*भारतीय लोकतंत्र में आंदोलनों के बीच मेरे 40 वर्ष* किताब का लोकार्पण लोकनीति सत्याग्रह किसान जन जागरण यात्रा के समापन के अवसर पर किया गया। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर चुके दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर डॉ राकेश 'रफीक' ने इस किताब को लिखा है, जिसे समदर्शी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। 150 पृष्ठ की इस पुस्तक को जो छात्र युवा संघर्ष वाहिनी, भारतीय किसान यूनियन, नर्मदा बचाओ आंदोलन, इंडिया अगेंस्ट करप्शन, युवा भारत, युवा क्रांति के प्रमुख नेता जो आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं उन्होंने नई कालीम भारतीय भाषाओं किसान आंदोलन, भारतीय राष्ट्रवाद पर अनेक किताब लिखी है। इस पुस्तक में उन्होंने जेपी आंदोलन, नक्सलबाड़ी आंदोलन, महेंद्र सिंह टिकैत का आंदोलन, आजादी बचाओ आंदोलन, राष्ट्र निर्माण अभियान, पास्को कंपनी विरोधी आंदोलन, नर्मदा बचाओ आंदोलन, तीसरा स्वाधीनता आंदोलन, भारत स्वाभिमान आंदोलन, भूमि अध्यादेश का आंदोलन के साथ-साथ युवा भारत और पी डी एफ आई आदि संगठनों में अपनी भूमिकाओं को आत्मवृत्त के तौर पर लिखा है। उक्त सभी आंदोलनों में डॉ राकेश 'रफीक' सक्रिय भूमिका में रहे हैं। इस कारण यह पुस्तक ना केवल इन आंदोलनों के संबंध में अंदरूनी जानकारी देती है बल्कि इसके साथ-साथ उन सभी आंदोलनों के नायक नायिकाओं की आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित करती है। डॉ राकेश 'रफीक' ने जिस सरल भाषा शैली में यह किताब लिखी है इसके कारण एक बार किताब पढ़ना शुरू करने के बाद आप पूरी किताब पढ़ कर ही रुक सकते हैं, बीच में नहीं। किताब के अंत में उन्होंने लिखा है कि अपने जीवन के 40 वर्ष मैंने भारतीय लोकतंत्र में आम लोगों की आवाज को स्वर देते हुए तंत्र पर लोक शक्ति का नियंत्रण स्थापित करने के लिए व्यक्त किए। पुस्तक में वर्णित राष्ट्रव्यापी आंदोलनों और संगठनों में सक्रिय रहकर मैंने जन सामान्य के हित में ही निर्णय लिए और अपना जीवन समर्पित रखा । उक्त राष्ट्रवादी परियोजनाओं के अलावा मेरे अपने कस्बे, जिले व क्षेत्र के भीतर मैंने अन्याय और शोषण के खिलाफ अपनी आवाज निरंतर बुलंद रखी। सामान्य जन के हितार्थ स्थानीय स्तर पर मैंने जो संगठन बनाएं और आंदोलन किए उनके बारे में आप इस पुस्तक के भाग 2 में पढ़ सकते हैं। अगर नई पीढ़ी को मेरे अनुभव अपने संघर्षों हेतु मार्गदर्शन प्राप्त होता है तो मैं अपने इस प्रयास को सफल मान लूंगा। - डॉ सुनीलम