इंदौर । नगर निगम का कालोनी सेल शासन निर्देशों के तहत अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया में जुटा है। पहले चरण में 100 अवैध कॉलोनियों में विकास शुल्क जमा करवाने की प्रक्रिया शुरू की गई। वहीं दूसरे चरण की 101 कॉलोनियों की सूची भी तैयार कर दावे-आपत्ति सहित अन्य प्रक्रिया शुरू की जा रही है। आयुक्त ने दूसरे चरण की इन कॉलोनियों की सूची के साथ 19 उन कॉलोनियों की सूची को भी मंजूरी दे दी जिसमें विकास शुल्क की राशि जमा कराई जाना है। इसके पूर्व निगम 81 कॉलोनियों की सूची प्रकाशित कर विकास शुल्क जमा करवाने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है। दूसरी तरफ शासन कुछ नियमों के सरलीकरण की प्रक्रिया में भी जुटा है।
विधानसभा चुनाव से पहले शासन की मंशा है कि इंदौर सहित प्रदेशभर की वैध की जा सकने वाली लगभग 5 हजार कॉलोनियों में नियमितिकरण की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए। हालांकि यह कार्य इतना जटील है कि तय समय सीमा में इतनी कॉलोनियां अंतिम सूची तक नहीं पहुंच सकी। सबसे ज्यादा जमीनी विवाद चूंकि इंदौर में है, जहां पर सीलिंग, ग्रीन बेल्ट, नजूल के साथ नदी-नालों सहित प्राधिकरण योजनाओं में शामिल जमीनों पर अवैध कॉलोनियां कट गई हैं, जिसके चलते संबंधित विभागों से एनओसी भी नहीं मिल पा रही है और ना ही नियमों के तहत इस तरह की कॉलोनियों को वैध किया जा सकता है। यही कारण है कि पहले चरण की सूची में ही तुलसी नगर सहित कई कॉलोनियों के नाम नहीं जुड़ सके। पिछले दिनों निगम ने 81 अवैध से वैध की जाने वाली कॉलोनियों को अंतिम रूप दिया और नियमों के तहत जमा होने वाले विकास शुल्क की राशि भी तय कर दी।
शुल्क की राशि का निर्धारण निगम ने कर दिया है और अब इस सूची को प्रकाशित कर यह शुल्क जमा करवाने की प्रक्रिया निगम शुरू करेगा। इस तरह पहले चरण में 100 अवैध कॉलोनियों को नियमितिकरण की प्रक्रिया में ले लिया गया है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव के प्रयास हैं कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को बुलाकर उनके हाथों पहले चरण की इन 100 अवैध कॉलोनियों को वैध करवाया जाए। वहीं नगर निगम ने 101 दूसरी अवैध कॉलोनियों की सूची भी तैयार कर ली है, जिसमें कई चर्चित कॉलोनियां शामिल हैं। वहीं पंचायत क्षेत्र की 86 अवैध कॉलोनियों को भी प्रशासन वैध करने की प्रक्रिया में जुटा है, जिसमें राऊ की 35, बेटमा की 16, हातोद की 9, महूगांव की 12 और सांवेर की 5 कॉलोनियां शामिल हैं।
अब अंतिम भूखंडधारक से शुल्क जमा होना अनिवार्य नहीं
अभी विकास शुल्क के संबंध में शासन ने जो नए नियम बनाए उसमें यह तय किया गया कि अंतिम भूखंडधारक से भी जब तक विकास शुल्क की राशि जमा न हो जाए तब तक विकास कार्य शुरू नहीं कराए जा सकेंगे। मगर अब इसमें संशोधन कर शासन राहत देने जा रहा है, जिसमें अंतिम भूखंडधारक से विकास शुल्क की राशि जमा करवाने की अनिवार्यता खत्म होगी और अगर 25 प्रतिशत भूखंडधारकों ने भी विकास शुल्क की राशि जमा करवा दी है तो अवैध से वैध की जाने वाली उस कॉलोनी में विकास कार्य शुरू कराए जा सकेंगे। उल्लेखनीय है कि 20 प्रतिशत राशि विकास शुल्क की भूखंडधारकों को, वहीं 80 फीसदी राशि नगर निगम को खर्च करना है, जिसमें सडक़, बिजली, ड्रैनेज, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं अवैध से वैध की जाने वाली कॉलोनी के रहवासियों को मिल सके।