प्रदेश में करीब छह माह से निगम-मंडल-प्राधिकरणों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष की नियुक्ति की राह देख रहे नेताओं की जल्द ही लॉटरी लगने वाली है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा हाईकमान ने राजनीतिक नियुक्तियों के लिए हरी झंडी दे दी है। साथ ही कहा गया है कि निष्ठावान वरिष्ठ नेताओं को निगम-मंडल और प्राधिकरणों में पदस्थ किया जाए। गौरतलब है कि इन दिनों प्रदेश भर के भाजपा नेताओं के भोपाल से लेकर दिल्ली तक के फेरे बढ़ गए हैं। यह नेता अपने साथ अपनी उपलब्धियों के ब्यौरे के साथ ही पूर्व में मिले आश्वासनों का पुलिंदा लेकर भी चल रहे हैं। उन्हें सत्ता में भागीदारी के लिए जो नेता मददगार साबित होने वाला लगता है,
उसे अपनी बायोडाटा वाली फाइल थमा दी जाती है। यह वे नेता हैं, जिन्हें विधानसभा और लोकसभा चुनाव में दावेदारी के बाद भी टिकट नहीं दिया गया था। यही वजह है कि अब यह नेता चाहते हैं कि उन्हें निगम मंडल में भागीदारी मिल जाए। भाजपा सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद से निगम मंडलों में अपनी ताजपोशी का इंतजार कर रहे नेताओं की उम्मीद जल्द पूरी हो सकती है।
पार्टी हाईकमान ने इसके लिए हरी झंडी दे दी है। निगम-मंडलों में उन सीनियर नेताओं की नियुक्ति की जाएगी जो पार्टी में लगातार समर्पित भाव से काम कर रहे हैं और उन्हें अब तक कोई बड़ा पद नहीं मिला है। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या उसके अनुषांगिक संगठनों से जुड़े नेताओं को भी तरजीह दी जाएगी। भाजपा ने इसके लिए संघ से भी दस नाम मांगे हैं। वहीं प्रदेश संगठन भी अपनी सूची तैयार कर रहा है। जिस पर मंथन किया जाएगा। आपको बता दें कि मोहन कैबिनेट के गठन के बाद सभी निगम मंडलों को भंग कर दिया गया था।
नियुक्ति का खाका तैयार
सूत्रों की मानें तो दिल्ली में इसे लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और प्रदेश संगठन महामंत्री बीएल संतोष मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से चर्चा कर चुके हैं। निगम, प्राधिकरण, आयोग समेत चार दर्जन सार्वजनिक उपक्रमों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष समेत सदस्य अथवा संचालक मंडल में नियुक्तियां होनी हैं। इनके अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को कैबिनेट और राज्यमंत्री का दर्जा दिया जाता है। यही वजह है कि इनके दावेदारों की संख्या काफी ज्यादा है और पार्टी को नाम तय करने में भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। वहीं संघ भी अपने कोटे के दस नामों पर विचार कर रहा है। इसमें अधिकांश वे नेता शामिल हैं जो संघ से भाजपा में गए हैं। शिवराज सरकार में संभागीय संगठन मंत्री के दायित्व से मुक्त किए गए आधा दर्जन से अधिक नेताओं को निगम मंडल में पदों से नवाजा गया था। इनमें आशुतोष तिवारी, शैलेन्द्र बरूआ, जितेन्द्र लिटौरिया जैसे नेता शामिल थे। तब इन्हें आरएसएस के कोटे से ही माना गया था। इस बार इनकी जगह नए नामों पर संघ विचार कर रहा है।
