इंदौर। शहरभर के 6 हजार बोरिंगों का मेंटेनेंस करने के लिए नगर निगम द्वारा एक फर्म को हर साल ठेका दिया जाता है और इस बार कुछ का समय 15 अप्रैल तक बढ़ाया गया था, लेकिन ठेकेदार ने काम करने से इनकार कर दिया, जिसके चलते दर्जनों वार्डों में खराब पड़े बोरिंगों के कारण लोगों की फजीहत हो रही है। पहले ही कई वार्डों में नर्मदा का पानी लोगों को समुचित रूप से नहीं मिल पाता, अब बोरिंग भी खराब होने के कारण यह परेशानी और बढ़ गई है।
नगर निगम द्वारा शहरभर के वार्डों में 6 हजार से ज्यादा बोरिंग कराए गए हैं और उनका मेंटेनेंस हर साल अलग-अलग फर्मों को दिया जाता है। पूर्व में निगम द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अलग-अलग फर्मों को काम सौंपे गए थे। यह प्रयोग कुछ समय तक चला था, जिसे बंद कर दिया गया। अब एक ही फर्म को इसका काम सौंपा गया है, जो उल्लास जैन की बताई जाती है। इस फर्म को भी निगम द्वारा मेंटेनेंस का ठेका 15 मार्च तक का दिया गया था। नर्मदा प्रोजेक्ट के कार्यपालन यंत्री संजीव श्रीवास्तव के मुताबिक 15 मार्च को फर्म का करार खत्म होने के बाद निगम द्वारा उसकी अवधि पहले 31 मार्च तक बढ़ाई गई और फिर दूसरे दौर में यह अवधि 15 अप्रैल तक बढ़ाई गई थी, लेकिन विभिन्न कारणों के चलते ठेकेदार ने काम करने से इनकार कर दिया और अब निगम के सामने बोरिंगों को लेकर एक नई परेशानी खड़ी हो गई है।
पहले ही नर्मदा का पानी नहीं मिलता, अब सरकारी बोरिंग भी हुए खराब
नगर निगम द्वारा शहर में 95 से ज्यादा टंकियों से नर्मदा का पानी सप्लाय किए जाने का दावा किया जाता है, मगर उसके बावजूुद दर्जनों कालोनियों में नर्मदा का पानी नहीं मिलने के कारण लोग परेशान होते हैं और जलूद में आए दिन लाइनों की खराबी के चलते कई क्षेत्रों में पांच-पांच दिनों तक पानी सप्लाय नहीं होता, जिससे गर्मी में यह स्थिति और खराब हो जाती है। अब सरकारी बोरिंग भी कई वार्डों में खराब पड़े हैं, जिन्हें सुधराने को लेकर पार्षद से लेकर रहवासी तक झोनों के चक्कर लगा रहे हैं।
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