निर्मल कुमार शर्मा
आखिर 84 वर्षीय,वृद्ध,शक्तिहीन,बेबस, लाचार,कई बीमारियों यथा पर्किंसन बीमारी से ग्रस्त,लगभग पूर्णतः बहरे,कांपते हाथ वाले,ठीक से खाना-पानी तक अपने मुँह तक ले जाने में असमर्थ,आजीवन वंचितों आदिवासियों के हक-हूकूक के लिए संघर्ष करनेवाले अथक योद्धा अपने पैरों को बेड़ियों में जकड़े हुए इस देश की क्रूरतम्,फॉसिस्ट,असंवेदनशील,असहिष्णु, हृदयविहीन,दयाविहीन,करूणाविहीन, ममताविहीन,मानवताविहीन,नरपिशाचों यथा मानवेत्तर प्राणी मोदी और शाह की वजह से अपने प्राण त्याग दिए,जबकि फादर स्टेन स्वामी आदिवासियों के हक के लिए आजीवन लड़नेवाले व्यक्ति का जैसा कि बकौल इस सरकार द्वारा गठित नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के सरकारी चमचे,दब्बू,पक्षपाती और अपने कर्तव्यपथ से विचलित अफसरों ने उन पर मिथ्या आरोप लगाया था कि ‘उन्होंने देश को अस्थिर करने के लिए की साजिश रची थी,उनके तबियत खराब होने का कोई सबूत नहीं है ! ‘जबकि 84 वर्षीय उस देवदूत ने मुंबई हाईकोर्ट से अपनी मृत्यु से कुछ ही दिनों पूर्व यह गुहार लगाए थे कि ‘जेल में स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत ही खराब हैं,ऐसा चला तो बहुत ही जल्दी मेरी मौत हो जाएगी। ‘ इसी प्रकार 82 वर्षीय कवि श्री वरवरा राव,आईआईएम अहमदाबाद के 71वर्षीय प्रोफेसर आनन्द तेलतुंबड़े,सुधा भारद्वाज आदि अन्य 15 मानवता के देवदूतों को कमेटी फॉर रिलीफ ऑफ पोलिटिकल प्रिजनर्स के मिडिया सेक्रेटरी रोना विल्सन के कम्प्यूटर को मैलवेयर साफ्टवेयर यानि चोर साफ्टवेयर के जरिए फंसाया गया,फिर उसी छद्म और फर्जीवाड़े केस के तहत उक्त सभी लोगों को गिरफ्तार कर उन्हें तिल-तिलकर मारा जा रहा है,अब पिछले 5 जुलाई 2021को गरीबों,वंचितों, दलितों और आदिवासियों के आजीवन मददगार और मसीहा फादर स्टेन स्वामी को मौत के घाट उतार दिया गया..विचारणीय है कि वर्तमानदौर की फॉसिस्ट और अमानवीय तथा क्रूर मोदी सरकार उस 84 वर्षीय वृद्ध,लाचार,कमजोर, बेबस स्टेन स्वामी जैसे लोगों पर भीमाकोरेगाँव में जाकर कथित इस देश को अस्थिर करने और मोदी की कथित हत्या करने का लचर मिथ्यारोप लगा रही हो,जबकि स्वर्गीय स्टेन स्वामी कभी भीमाकोरेगाँव गये ही नहीं थे !और जो व्यक्ति इतना अशक्त तथा कमजोर हो कि वह अपने काँपते हाथों से खुद पानी तक पीने और खाना तक खाने में असमर्थ हो,वह मोदी जैसों की हत्या कर देने की साजिश रचा हो ! कितना अनर्गल और मिथ्याचार और बकवास आरोप है,जिसकी जितनी भी भर्त्सना की जाय,कम है !
