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2015 में 26 हजार में मिलता था 10 ग्राम सोना, 2020 में 56 हजार पार हुआ; जानें अगले 3 साल में कहां पहुंचेगा?

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भारत में सोने की खानें न के बराबर हैं। 2019 में 96% सोना विदेशों से खरीदा गया। इसके आयात पर सरकार को 12.5% इंपोर्ट ड्यूटी भी चुकानी होती है। फिर भी पिछले साल 2,295 अरब का सोना विदेशों से खरीदा गया था। हमारे यहां सोना खरीदना रईसी की निशानी है। इसके बावजूद 2020 में इसकी मांग में 300 अरब रुपए की गिरावट आई और सिर्फ 1,992 अरब रुपए का ही सोना आयात हुआ।

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, ज्वेलरी की खरीदारी में 2020 की पहली तिमाही में 41%, दूसरी में 48% और तीसरी में 48% की गिरावट आई। 2009 के बाद 10 सालों में ऐसा पहली बार हआ, जब इतना कम सोना खरीदा गया। फिर भी अगस्त 2020 में 1 तोला यानी 10 ग्राम सोने का भाव पहली बार 56 हजार के पार चला गया। जब मांग घट रही थी, लोग सोना खरीद नहीं रहे थे, तो रेट में बढ़ोतरी क्यों?

चौथी तिमाही की रिपोर्ट अभी नहीं आई है। लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद धनतेरस और दिवाली पर करीब 30 टन सोना बिका था, जो 2019 के 40 टन से 25% ही कम है। यानी सोने की खरीदारी में फिर से तेजी आ रही है। इधर सोना 56 हजार से कम होकर 50 हजार के आसपास आ गया है।

जब-जब दुनिया में संकट आएगा, लोग सोना खरीदेंगे
भोपाल के सर्राफा एसोसिएशन के सचिव नवनीत अग्रवाल कहते हैं, ‘अब सोना भी सट्टेबाजी जैसा मार्केट बनता जा रहा है। वायदा बाजार यानी MCX ने बड़े-बड़े पूंजीपतियों के लिए सोने में निवेश के लिए रास्ते खोल दिए हैं। वे सोना अपने पास रखने के लिए नहीं खरीदते। सोने में पैसा लगाते हैं, भाव बढ़ने पर बेच कर रिटर्न कमाते हैं। एकदम शेयर बाजार की तरह।’

सोना चार तरह से बिकता है…

  1. ज्वेलरी
  2. गोल्ड बार यानी सिक्के, बिस्किट, छड़
  3. गोल्ड बॉन्ड
  4. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी MCX

आम दिनों में ज्वेलरी अधिक खरीदी जाती है। लेकिन 2020 में MCX और गोल्ड बार में 50% से ज्‍यादा उछाल दर्ज की गई। लोगों ने सोने के सिक्के, बिस्किट और छड़ में या फिर MCX में पैसे निवेश किए। MCX से खरीदा गया इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज सोना, शेयर मार्केट की तरह बैंक खाते में दिखता है। इसे होम डिलिवरी भी कराई जा सकती है, पर आमतौर लोग ऐसा नहीं करते क्योंकि वे जल्दी-जल्दी खरीदते और बेचते हैं। गोल्ड बॉन्ड लेने पर सरकार एक साल में 2% रिटर्न की गारंटी देती है।

नवनीत अग्रवाल कहते हैं कि लोगों ने सोना पैसा बनाने के लिए खरीदा। दुनिया में जब कभी कोई बड़ा संकट आता है। दो देशों में तकरार होती है, किसी भी कारण से अर्थव्‍यवस्‍थाएं चरमराती हैं, तो लोग पैसे शेयर बाजार, रियल स्टेट और दूसरी इंडस्ट्री से निकाल कर सोने में लगा देते हैं। क्योंकि सोना कभी घाटे का सौदा नहीं है।

साल 2000 में एक तोला सोना 4,400 रुपए में था, 2010 में 18,500 और 2020 में 50,000 पार हो गया। कोरोना काल में जब दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍थाएं बंद थीं, तब लोग अपने पैसे को सुरक्षित करने के लिए सोना खरीदना चाहते थे। भोपाल के डीबी मॉल स्थित आनंद ज्वेल्स के मैनेजर अभिषेक पोरवाल कहते हैं, ‘लॉकडाउन में लगातार फोन आते रहे, लोग किसी तरह से सोना खरीदना चाहते थे।’

ट्रंप और बाइडेन भी जिम्मेदार
दुनिया में सबसे ज्यादा सोना अमेरिका के पास है। दूसरा सबसे अधिक सोना रखने वाले देश जर्मनी के पास अमेरिका के सोना भंडार का आधा भी नहीं है।

