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पत्रकारिता : भ्रान्ति ही क्रान्ति है या क्रान्ति ही भ्रान्ति

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पुष्पा गुप्ता 

   आजकल कुछ काबिल लोगों की पोस्ट पढ़कर लगता है कि वो भूल गए हैं कि यूट्यूब, गूगल, फेसबुक और ट्विटर भी सेठ का ही है। अमेरिकी सेठ का।

      उस सेठ ने कभी पत्रकारिता नहीं की लेकिन अब वो पत्रकारिता का प्रशिक्षण देता है, तंगहाल पत्रकारों और ‘इंडिपेंंडेंट’ संस्थानों को रुपये-पैसे देता है ताकि वो पत्रकारिता कर सकें। कुछ महापुरुषों की मानें तो अमेरिकी सेठ ईमानदारी का एकमात्र रक्षक बचा है।

      बकलोली मीडिया आपको कभी नहीं बताएगा कि ज्यों-ज्यों मीडिया डिजिटल फर्स्ट होता जा रहा है उसपर अमेरिकी सेठों का कब्जा मजबूत होता जा रहा है। आज स्थिति यह है कि यदि गूगल, फेसबुक, ऐपल और ट्वीटर इत्यादि एक जुट हो जाएँ तो मोबाइल के माध्यम से आप तक समाचार पहुँचना नामुमकिन हो जाएगा।

अमेरिकी सेठ ये कम्पनियाँ धर्मार्थ नहीं चलाते। इन कम्पनियों के माध्यम से अमेरिकी सेठ माइंड-कंट्रोल के बिजनेस चलाते हैं। इस या उस को पानी पी-पी कर गाली देने वाले परम क्रान्तिकारी भी यूट्यूब या फेसबुक की कंटेंट मॉडलरेशन गाइडलाइंस को थूक गटक गटक कर चुपचाप फॉलो करते रहते हैं।

      यूट्यूब और फेसबुक पर जितनी और जैसी गन्दगी मौजूद है उसकी परम्परागत टीवी और अखबार में कल्पना भी नहीं की जा सकती लेकिन उससे किसी महापुरुष को शिकायत नहीं होती क्योंकि ये गन्दगी अमेरिकी सेठ की दुकान फैला रही है।

       मीडिया कंट्रोल का दाँव कितना बड़ा है यह आप ट्विटर के ताजा मामले से समझिए। दुनिया के सबसे अमीर आदमी ने 44 अरब डॉलर खर्च किए ताकि वो एक माइंड कंट्रोलिंग टूल को अपने पाले में कर सकें।

      ट्विटर पर ट्विटर फाइल्स ट्रेंड कर रहा है जिसमें दिखाया जा रहा है कि किस तरह ट्विटर ने हंटर बाइडन मामले में न्यूज दबायी। अभी तक सामने आए दावे के अनुसार ट्विटर के संस्थापक जैक डोरसी को भी हंटर बाइडन मामले में बा में पता चला नहीं तो उनकी नाक के नीचे से एक भारतीय मूल की अमेरिकी वकील एक खास दल के अनुसार चीजों को मॉडरेट और सप्रेस कर रही थीं।

     ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क इस मामले में खोजी पत्रकारिता करने वाले हैं। ऐप के लोगो के लिए कुत्ता खोज चुके वे. उड़ती चिड़िया गायब.

हम सब भारतीय हैं तो भारत का उदाहरण सही नहीं रहेगा क्योंकि हर किसी का इमोसन कहीं न कहीं अटका रहेगा। अमेरिका का उदाहरण लेते हैं। आपको डेमोक्रेसी और फ्री स्पीच से बहुत प्यार है तो क्या आपको यह बात चौंकाती नहीं है कि अमेरिका के सभी बड़ी टेक कम्पनियों पर डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थकों का कब्जा है?

       बड़ी बड़ी हॉलीवुड सेलेब ने ट्रम्प के कुछ टुच्ची हरकतों के आधार पर उसकी खुलेआम आलोचना की लेकिन वही सेलेब इसपर हायतौबा नहीं मचाते ट्रम्प से पहले के सभी राष्ट्रपतियों ने दुनिया के किसी न किसी देश में बम बरसाकर उसे तबाह किया!

हजारों-लाखों की हत्या के लिए जिम्मेदार अमेरिकी राष्ट्रपति अच्छे हैं जैसे ओबामा भाई और पिछले तीन दशकों में जिस एकमात्र राष्ट्रपति ट्रम्प के दौर में अमेरिकी सेना ने किसी अन्य देश पर हमला नहीं किया वह शैतान है , यह नरेटिव कौन सेट करता है? 

      अमेरिका के सभी प्रमुख मीडिया संस्थान और टेक संस्थानों में डेमोक्रेट का अभूतपूर्व कब्जा है इसके बावजूद पिछले चुनाव में ट्रम्प को आधे प्रतिशत वोट के अंतर से ही हार मिली। यह सच है कि ट्रम्प के समर्थकों में कुछ सिरफिरे भी हैं जो कैपिटल हिल पर चढ़कर बलवा करते हैं लेकिन उनका इस्तेमाल करके ड्रेमोक्रेटिक लॉबी उन बड़े सवालों से बच जाती है जिससे दुनिया को ज्यादा फर्क पड़ता है। भारत के नजरिए से देखें तो ऐसा ही एक सवाल है पाकिस्तान को पैसा और हथियार देना। 

ट्रम्प एकमात्र राष्ट्रपति हैं जिन्होंने पाकिस्तान को पैसा या हथियार देने पर रोक लगा दिया। पाकिस्तान एक आर्मी स्टेट है जिसकी दुकान युद्ध से चलती है। इस एकमात्र फैसले से भारतीय उपमहाद्वीप में हर साल सैकड़ों लोगों की जान जाती है। नरेटिव इंड्स्ट्री आपको बताएगी कि भारतीय स्टेट को टेररिस्ट नेटवर्क के सामने हथियार डाल देना चाहिए? इस नरेटिव को आप सपोर्ट नहीं करेंगे तो आपको फेसबुक-गूगल इत्यादि में नौकरी मिलने से रही। 

      ऐसा नहीं है कि यह सब कोई छिपी बात है। आप अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में नौकरी पाने वाले या अंतरराष्ट्रीय फेलोशिप पाने वालों की टाइमलाइन खंगाल लीजिए आपको पता चल जाएगा कि कैसे सारा इंटरनेशनल लेवल का टैलेंट एक ही तरह के नरेटिव को तोते की तरह दोहराने वालों में पाया जाता है।

      याद रखें कि चाहे जितना भी बड़ा जीव हो सर्कस चलाने वाले उसके नाप का पिंजड़ा रखते हैं। उसी तरह आपका आईक्यू चाहे जितना भी ऊँचा हो, नरेटिव इंडस्ट्री के रिंगमास्टरों के पास उसके नाप का पिंजड़ा मौजूद रहता है।

      जाहिर है कि यह लाइन पढ़कर आपका ईगो हर्ट हो सकता है लेकिन आप में ईगो है यह बात भी फ्रायड ने बतायी तब आपको पता चला इसलिए खुद को सर्वज्ञाता न समझें।

     यदि इस बात से आपके अहंकार को चोट पहुँची हो तो आप जानते ही होंगे कि अहंकार मनुष्य का शत्रु है। खुश रहिए कि आपका अहंकार टूट गया।

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