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इश्तियाक ने मंदिर के लिए तो अनीता-सरोज ने ईदगाह के लिए दे दी करोड़ों की जमीन

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Reason Behind jodhpur violence

नई दिल्ली: राजस्थान के जोधपुर में झंडे-लाउडस्पीकर के बाद फैली हिंसा ने कई सवाल खड़े कर दिए। हिंसा क्यों फैली इसको लेकर कई सवाल हैं। दो समुदायों के लोग आपस में भिड़ गए… कौन सही- कौन गलत इस सवाल में न जाकर हमें बिहार के इश्तियाकऔर उत्तराखंड के अनीता- सरोज के बारे में जानना चाहिए। सब मिलकर रहें यह बात कही जाती है तो इसका सबसे बढ़िया उदाहरण इन दोनों की कहानियां है। एक दूसरे की भावनाओं का न केवल सम्मान बल्कि एक दूसरे के लिए उम्मीद से बढ़कर कुछ कर जाना। किसी हिंदू ने ईदगाह के अपनी पूरी जमीन दे दी तो किसी मुस्लिम ने मंदिर के लिए करोड़ों की जमीन दान कर दी। इनसे सीख लें तो जोधपुर और उस जैसी दूसरी घटनाएं सामने ही न आएं। आग लगाने वालों को भी इनसे बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।

जब हिंदू बहनों ने ईदगाह के लिए दे दी जमीन

उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले के एक छोटे से कस्बे काशीपुर में 62 वर्षीय अनीता और उसकी 57 वर्षीय बहन सरोज ने न केवल मुसलमानों बल्कि हिंदुओं का भी दिल जीत लिया। इन दो बहनों ने ईद से कुछ दिन पहले ईदगाह के लिए 1करोड़ 20 लाख रुपये से अधिक की 2 एकड़ से अधिक जमीन दान करके अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी की। जिनकी मृत्यु लगभग 20 साल पहले हो गई थी। इस फैसले को सम्मान देते हुए मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईद की नमाज के दौरान उनके लिए प्रार्थना की। यही नहीं कई मुस्लिम समुदाय के लोगों ने व्हाट्सएप पर उनकी तस्वीर को अपनी प्रोफाइल पिक्चर बनाया।

प्रोफाइल पिक्चर कोई उसी की लगाता है जिसे वो खूब पसंद हो। लाला ब्रजनंदन रस्तोगी के पास काशीपुर में कुछ एकड़ जमीन थी जिसका एक हिस्सा उनकी मृत्यु के बाद उनकी बेटियों अनीता और सरोज के पास गया था। कुछ साल बाद, कुछ रिश्तेदारों के साथ घर पर बातचीत के दौरान, बहनों को पता चला कि लाला अपने मुस्लिम भाइयों को जमीन का एक टुकड़ा देना चाहते थे लेकिन वह यह बात अपने बच्चों को बताने में संकोच करते थे। वो यह बात कभी कह नहीं सके और उनका निधन हो गया। हाल ही में अपने घरवालों के साथ इस बारे में बात करने के बाद मेरठ में अपने परिवार के साथ रहने वाली सरोज और दिल्ली में रहने वाली अनीता भाई की मदद से जमीन हस्तांतरण की औपचारिकता पूरी की।

रामपुर में प्यार और भाईचारे के साथ मनी ईद, नमाजियों पर हिंदुओं ने बरसाए फूल
इस क्षेत्र सांप्रदायिक तनाव की कोई घटना नहीं हुई है। यहां विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारे को लेकर कहा जाता है कि ईदगाह एक गुरुद्वारा और एक हनुमान मंदिर से घिरा है। सांप्रदायिक तनाव की कोई घटना नहीं हुई है। ईदगाह कमेटी के सदस्य नौशाद हुसैन का कहना है कि लाला ब्रजनंदन और उनके परिवार के कृत्य की चर्चा आसपास के सभी मुस्लिम घरों में हो रही है। हम ऐसी उदारता और सच्ची धर्मनिरपेक्षता को सलाम करते हैं। हमारे बीच ऐसे लोगों का साथ रहे तो देश को कभी नुकसान नहीं होगा।

मंदिर के लिए दान कर दी ढाई करोड़ की जमीन
अभी लाला ब्रजनंदन और उनकी बेटियों के बारे में आपने पढ़ा लेकिन अब बात बिहार के इश्तियाक अहमद की। जिन्होंने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल कायम की है। इश्तियाक अहमद ने बिहार में रामायण मंदिर के निर्माण के लिए अपनी ढाई करोड़ रुपये की जमीन दान की है। बिहार में दुनिया का सबसे बड़ा बनने वाला रामायण मंदिर के लिए मुस्लिम परिवार ने ढाई करोड़ की जमीन दान कर बड़ी मिसाल पेश की है। जब-जब रामायण मंदिर के निर्माण की चर्चा होगी उस वक्त इश्तियाक अहमद की भी बात होगी।

इश्तियाक अहमद खान गुवाहाटी में व्यवसायी हैं। पूर्वी चंपारण के कैथवलिया में तैयार हो रहे सबसे बड़े रामायण मंदिर के लिए इश्तियाक अहमद ने अपनी 23 कट्ठा जमीन, जिसकी कीमत ढाई करोड़ से ज्यादा की है, उसे दान कर दिया। पटना महावीर मंदिर के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने जानकारी देते हुए बताया कि इश्तियाक अहमद के परिवार ने अगर जमीन नहीं दी होती तो मंदिर निर्माण का सपना पूरा नहीं होता। इश्तियाक अहमद ने कहा कि इतने बड़े मंदिर निर्माण में सहयोग देना जरूरी है। सभी को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि सभी लोग अगर मिल जुलकर रहेंगे तो कोई तनाव नहीं होगा।

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