निगम मंडलों में दो बार रह चुके नेताओं को इस बार मौका नहीं मिलेगा। ऐसा नए चेहरों को मौका देने के लिए किया जा रहा है। संगठन से जुड़े एक बड़े नेता की मानें तो इस बार ज्यादा से ज्यादा नए चेहरों को निगम मंडल और प्राधिकरणों में जगह दी जाएगी। दरअसल पार्टी हाईकमान को कई नेताओं ने लिखित में भेजा है कि कुछ चेहरों को हर बार निगम मंडल में कोई न कोई पद दिया जाता है। इसके बाद यह निर्णय लिया गया है कि जो नेता दो बार निगम मंडल या प्राधिकरणों में ताजपोशी पा चुके हैं, उन्हें अब और मौका नहीं दिया जाएगा।
दावेदारों की बढ़ रही बेचैनी
गौरतलब है कि भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में संगठन नेताओं ने इस बात के संकेत दिए थे कि जिन नेताओं ने चुनाव में अच्छा काम किया है और पार्टी के हर फैसले के साथ रहे हैं। पार्टी उनका पूरा ख्याल रखेगी। इसके बाद से ही निगम मंडलों में पदों पर नियुक्ति को लेकर हलचल शुरू हो गई थी। इनमें अधिकांश वे नेता शामिल हैं, जो विधानसभा चुनाव के समय किन्हीं कारणों से टिकट से वंचित कर दिए गए थे पर उन्होंने बगावती तेवर न अपनाते हुए पार्टी द्वारा तय प्रत्याशी के पक्ष में पूरे मन से काम किया। ऐसे वरिष्ठ नेता अब निगम-मंडलों एवं प्राधिकरणों में अपनी तैनाती चाहते हैं। निगम मंडल में नियुक्तियों को लेकर दावेदारों में बैचेनी बढ़ती जा रही है। टिकट पाने से वंचित रह गए जिन नेताओं के नसीब में आश्वासन आए थे वे इन नियुक्तियों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा संगठन और चुनाव के कामों में सालों से लगे नेताओं को भी अपने काम के इनाम का इंतजार है। इसके अलावा कांग्रेस से चार साल पहले और विधानसभा चुनाव के दौरान अपने समर्थकों के साथ आए नेताओं को भी अपने राजनीतिक पुनर्वास का इंतजार है।
कांग्रेस से आए नेताओं को भी महत्व…
लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस से भाजपा में आए कई नेता भी दौड़ में शामिल हैं। इनमें से कुछ पूर्व विधायक एवं सांसद भी है। जिन्हें भाजपा में शामिल तो कर लिया था, लेकिन लोकसभा चुनाव में कोई जवाबदारी नहीं दी गई थी। वह भी अब अपनी किस्मत बदलने का इंतजार कर रहे है। कई ऐसे कांग्रेसी नेता है जो अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखते हैं और लोकसभा चुनाव में भाजपा को उन्होंने लाभ भी दिलाया है। इनमें छिंदवाड़ा के दीपक सक्सेना भी शामिल है वह भी किसी प्राधिकरण में बड़े पद पर आसीन होना चाहेंगे। पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे सुरेश पचौरी भी नई पारी शुरू करने के इंतजार में है। इसी तरह पाटन से पूर्व विधायक रहे नीलेश अवस्थी भी प्रयास में लगे हैं। शिवराज सरकार ने विधानसभा चुनाव के कुछ माह पहले ही सभी को साधने के लिए नेताओं की निगम मंडलों में ताबड़तोड़ नियुक्तियां की थीं। इन नेताओं को काम करने का कुछ माह के लिए ही समय मिल पाया था। ऐसे नेता इन दिनों अधिक सक्रिय बने हुए हैं। महीने पहले ही जिन नेताओं को निगम-मंडल, प्राधिकरणों में पद दिए थे, वे इस बार भी सक्रिय हो गए है। इन नेताओं का तर्क है कि उन्हें सालों तक समर्पित भाव से काम करने पर सरकार ने पद तो दिया पर वे इन पर साल भर भी नहीं रह पाए। वही दूसरी ओर पूर्व संभागीय संगठन मंत्री इस बार भी अपनी नियुक्ति चाहते हैं, इसके पीछे उनका भी यही तर्क है कि पिछली बार उन्हें कम समय मिला था।