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दुनियाभर में हर साल वायु प्रदूषण से 67 लाख मौतें, ‘क्लीन एयर कैटालिस्ट’ के लिए इंदौर शामिल

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इंदौर

वायु प्रदूषण से निपटने के अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट ‘क्लीन एयर कैटालिस्ट’ (सीएसी) के लिए दुनिया के दो चुनिंदा शहरों में इंदौर को शामिल किया गया है। दूसरा शहर इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता है। अंतरराष्ट्रीय संस्था यूएस-एड, वर्ल्ड रिसोर्स (डब्ल्यूआरआई) एनवायरन्मेंटल डिफेंस फंड (ईडीएफ) के सहयोग से यह कार्यक्रम 2025 तक चलेगा। इसके प्रयोग के परिणाम और अनुभव से ही विकासशील देशों के शहरों में वायु प्रदूषण से निपटने की रणनीति तय होगी।

फाइल फोटो - Dainik Bhaskar

अभी दुनियाभर में वायु प्रदूषण के चलते 67 लाख मौतें होती हैं। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य 2050 तक मौतों की संख्या में 50% की कमी लाना है। प्रोजेक्ट की रूपरेखा तय करने के लिए सोमवार को निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने सीएसी टीम के साथ चर्चा की। पहले चरण में सोर्स अवेयरनेस स्टडी के लिए 1.2 करोड़ का माॅनिटरिंग इक्विमेंट लगाया जाएगा।

ऐसे कम होगा पॉल्यूशन; मॉनिटरिंग के लिए आधुनिक उपकरण लगेंगे, इंदौर के हर वार्ड में सर्वे किया जाएगा
अंतरराष्ट्रीय ‘क्लीन एयर प्रोजेक्ट’ से जुड़े वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट के डॉ. अजय नागपुरे कहते हैं कि बेशक इंदौर का चुना जाना यहां की जनता के जज्बे को अंतरराष्ट्रीय मान्यता देने जैसा है। लेकिन प्रोजेक्ट के पहले चरण में वायु प्रदूषण के ऐसे कारणों की पहचान करना भी शामिल है जिन पर आम लोगों की निगाह नहीं जाती। वायु प्रदूषण मॉनिटरिंग के लिए शहर में कुछ जगहों पर आधुनिक उपकरण लगाए जाएंगे। वार्ड स्तर तक सर्वे का डाटा एकत्रित होगा। दूसरे चरण में मीडिया, आम जनता, आईआईटी-आईआईएम व अन्य शैक्षणिक और सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर जागरूकता फैलाने पर काम होगा।

इसमें सरकार और स्थानीय प्रशासन का सहयोग भी लेंगे। इस पायलट प्रोजेक्ट से पूरी दुनिया को दिखाएंगे कि कैसे जनता के साथ मिलकर छोटी-छोटी तकनीक विकसित कर वायु प्रदूषण कम किया जा सकता है। चार सालों से देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में स्वच्छ भारत अभियान के बाद से 2014-15 के मुकाबले 2020 के बीच वायु प्रदूषण में लगभग 40% की गिरावट दर्ज हुई है।

दुनिया में अभी एड्स, टीबी से भी ज्यादा मौतें वायु प्रदूषण से होती हैं
यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) के इस प्रोजेक्ट से जुड़ी सुचिस्मिता कहती हैं- लांसेट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में 67 लाख मौतों का कारण वायु प्रदूषण है। यह एड्स, टीबी, मलेरिया से होने वाली मौतों से ज्यादा है। 5 साल के इस प्रोजेक्ट से जो रणनीति तैयार होगी वह पूरी दुनिया, खासकर विकासशील देशों के शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने और लाखों अकाल मौत रोकने के काम आएगी।

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