दुनिया का सबसे बड़ा सोना बाजार शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज यानी COMEX भी अमेरिका में है। इसलिए अमेरिका दुनियाभर के सोने के भाव प्रभावित करता है। जब अमेरिकी राजनीति या अर्थव्‍यवस्‍था में उथल-पुथल मचती है, तो पूरी दुनिया में सोने की कीमत बढ़नी शुरू हो जाती है। 2020 में अमेरिकी चुनाव में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडेन के बीच कड़ी टक्कर में बाजार अस्थिर होता चला गया। तब सोने के भाव बढ़ते चले गए।

वैक्सीन का ऐलान होते गिरा सोना
कोरोना संकट भले ही अभी न टला हो, पर वैक्सीन की खबरें उफान पर हैं। अगस्त 2020 तक सोने का भाव बढ़ता जा रहा था। लेकिन अगस्त में ही रूस ने पहली कोरोना वैक्सीन का ऐलान किया। सितंबर से सोना टूटने लगा। अब वर्ल्ड बैंक की भविष्यवाणी मानें, तो 2030 तक सोने के भाव में 10% से 20% तक की गिरावट आएगी।

स्टेटिस्टा की रिपोर्ट के मुताबिक, अगले 5 साल में दुनियाभर में सोने के भाव में करीब 10% की गिरावट आएगी।

अमेरिका के चुनाव नतीजे भी अब साफ हैं। जो बाइडेन का सत्ता में आना तय है। दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी अगले कुछ सालों में किसी बड़े संघर्ष के आसार नहीं हैं। रिच डैड पूअर डैड के लेखक रॉबर्ट कियोसाकी कहते हैं कि अगले 5 सालों तक सोने में निवेश करना कोई समझदारी भरा कदम नहीं होगा।

अगले 2 सालों में भारत में 68 हजार रुपये तक जा सकता है सोना
ग्लोबल मार्केट से एकदम उलट भारत के ट्रेड एनालिस्ट और सोना कारोबारियों को भरोसा है कि अगले दो सालों में एक तोला सोना 68 हजार रुपए तक पहुंच सकता है। भोपाल के आनंद ज्वेल्स के मैनेजर अभिषेक पोरवाल कहते हैं, ‘सोने के खरीदारों का माइंडसेट बदल गया है। शौकिया खरीदार गायब हो गए हैं। जिनके पास निवेश के लिए पैसा है, वो प्रॉपर्टी, शेयर मार्केट छोड़ सोने के सिक्के, बिस्किट और छड़ खरीद रहे हैं। इस साल दाम 60 हजार पार हो सकते हैं।’

नवनीत अग्रवाल कहते हैं, ‘भारत में तीन तरह के सोना खरीदार हैं। पहले मिडिल क्लास वाले, ये सोना खरीदकर घर ले जाते हैं। दूसरे अपर क्लास वाले, ये कुछ घर ले आते हैं, तो कुछ इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज में पैसे डालते हैं। लेकिन फिलहाल तीसरे तरह के खरीदारों का मार्केट पर दबदबा है। ये हैं कार्पोरेट हाउस, ये आने वाले दिनों में और पैसा डालेंगे। कोरोना का दूसरा स्ट्रेन आ गया है। मार्केट और चढ़ेगा।’

हाउस ऑफ रांका ज्वेलर्स के वस्तुपाल रांका के मुताबिक, 2021 में सोने के भाव चढ़े रहेंगे। 10 ग्राम सोना 63 हजार के पार जा सकता है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विस के उपाध्यक्ष नवनीत धमनी का मनाना है कि सरकार का फिजिकल डेफिसिट बढ़ा है। अर्थव्‍यवस्‍था को सुधरने में अभी वक्त लगेगा। जब तक अर्थव्‍यवस्‍था नहीं सुधरती, सोना सबसे ज्यादा रिटर्न देता रहेगा। आने वाले दो सालों में एक तोला सोना 68 हजार पार कर सकता है।

ऑल इंडिया जेम एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल के चेयरमैन एक अंग्रेजी पोर्टल से कहते हैं, ‘पिछले तीन महीनों सोने की खरीदारी बढ़ी है। अभी यह रुकने वाली नहीं।’ दिल्ली के धन्वी डायमंड के मालिक कहते हैं कि 2-3 हजार रुपए सोना घटा जरूर है, लेकिन दोबारा तेजी आ रही है। इस बार पहले से ज्यादा भाव चढ़ने वाले हैं। टॉप 10 स्टॉक ब्रोकर ने भी 2023 तक भारत में 55,000 रुपए तक सोने के भाव रहने की उम्मीद जताई है।

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