आपने नकली मिठाई, नकली मावे के बारे में तो सुना होगा, लेकिन मध्यप्रदेश का एजुकेशन हब इंदौर पाइरेटेड किताबों का गढ़ बनता जा रहा है। चौंकिए नहीं, ये बात सच है। शहर के खजूरी बाजार में बड़े पैमाने पर पाइरेटेड किताबों की बिक्री हो रही है और यही बाजार ऐसी किताबों का गढ़ बन गया है। असली किताब छापने वाले दिल्ली के पब्लिशर्स की बिक्री जब बेहद कम हो गई तो उन्हें शक हुआ। जिसके बाद उन्होंने यहां की दुकानों का स्टिंग कराया और पाइरेटेड किताबों के गोरखधंधे का खुलासा किया।
शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने जब दुकानों पर छापे मारे तो वहां से नकली किताबें जब्त हुईं, जिन्हें देख पुलिस भी हैरान रह गई। बता दें कि पाइरेटेड किताबें हूबहू असली किताबों की तरह होती हैं, लेकिन उन्हें छपाई के लिए अधिकृत कंपनी द्वारा ना छापकर चोरी से छापा जाता है।
पब्लिशर्स को कैसे शक हुआ, जानते हैं सब कुछ….
सराफा थाना पुलिस ने संजीव कुमार राघव (उम्र 48 साल) निवासी गाजियाबाद यूपी की शिकायत पर न्यू चेलावत बुक स्टोर खजूरी बाजार के नितिन चेलावत निवासी मनुश्री एरोड्रम के खिलाफ 63 कॉपीराइट एक्ट के तहत शुक्रवार को केस दर्ज किया है। नितिन पर आरोप है कि उनके द्वारा विभिन्न प्रकाशनों की पाइरेटेड और डुप्लीकेट किताबें असली बताकर बेची जा रही हैं। पुलिस ने मौके से पाइरेटेड किताबें भी जब्त की हैं।
शिकायतकर्ता संजीव कुमार राघव। इन्होंने इंदौर के खजूरी मार्केट में पाइरेटेड किताबों का स्टिंग करवाया।
किताबों की बिक्री घटी तो हुआ शक
गाजियाबाद निवासी अधिवक्ता संजीव कुमार राघव ने बताया कि डिफरेंट पब्लिशर्स, एस.श्याम पब्लिशर्स, मेंग्रो हिल पब्लिशर्स, एमटीजी पब्लिशर्स, भारतीय पब्लिशर्स आदि के ऑथोराइज्ड रिप्रजेंटेटिव्स हैं। हमें ये शिकायत मिली थी कि इंदौर के खजूरी मार्केट में किताबों की दुकानों पर नकली किताबें बेची जा रही हैं। पब्लिशर्स दिल्ली और उसके आसपास के इलाके के हैं।
संजीव कुमार ने बताया, इंदौर सहित अन्य इस तरह के शहर उनके लिए रीजनल मार्केट कहलाते हैं। रीजनल मार्केट में जब किताबों की बिक्री घटी और लगभग बंद ही हो गई तो पब्लिशर्स को शक हुआ कि ऐसा क्यों हो रहा है। जब स्थानीय स्तर पर एजेंट और अपने लोगों से जांच-पड़ताल की तो पता चला कि बाजार में किताब व्यापारियों द्वारा पाइरेटेड किताबें बेची जा रही है। इंदौर में भी बड़े पैमाने पर पाइरेटेड किताबों की बिक्री की बात सामने आई।
दुकान कंफर्म करने के लिए किया स्टिंग
राघव बताते हैं कि जब ये सूचना मिली कि इंदौर के खजूरी बाजार में नकली किताबों की बिक्री हो रही है तो इसे कंफर्म करने के लिए स्टिंग किया गया। हमारे लोगों को स्टूडेंट के रूप में भेजा गया और दुकानदारों से किताब मांगी गई। दुकानदारों ने पाइरेटेड किताब दी, जिन्हें खरीद लिया। ये प्रक्रिया 10 दिन पहले जनवरी महीने में करवाई गई। स्टिंग के दौरान दुकानदारों के नाम सामने आ गए, जहां धड़ल्ले से पाइरेटेड किताबों का कारोबार हो रहा है।
सबूत मिलने पर पुलिस कमिश्नर को शिकायत
अधिवक्ता संजीव कुमार राघव ने नकली किताबों की बिक्री और दुकानों के सबूत मिलने के बाद पिछले हफ्ते सोमवार को इंदौर पुलिस कमिश्नर हरिनारायणाचारी मिश्र को पूरे मामले की शिकायत की। उन्होंने इस बारे में चेलावत बुक सेंटर, न्यू जैन बुक स्टोर, त्रिवेणी बुक स्टोर, गणेश बुक स्टोर आदि दुकानों की जानकारी दी। ये लोग गोदाम में बड़ी मात्रा में नकली किताब रख अन्य दुकानदारों को सप्लाई करते हैं और खुद भी बेचते हैं।
