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बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की कवायद, कई कलेक्टर-एसपी और संभागायुक्त बदले जाएंगे

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इंदौर। मध्यप्रदेश में बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की कवायद अंतिम दौर में है। मुख्यमंत्रीकी मंशा के मुताबिक सख्त और बेहतर प्रशासन देने के लिए इस बार मैदानी पद स्थापना में पॉलिटिकल एप्रोच (political approach) के बजाय परफॉर्मेंस (performance) को प्राथमिकता दी जा रही है। अपने कुछ भरोसेमंद अफसर के माध्यम से मुख्यमंत्री जल्दी ही प्रशासनिक फेरबदल को अंतिम रूप देने में लगे हैं।

प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक इस फेरबदल में दो दर्जन से ज्यादा कलेक्टर, 20 से ज्यादा जिलों के एस पी, चार संभाग आयुक्त और तीन रेंज के एडीजी- आईजी बदले जा रहे हैं। कई बड़े प्रशासनिक पदों पर जल्दी ही नए चेहरे देखने को मिलेंगे। ऐसे कई अफसर जिलों की कमान संभालते नजर आएंगे जिन्हें उनकी वरिष्ठता और प्रशासनिक क्षमता के बावजूद अभी तक नजरअंदाज किया जाता रहा। मुख्य सचिव और डीजी पद के लिए चर्चा में चल रहे डॉ राजेश राजौरा को सचिवालय में अपर मुख्य सचिव के पद पर पदस्थ करके मुख्यमंत्री ने यह संकेत तो दे ही दिया कि वह अपने सचिवालय को पीएमओ की तर्ज पर बहुत मजबूत रखना चाहते हैं।

मुख्यमंत्री बनने के बाद ही डॉक्टर मोहन यादव ने यह संकेत दिए थे कि संभाग में आयुक्त आईजी तथा जिलों में कलेक्टर तथा एसपी के पद पर परफॉर्मेंस देने वाले अफसर को ही नियुक्ति दी जाएगी। वर्तमान में इन पदों पर पदस्थ अफसर के कार्यों का मूल्यांकन भी मुख्यमंत्री ने अपने कोर ग्रुप के माध्यम से करवाया था। जल्दी ही आकर लेने वाले प्रशासनिक फेरबदल में इस बार संभाग तथा जिलास्तर पर मैदानी नियुक्तियां इसी परफॉर्मेंस ऑडिट के आधार पर होगी। सूत्रों के मुताबिक 16 कलेक्टर और लगभग इतने ही एसपी कमजोर परफॉर्मेंस के कारण हटाए जाएंगे और उनके स्थान पर मंत्रालय या पुलिस मुख्यालय में पदस्थ रहने के दौरान भी बेहतर परफॉर्मेंस देने वाले अफसर को मौका दिया जाएगा। भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2011- 12 और 13 बेच के वे अफसर जिन्हें अभी तक जिलों में काम का मौका नहीं मिला है, उनके नाम पर भी जिलों की पदस्थापना के लिए विचार किया जा रहा है। हालांकि इनमें भी परफार्मेंस को तरजीह दी जाएगी।

मंत्रालय में भी नए चेहरे
मंत्रालय में एक ही विभाग में लंबे समय से जमे अफसरों की पदस्थापना में भी बदलाव होगा। आधा दर्जन अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अफसर ऐसे हैं, जो लंबे समय से एक ही विभाग में जमे हैं या जिनकी पदस्थापना पिछले 10 वर्षों में दो-तीन विभागों में ही रही है।

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