शहीदे आजम भगतसिंह की एकसौ चौदहवीं जयंती पर वाम जनत्रांत्रिक संगठनों ने सेवाश्रम स्थिति मूर्ति पर माल्यार्पण और चौराहे पर विचार गोष्ठी आयोजित कर श्रृद्धांजलि दी। दोपहर एक बजे कार्यकर्ताओं ने स्थल पर पहुंच कर माल्यार्पण कर भगतसिंह को सर्वप्रिय नारे- साम्राज्यवाद, मुर्दाबाद और इंकलाब जिंदाबाद जोश खरोश से लगाये एवं तत्पश्चात सभा कर भगतसिंह के बलिदान को याद करते हुए उनके विचारों पर आज के संदर्भ चर्चा की।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए ऐक्टू के राज्य सचिव सौरभ नरूका ने कहा भगत सिंह ने देश के नौजवानों को आगाह किया था कि साम्राज्यवादी अंग्रेजी निजाम के साथ टक्कर में सबसे बड़ी चुनौती हमारे समाज में अंग्रेजों द्वारा बांटो और राज करो कि नियत से साम्प्रदायिक ताकतों को बढ़ावा देकर समाज और देश में बढ़ती साम्प्रदायिकता की है। उन्होंने कहा कि इस चुनौती का मुकाबला हमें मजदूर किसानों और आम मेहनतकश अवाम के बीच उनके वास्तविक जीवन के मुद्दों पर संघर्ष करते हुए इसे साम्राज्यवाद विरोधी लड़ाई के साथ एकताबद्ध करना होगा। नरुका ने कहा कि भगतसिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों का मानना था कि केवल साम्राज्यवादी अंग्रेजों को भगा कर उनकी जगह देशी लुटेरी ताकतों (काले अंग्रेजों) को देश की सत्ता सौंप देने से आम नागरिक को असली आजादी हासिल नहीं हो पायेगी, इससे तो बस शासक बदल जायेगा और आम आदमी को आर्थिक और सामाजिक आजादी नहीं मिल पायेगी और इसके बिना राजनीतिक आजादी भी बेमानी हो जायेगी। भगतसिंह ने कहा देश के आम नागरिक को मुकम्मल आजादी तभी मिल पायेगी जब हम हमारे समाज देश की अर्थव्यवस्था का निर्माण समाजवादी आधार पर कर सबको न्याय सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि भगतसिंह की चेतावनी सही सिद्ध हो रही है,हमें राजनितिक आजादी तो 1947 में ही मिल गयी लेकिन एक स्वतंत्र देश के नागरिक रहते हुए भी आज देश का मजदूर, किसान, नौजवान कठिन हालात में है।एक ओर विकसित टेक्नोलोजी की मदद से हमारे देश की शक्ल एक आधुनिक देश की तरह लगती है परन्तु यहां किसान और मजदूर बदहाल है।
उसके मेहनत और अधिकारों की कीमत पर चंद पूंजीपतियों की दौलत दिन दुगनी रात चौगुनी बढ़ रही है वहीं देश का सत्तर करोड़ किसान नो महिने से अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सड़क पर है। मजदूर बारह चोदह घंटे काम करके भी परिवार का पेट नहीं भर पा रहे। और आज की फासिस्ट सरकार संवैधानिक अधिकारों को ताक पर रख दमन पर उतरी हुई है। उन्होंने कहा कि भगतसिंह को सच्ची श्रद्धांजलि आज उनके विचारों पर चलते हुए देश में फासीवादी निजाम को सिकश्त देकर समाजवादी समाज के निर्माण के लिए संघर्ष को मजबूत करना पड़ेगा। माकपा के जिला सचिव राजेश सिंघवी ने कहा कि हमारे नौजवान भगतसिंह को कयी बार हिंसा से जोड़कर देखने लगते हैं जब कि उन्होंने साफ कहा था कि हमारा दर्शन बम और पिस्तौल का दर्शन नहीं है। हम इस दुनिया में मनुष्य के शरीर और जीवन को सर्व पवित्र मानते हैं और उसके खून का एक कतरा बहाना भी हमारे लिए पाप है। हमने असेम्बली में बम फैंकना भी ‘गूंगे कानों तक हमारी आवाज पहुंचाने के लिए किया है। सिंघवी ने कहा कि भगतसिंह की असली क्रांतीकारिता उनके विचारों में हैं, जहां वो कहते हैं कि जब तक दुनिया में एक देश का शोषण दूसरा देश और मनुष्य का शोषण मनुष्य द्वारा होता रहेगा दुनिया में न्याय और शांति स्थापित नहीं हो सकती। एटक के वरिष्ठ कार्यकर्ता हिम्मत छांगवाल ने कहा कि उन्नीसो इकानवे के बाद जबसे देश में वैश्वीकरण उदारीकरण और भूमंडलीकरण की नीतियां लागू की हैं पूंजीपतियों की दौलत बढ़ती गर्मी है और मजदूर किसान और छोटे-मोटे काम-धंधे करने वाले लोगों का जीना मुहाल हो गया है।आज बेरोजगारी चरम पर है और सत्ता समाज में साम्प्रदायिकता का प्रयोग कर दमन बढ़ाकर उनके हकों की लड़ाई को कमजोर कर रही है।ऐसे में आज हमें भगतसिंह याद आते हैं। इस देश में समता और न्याय भगतसिंह के रास्ते पर चलकर ही स्थापित हो सकती है। इस मौके पर भाकपा-माले के जिला सचिव चंद्र देव ओला, शंकर लाल चौधरी, प्रोफेसर एल आर पटेल,सी पी आई के घनश्याम तावड, माकपा के हीरालाल सालवी,समता विचार मंच के अध्यक्ष इंजीनियर पियूष जोशी , मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं एपवा लीडर रिंकु परिहार आदि भी एवं कयी अन्य नौजवान कार्यकर्ता भी मौजूद थे।
जारी कर्ता शंकरलाल चौधरी