किसान संघर्ष समिति द्वारा 12 जनवरी को आयोजित 27वें शहीद किसान स्मृति सम्मेलन के पहले प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में समिति के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों द्वारा पूर्व केंद्रीय मंत्री, समाजवाद और सामाजिक न्याय के योद्धा शरद यादव की दूसरी पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई ।
इस अवसर पर डॉ सुनीलम ने संबोधित करते हुए कहा कि शरद यादव मुलताई गोली चालन के बाद तुरंत अपनी जान जोखिम में डालकर हवाई जहाज से आमला पंखा की सड़क पर उतरकर मेरे बारे में पता करने आये थे क्योंकि सरकार ने मुझे लापता घोषित कर दिया था। केबिनेट मंत्री होने के बावजूद उन्हें मुझसे मिलने नहीं दिया गया। शरद यादव जब दूसरी बार पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के साथ मुलताई आये थे तब कांग्रेसियों द्वारा काले झंडे दिखाकर उनका विरोध किया गया था।
डॉ सुनीलम ने कहा कि जब वे संसद में बोलते थे तब पक्ष- विपक्ष उन्हें बहुत गंभीरता से सुनता था। वे मध्यप्रदेश के होने के बावजूद उत्तर प्रदेश और बिहार से लोकसभा चुनाव जीतते थे। वे भारत के पहले ऐसे राजनेता थे जो तीन राज्यों मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार से लोकसभा के सदस्य के लिए चुने गए थे। वे सात बार लोकसभा और तीन बार राज्य सभा के लिए निर्वाचित किये गये।
डॉ सुनीलम ने कहा कि मैं शरद भाई की दो बातों से सदा प्रभावित रहा। पहली यह कि वे मामा बालेश्वर दयाल जी के कार्यक्रम में सदा बामनिया जाते थे। दूसरी यह कि वे सुरेंद्र मोहन जी के हर स्मृति कार्यक्रम के लिए समय निकलते थे। वे निर्भीकता के साथ दो टूक बात रखा करते थे।
किसान संघर्ष समिति की प्रदेश अध्यक्ष एड आराधना भार्गव ने कहा कि मुलताई गोलीकांड के बाद जब भी शरद यादव से मुलाकात होती थी तब वे सदा किसानों के मुद्दों पर स्पष्ट नजरिया लिए चिंतित दिखलाई पड़ते थे।
प्रदेश उपाध्यक्ष राधेश्याम काकोड़िया ने कहा कि वन अधिकार कानून बनवाने और लागू करवाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
झाबुआ के प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य बहादुर सिंह सिंगाड़ ने कहा कि झाबुआ में मामा बालेश्वर दयाल के स्मृति कार्यक्रम में शरद यादव लगातार बामनिया आया करते थे।
किसान संघर्ष समिति के पदाधिकारीयों ने 2 मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
भागवत परिहार
कार्यालय सचिव, किसंस, मुलतापी
9752922320