इंदौर
वैसे तो पूरी दुनिया लता जी की आवाज की कायल है, लेकिन उनकी जन्मभूमि इंदौर में एक अनूठा दीवाना भी है। ऐसा दीवाना, जिसने स्वर कोकिला के गानों की सबसे बड़ी लाइब्रेरी बना रखी है। लता जी के इस फैन का नाम सुमन चौरसिया हैं। इंदौर के राऊ निवासी चौरसिया पेशे से पान की दुकान चलाते हैं, लेकिन उन्होंने लता जी के गानों का अनूठा संग्रहालय बना रखा है। उनके पास लता मंगेशकर के गाए हुए साढ़े सात हजार गानों का संग्रह है।
एलबम रिलीज होने पर फ्लाइट से मुंबई जाते थे लेने
चौरसिया ने 2007 में अपने संग्रहालय को लता दीनानाथ मंगेशकर ग्रामोफोन रिकॉर्ड संग्रहालय नाम दिया। वे लता जी के इतने बड़े फैन हैं कि वे सालों पहले उनके गानों का एलबम रिलीज होने पर उसे लेने फ्लाइट से मुंबई चले जाते थे। इसे सुमन की दीवानगी ही कहेंगे कि एक बार जब उन्हें लता जी के कुछ गानों की रिकॉर्डिंग देश भर में कहीं नहीं मिली, तो वह उन्हें हासिल करने सीधे लता जी के पास मुंबई ही पहुंच गए थे। लता जी ने भी सहृदयता दिखाते हुए सुमन चौरसिया को संग्रहालय के लिए अपने गीतों की रिकॉर्डिंग सौंपी थी। सुमन का दावा है कि उनके पास लता मंगेशकर जी के गाए गीतों का देश का सबसे बड़ा संग्रह है।
लता जी ने भेजा था शुभकामना पत्र।
लता जी ने मंगवाई थी अपने ही गानों की रिकॉर्डिंग
लता मंगेशकर ने करीब 30 हजार गाने गाए हैं। इनमें से करीब साढ़े 7 हजार गाने इंदौर के सुमन चौरसिया के पास मौजूद है। उनके संग्रह में कई दुर्लभ गीत हैं। जब लता जी को इस संग्रह के बारे में पता चला, तो उन्होंने सुमन से अपने ही गाए कई दुर्लभ गाने भेजने का आग्रह किया। लता जी ने जो गीत चौरसिया से मांगे थे, उनमें ज्यादातर वो गीत हैं, जो उनके करियर के शुरुआती दिनों के हैं यानी 1944 से 1948 के बीच के। इन भूले-बिसरे गीतों को ढूंढ पाना तकरीबन नामुमकिन ही था।
चौरसिया ने उन्हें करीब 200 गीत सीडी में रिकॉर्ड कर भेजे, क्योंकि ओरिजनल ग्रामोफोन रिकॉर्ड वो किसी को नहीं देते। लता जी ने देश की लगभग हर भाषा के साथ-साथ भोजपुरी, मैथिली, मागधी, गढ़वाली, और छत्तीसगढ़ी जैसी बोलियों में भी गीत गाए हैं। इसके साथ ही श्रीलंका की सिंहली, अफ्रीका की स्वाहिली और इंडोनेशियाई भाषा के गीतों को भी उन्होंने अपने सुरों से नवाजा है। सुमन के संग्रह में ये सब गीत भी मौजूद हैं।
लता जी के गानों पर तीन पुस्तकें भी की प्रकाशित
संग्रहालय की ओर से लता मंगेशकर पर केन्द्रित तीन पुस्तकों का प्रकाशन भी किया गया। पहली किताब है लता समग्र, जो लता जी के गाए करीब साढ़े 7 हजार गीतों का कोष है। इसमें हिन्दी के साथ ही अन्य देशी- विदेशी भाषाओं के गीत, गैर फिल्मी गीत, अप्रदर्शित फिल्मों के गीत शामिल हैं। इस कोष में गीत की पहली लाइन के साथ फिल्म का नाम, वर्ष, गीतकार और संगीतकार के नाम भी दिए गए हैं। ये एक तरह का संदर्भ ग्रंथ ही है। दो और किताबें हैं, जिनमें लता जी के गीतों पर गीत समीक्षक अजात शत्रु की लिखी समीक्षाएं हैं।