भोपाल। एक बार फिर से अचानक ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के निशाने पर आ गए हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस के कई नेताओं ने हमला बोलना शुरू कर दिया है। इसकी शुरूआत हाल ही में पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने की थी , जिसके बाद अब नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने भी उन पर गंभीर आरोप लगाते हुए बड़ा हमला किया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस का अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पूरी तरह से केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ही निशाने पर रहने वाले हैं।
उधर कांग्रेस के हमलावर होते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्री भी मैदान में उतर गए हैं और वे इसे कांग्रेस की खीज बताते हुए श्रीमंत को कोहनूर हीरा तक बता रहे हैं। दरअसल हाल ही में कांग्रेस ने पार्टी के निकायों में जीतने वाले पार्षदों , निकाय अध्यक्षों व महापौरों की बैठक बुलाई थी , जिसमें पूर्व शहरी विकास मंत्री एंव दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह ने मंच से श्रीमंत को कांग्रेस के लिए पनौति बताते हुए कहा था कि उनके भाजपा में जाने के बाद ही कांग्रेस को अधी सदी बाद ग्वालियर में महापौर पद पर जीत मिल सकी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के लिए पनौति थे और कांग्रेस की पनौती अब भाजपा में चली गई है। यही वजह है कि उनके जाने के बाद ही कांग्रेस ग्वालियर और मुरैना में नगर निगम चुनाव में महापौर पद का चुनाव जीत सकी है। अभी यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह के बयान ने तूल पकड़ लिया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस की पीठ में छुरा भोंककर भाजपा में गए विधायक अब पछता रहे हैं। पिछले सप्ताह तीन-चार ऐसे विधायकों ने मुझसे चर्चा कर कहा है कि हमें वापस बुला लो मैं इनके नाम तो नहीं लूंगा। मैंने उन्हीं में से एक विधायक से पूछा कि कितने पैसे मिले थे, तो उन्होंने बताया 18 करोड़ रुपए मिले थे। बाकी के सिंधिया जी ने कहा था- बाद में दे देंगे, अब नहीं दे रहे हैं। हालांकि इसके बाद उनके समर्थक पीएचई मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव ने नेता प्रतिपक्ष को चुनौती देते हुए कहा कि आरोप कोई भी लगा सकता है। गोविंद सिंह की कथनी और करनी में भी जमीन आसमान का अंतर है। गोविंद सिंह जिस विधायक की बात कह रहे हैं, उसे सामने लाएं, तब बात है। कोई 18 करोड़ कहता है, कोई 30 करोड़ और कोई 100 करोड़ उपचुनाव के दौरान भी यह मुद्दा उठाया गया था। असल बात यह है कि कांग्रेस ने सिंधिया का अपमान किया था। कांग्रेस के आरोप निराधार हैं। कुर्सी जाने की तकलीफ कांग्रेस में झलक रही है, इसलिए वे बौखलाकर कुछ भी बोल रहे हैं। उधर, इस मामले में एक और मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया का कहना है कि कांग्रेस को पता ही नहीं है कि कौन क्या है, जिसकी वजह से ही तो कांग्रेस की यह स्थिति हो गई है। उनका कहना है कि कांग्रेस में रहने के समय में भी श्रीमंत हीरा थे और भाजपा में भी हीरा ही हैं। यही नहीं क्षेत्र की जनता के लिए तो वे कोहिनूर हीरा है। दरअसल माना जा रहा है कि अगले साल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के समय श्रीमंत भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ चुनाव प्रचार का चेहरा होंगे। माना जा रहा है कि यही वजह है कि कांग्रेस ने अभी से श्रीमंत पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। फिलहाल कांग्रेस के आरोपों का कितना प्रभाव पड़ता है यह तो चुनावों के समय ही पता चल सकेगा, लेकिन इस तरह की बयानबाजी की वजह से प्रदेश में कांग्रेस व श्रीमंत समर्थकों के बीच सियासी पारा तो चढ़ ही गया है। गौरतलब है कि कांगे्रस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद से ही कांग्रेस के निशाने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया बने हुए हैं सिंधिया की वजह से कांग्रेस की डेढ़ दशक बाद बनी सरकार गिर गई थी।