंगे। कोटड़ा क्षेत्र अब अजमेर का उपनगर बन गया है। दो हजार बच्चों के पढ़ने से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिक्षा के क्षेत्र में इस स्कूल की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है। यह सही है कि 6 नवंबर को हुई दुर्घटना में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। दो मासूम छात्रों की मौत पर सभी को दुख है। लेकिन स्कूल की मान्यता रद्द करने का निर्णय उच्चस्तरीय जांच के बाद ही होना चाहिए। अभी तो पुलिस ने भी अपनी जांच शुरू नहीं की है। हालांकि पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस के सामने जांच का सबसे बड़ा बिंदु यही है कि वालीबॉल टीम को रोडवेज बस के बजाए इनोवा कार में क्यों ले जाया गया?