हम और आप उस सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट्स के जजों से न्याय की उम्मीद पाले बैठे हैं,जबकि सुप्रीमकोर्ट के मुख्य जज सहित कुल 31जजों में 6जज ऐसे हैं जो पूर्व जजों के बेटे ही हैं,जो आज सुप्रीमकोर्ट में कुँडली मारकर बैठे हैं ! इसके अलावे देश के अन्य 13 हाईकोर्ट्स में भी जज के पद पर आसीन 88 जज भी किसी न किसी भूतपूर्व जज,वकील या न्यायपालिका से जुड़े किसी रसूखदार व्यक्ति के परिवार के हैं या रिश्तेदार हैं। यह रिपोर्ट सुप्रीमकोर्ट की अधिकारिक वेबसाइट और अन्य 13 हाईकोर्ट्स के डेटा पर आधारित है,भारत के शेष हाईकोर्ट्स के डेटा आश्चर्यजनक रूप से उपलब्ध ही नहीं है !आज सुप्रीमकोर्ट में इस देश के कुछ 250 से 300 विशेष घरानों के लोग ही जज बनते हैं। यह उनका खानदानी अधिकार बन गया है। सबसे दुःखद और क्षुब्ध करने वाली बात यह है कि भारत के 135 करोड़ जनसंख्या वाली आम जनता के परिवारों के तीक्ष्णतम् ,कुशाग्रतम् बुद्धि और अति उच्चतम् मेधावी युवा-युवतियों के सुप्रीमकोर्ट में जज बनने के दरवाजे को भी इन कुछ गिने-चुने घरानों के लाडले,कथित कुलदीपकों ने पूर्णतः अवरूद्ध कर रखा है ! ऐसे जातिवादी पूर्वाग्रहों से ग्रस्त जजों से न्याय की उम्मीद करना आकाश से तारे तोड़कर लाने जैसा दिवास्वप्न के अतिरिक्त कुछ नहीं है ! बेइमानी और अलोकतांत्रिक पद्धति से चयनित सुप्रीमकोर्ट के भ्रष्ट जजों यथा दीपक मिश्रा,अरूण कुमार मिश्रा,बोवड़े,गोगोई जैसे जजों के अलोकतांत्रिक व आमजनविरोधी तथा सत्ता व पूँजीपतियों के पक्ष में दिए गए सैकड़ों फैसले द वायर,सत्य हिन्दी डॉटकॉम,द प्रिंट,द क्विंट,बीबीसी,एनडीटीवी आदि जैसे निष्पृह व बेखौफ़ समाचार पत्रों और समाचार चैनलों में प्रायः प्रकाशित और प्रसारित होते ही रहते हैं ! इस देश के बहुत से प्रबुद्ध और चैतन्य लोगों का मानना है कि स्टेन स्वामी की वर्तमानदौर के सत्ता के फॉसिस्ट कर्णधारों और अलोकतांत्रिक तथा सत्ता के चाटुकार न्यायालयों के जजों की मिलीभगत से जानबूझकर हत्या कराई गई है ! कितने दुर्भाग्य और अलोकतांत्रिक और हतप्रभ करनेवाली बात है कि इसी देश में जब प्रोफेसर आनंद तेलतुंबड़े,नब्बे प्रतिशत विकलांग प्रोफेसर साईंनाथ,बारबरा राव,स्टेन स्वामी,सुधा भारद्वाज,जैसे दर्जनों निर्दोष प्रोफेसरों,डॉक्टरों, वकीलों,कवियों,लेखकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं आदि पर आतंकवादियों पर लगाई जाने वाली धाराएं यथा यूपीपीए मतलब अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट लगाकर अनावश्यक रूप से जेल में डालने जैसे कुकृत्य किया जा रहा है,दूसरी तरफ अभी इसी साल फरवरी में कपिल मिश्रा,प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर जैसे दंरिदों को जो खुलेआम सांप्रादायिक और जातीय वैमनष्यताभरे,उत्तेजक,गालीगलौज वाली भाषा का प्रयोग करके दिल्ली में भयानक दंगे भड़काकर सैकड़ों निर्दोष,गरीब लोगों की जान ले लिए और अरबों की सम्पत्ति नष्ट करा दिए,वे अभी भी जंगली जानवरों की तरह मुक्त घूम रहे हैं,इसी प्रकार भीमाकोरेगाँव में आग लगाने वाला संभाजी भिड़े उर्फ गुरूजी आज भी खुले सांड बनकर घूम रहा है ! इन उक्तवर्णित दरिंदों को ये सरकार गिरफ्तार कर मुकदमा चलाकर दंड देना तो दूर,अभी तक गिरफ्तार भी नहीं की है !