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गणित के कारण जीत हार में बदल जाये यह ज़्यादती लगती है !

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भारत जैन

5 सितम्बर 2023 को नवोदित क्रिकेट टीम अफ़गानिस्तान शायद इसीलिए एशिया कप के सुपर 4 ग्रुप से बाहर हो गया कि उसकी टीम में किसी को क्वालीफाई करने के टारगेट का गणित समझ में नहीं आया। एक नवोदित टीम के लिए यह दु:स्वपन जैसा अनुभव रहा जैसा कि राशिद खान की प्रतिक्रिया से स्पष्ट था । क्या कुछ बदलेगा ? 

लगभग इकतीस साल पहले 1992 के विश्व कप के सेमीफाइनल में दशकों रंगभेद नीति के कारण क्रिकेट जगत से बाहर रही दक्षिण अफ़्रीका की टीम पहली बार विश्व कप में फाइनल में लगभग पहुंच ही गई थी – सेमीफाइनल में इंग्लैंड के विरुद्ध 13 गेंद में 22 रन बनाने थे बस । लेकिन बारिश  50 ओवर के मैच को 45 ओवर का करने के बाद अभी कुछ और करने फिर आ गई।  बारिश ख़त्म हुई। उस समय वर्षा से बाधित खेलों के लिए कुछ ऐसे नियम थे कि रिवाइज़्ड टार्गेट घोषित हुआ – एक गेंद में 21 रन । रन बना एक और बीस रन से हारी दक्षिण अफ्रीका । नियम बदला – डकवर्थ लुईस सिस्टम आ गया ।

सिस्टम बदला मगर दक्षिण अफ़्रीका का भाग्य नहीं बदला । 2003 विश्व कप में अपने ही देश में श्रीलंका से अन्तिम लीग मैच जो जीतना आवश्यक था आगे बढ़ने के लिए , फिर एक बार वर्षा ने खेल बाधित किया । क्रीज़ पर थे मार्क बाउचर , उन्हें बताया गया कि टारगेट है 229 का डकवर्थ लुइस सिस्टम से जबकि था 230 । मार्क बाउचर ने छक्का मारकर 229 रन पूरे किये और अगली बाॅल वैसे ही खेल दी बिना कोई रन बनाने के प्रयास के और फिर बारिश आ गई और रन नम्बर 230 बना ही नहीं और दक्षिण अफ़्रीका अपने ही देश में हो गई बाहर । दक्षिण अफ्रीकन कप्तान शाॅन पोलौक वैसे ही स्तम्भित दिखे  जितना अफ़गानिस्तान के राशिद खान। 

क्या क्रिकेट में खिलाड़ियों को डकवर्थ लुइस मेथड की ट्रेनिंग और कैलकुलेटर लेकर  मैदान में उतरना पड़ेगा अब  ? या कोई और तरीक़ा हो सकता है  ? क्या थर्ड अम्पायर द्वारा दी गई सूचना मैदान में मौजूद अम्पायर के माध्यम से खिलाड़ियों को मिलनी चाहिए लगातार  । 

खेल में हार जीत तो होती रहती है मगर गणित के कारण जीत हार में बदल जाये यह ज़्यादती लगती है !

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