कमिश्नर ने दिए डीसीपी को निर्देश
मामले में शिकायत के बाद पुलिस कमिश्नर ने डीसीपी को निर्देश दिए और वहां से सराफा टीआई को कार्रवाई के लिए कहा गया। खेलो इंडिया में पुलिस बल की ड्यूटी लगने से दो-तीन दिन निकल गए और कार्रवाई नहीं हुई। फिर शुक्रवार को खजूरी बाजार पहुंची पुलिस ने 3 किताब दुकानों पर छापे मारे। वहां बहुत सारी नकली किताबें मिलीं, जिन्हें जब्त किया गया। इस दौरान अन्य व्यापारियों ने दुकानें बंद कर दीं और कार्रवाई के विरोध में खड़े हो गए।
खजूरी मार्केट की दुकानों से कई महंगी किताबों की नकली कॉपी मिली, इनमें ज्यादातर मेडिकल और कॉम्पटिटिव बुक्स हैं।
कार्रवाई के दौरान दुकानदारों ने ये तर्क दिए
संजीव कुमार राघव का कहना है कि कार्रवाई के दौरान यहां (खजूरी बाजार) के व्यापारियों और व्यापारिक संगठन के लोगों ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि जब तक अमेजन और फ्लिपकार्ट पर नकली किताबों की बिक्री को नहीं रोका जाता, तब तक ये चीजें ऐसी ही चलती रहेंगी। सबसे पहले अमेजन और फ्लिपकार्ट पर नकली किताबें बेचना बंद करवाएं, तब हम ये कार्रवाई आगे होने देंगे।
ये किताबें इंदौर की दुकानों से मिली
व्यापारी मेडिकल और प्रतियोगी परीक्षाओं की पाइरेटेड किताबें बेच रहे हैं। इंदौर में खजूरी बाजार में कार्रवाई के दौरान मेक्रोहिल की इंडियन पोलिटी, एमटीजी की नीट की 35 ईयर बुक, शाक्य गणित आरएस अग्रवाल, जेपी की बहुत सारी मेडिकल की महंगी बुक्स की पाइरेटेड कॉपी दुकानों से मिली हैं।
मामले में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शिकायत के बाद किताबें जब्त की हैं। जांच की जा रही है। उसके बाद आगे की कार्रवाई करेंगे।
ऐसे तैयार होती है पाइरेटेड या नकली किताब
संजीव कुमार राघव बताते हैं कि ओरिजिनल किताब को एजुकेशन सेक्टर से जुड़े माफिया स्कैन करते हैं। फिर उसकी डुप्लीकेट कॉपी तैयार की जाती है। पाइरेटेड बुक्स की प्रिंटिंग, बाइंडिंग क्वालिटी बहुत डल होती है, उसे देखकर ओरिजिनल और नकली का अंतर समझ आ जाता है।
नकली किताब की इंक से आंखों को नुकसान
संजीव कुमार राघव की मानें तो पाइरेटेड किताब से फायदा दुकानदारों को होता है, लेकिन स्टूडेंट्स को इससे नुकसान है। स्टूडेंट्स सस्ती किताबें खरीदने की कोशिश करते हैं, क्योंकि इसमें जो इंक यूज होती है वो आंखों पर बेड इफेक्ट डालती है। ज्यादा इंक का उपयोग कर शब्दों को डार्क किया जाता है, जो माइंड को कॉन्सन्ट्रेट नहीं होने देती है।
नकली किताब की बिक्री और दुकानदार के मुनाफे को समझिए
पाइरेटेड किताब की बिक्री से सबसे ज्यादा फायदा दुकानदार को होता है। स्टूडेंट को दुकानदार कुछ डिस्काउंट दे देते हैं, लेकिन सामान्यत: स्टूडेंट को ओरिजिनल किताब के दाम पर ही नकली या पाइरेटेड किताब बेची जाती है। ओरिजिनल किताब पर पब्लिशर्स की ओर से दुकानदार को एमआरपी पर करीब 40 प्रतिशत का कमिशन दिया जाता है। वहीं नकली किताब दुकानदार को इससे भी आधी कीमत पर उपलब्ध हो जाती है और वो उसे कम कीमत पर बेचता है।
नकली किताब का लाखों-करोड़ों का कारोबार
संजीव कुमार राघव ने बताया कि नकली किताब का कारोबार लाखों-करोड़ों का है। मध्यप्रदेश में भी कोई नकली किताब नहीं छापता है, लेकिन यहां बड़े-बड़े डीलर है जो बल्क में किताब खरीदकर सप्लाई करते हैं। दिल्ली, पटना, महाराष्ट्र, मुंबई में नकली किताबों की छपाई होती है, उन पर भी रेड की गई, लेकिन बहुत ही शॉर्ट टाइम में किताबों की छपाई कर ली जाती है। वहां से ऑर्डर पर डीलर तक किताबों की सप्लाई होती है।