जबकि भारत सरकार के गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 2014 से मार्च 2018 तक बीजेपी समर्थित दरिंदों द्वारा 45 बेचारे गरीब,निरपराध पशुपालकों और अल्पसंख्यकों को मिथ्यारोपड़ करके सड़कपर घसीट-घसीट कर उनकी निर्ममता से हत्या कर डाली गई और 285 लोगों को पीट-पीटकर उन्हें लहूलुहान कर दिया गया ! नेशनल अपराध रिसर्च ब्यूरो मतलब एनसीआरबी के अनुसार इस देश की दलित महिलाओं से प्रतिदिन 1400 बलात्कार हुए मतलब हरेक मिनट कहीं न कहीं दलित महिलाओं से बलात्कार हो रहा होता है,केवल 2014 के एक साल में दलितों के खिलाफ 47064 अपराध हुए,मतलब हर 12 मिनट पर दलितों के साथ शादी में घोड़े पर चढ़ने,मूँछ रखने,कथित सवर्णों की मेज पर खा लेने और मरी गाय के चमड़े को न छीलने के कथित अपराध में उनके साथ गालीगलौज, मारपीट और उनकी हत्या तक कर दी जाती है। क्या सुप्रीमकोर्ट के जज समाचार पत्र और टीवी समाचार न्यूज नहीं देखते ? वास्तविक और कटुसच्चाई यह है कि इन न्यायालयों के जज जानबूझकर अपनी आँखें,कान और मुँह बंद रखे हैं,आज केवल पिंजरे का तोता केवल सीबीआई, इनकमटैक्स विभाग, प्रवर्तन निदेशालय व दिल्ली पुलिस ही नहीं हैं,अपितु सुप्रीमकोर्ट के अधिकतर जज वर्तमानदौर के सत्ता के निजाम के पालतू जर्मन शेफर्ड बनकर रह गये हैं ! यही वास्तविकता और हकीकत है ! अब यह कहने में जरा भी हिचक और संशय नहीं है कि भारत में कोई लोकतंत्र नहीं बचा है,वरन एक आभासी लोकतंत्र के छद्म आवरण के भीतर एक क्रूर,अमानवीय, हिंसक,असहिष्णु व मानवेत्तर गुणों से संपन्न हिटलर के स्वभाव वाला एक तानाशाह सत्ता पर विराजमान है,जिसके सहयोगी के रूप में उक्त वर्णित सभी विभाग यथा सीबीआई,इनकमटैक्स विभाग,प्रवर्तन निदेशालय,दिल्ली पुलिस व सुप्रीमकोर्ट आदि हैं,जो सिर्फ इस देश की आवाम,किसानों,मजदूरों आदि के दमन मात्र के लिए बनाए गए हैं और कुछ नहीं। ये लोकतंत्र, प्रजातंत्र,गणतंत्र आदि शब्द केवल आम जनता को मूर्ख बनाने और बरगलाने मात्र के लिए रह गए हैं।
सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट्स में जजों की नियुक्ति की यह अत्यंत घृणित,विद्रूपतापूर्ण, पक्षपातपूर्ण,संवैधानिक मूल्यों की धज्जियां उड़ाता और माखौल बनाता,पूर्णतया असंवैधानिक व अलोकतांत्रिक नाटक अब बन्द होना ही चाहिए। भारत की करोड़ों जनता की आशा की किरण इन न्याय के मंदिरों से अब भाई-भतीजावाद और सिफारिशी संस्कृति का पूर्णतया खात्मा होना ही चाहिए । सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट्स में जज बनना अब किसी की भी बपौती और विशेष पारिवारिक अधिकार कतई नहीं रहना चाहिए । भारतीय लोकतांत्रिक व संविधान सम्मत राष्ट्र राज्य में सुप्रीमकोर्ट हो या हाईकोर्ट्स उनके जजों के चुनाव में पूर्णतया पारदर्शिता,निष्पक्षता और संविधान सम्मत प्रक्रिया अन्य सिविल सेवाओं की तरह अपनाई ही जानी चाहिए। अखिल भारतीय न्यायिक सेवा परीक्षा के सर्वश्रेष्ठ चयनित उम्मीदवारों को ही सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट्स में जज नियुक्त किए जाने का लोकतांत्रिक,पारदर्शी प्रक्रिया होनी चाहिए। भविष्य में उक्त इस परीक्षा के चयनित उम्मीदवारों को ही सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स में जज जैसे अतिमहत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया जाना चाहिए और इन पहले से सिफारिश पर रखे,घोर जातिवादी विकृत सोच के मनोवृकृति के शिकार, कुंडली मारे बैठे,अपने उटपटांग, बहुसंख्यक लोगों के हित के खिलाफ अक्सर निर्णय देने वाले इन सभी नाकारा,भ्रष्ट जजों को भारत का राष्ट्रपति जबरन एकमुश्त सेवामुक्त करे और भविष्य में सुप्रीमकोर्ट से होने वाले निर्णय संविधान सम्मत,संसदीय गरिमा के अनुकूल बनाए गए विद्वान,निष्पृह और निष्पक्ष जजों के माध्यमों से इस देश में सर्वजनहिताय और सर्वजनसुखाय तथा न्यायोचित्त निर्णय हों,तभी भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में,समाज में,इस राष्ट्रराज्य में वास्तविक न्याय की अनुगूंज सुनाई देगी।
–निर्मल कुमार शर्मा, ‘गौरैया एवम पर्यावरण संरक्षण ‘,प्रताप विहार,गाजियाबाद, उप्र,संपर्क -9910629632,ईमेल-